गोरखपुर के एडीएम ने ग्रेटर नोएडा के चिटहेरा भूमि घोटाले में मांगी जमानत, 13 दिसंबर को होगी सुनवाई
हर्षोंदय टाइम्स -सतीश शुक्ला (सहजनवा )
ग्रेटर नोएडा /गोरखपुर : (हर्षोंदय टाइम्स ) गौतमबुद्ध नगर की दादरी तहसील के गांव चिटहेरा में हुए सैकड़ों करोड़ रुपए के भूमि घोटाले में कानून का शिकंजा कसता जा रहा है। जहां एक तरफ चिटहेरा गांव में तैनात रहे लेखपाल शीतला प्रसाद और दादरी तहसील के रेवेन्यू इंस्पेक्टर गोवर्धन की गिरफ्तारी हो चुकी हैं, वहीं दूसरी ओर इस घोटाले में भूमिका सामने आने के बाद अफसर भी अदालत की ओर दौड़ रहे हैं। इसी सिलसिले में दादरी के तत्कालीन तहसीलदार और डिबियापुर में मौजूदा डिप्टी कलेक्टर प्रवीण कुमार यादव की अग्रिम जमानत अर्जी गौतम बुद्ध नगर जिला न्यायालय ने खारिज कर दी है। अब दादरी में तैनात रहे तत्कालीन उपजिलाधिकारी ने जिला न्यायालय से जमानत मांगी है। इस जमानत अर्जी पर अदालत 13 दिसंबर को सुनवाई करेगी। आपको बता दें कि दादरी के तत्कालीन उपजिलाधिकारी फिलहाल गोरखपुर में अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) के पद पर कार्यरत हैं।
एडीएम राजेश कुमार सिंह ने अदालत में दिए यह तर्क
गोरखपुर के अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) राजेश कुमार सिंह की ओर से गौतमबुद्ध नगर जिला सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में जमानत अर्जी दाखिल की गई है। उन्होंने कहा कि वे निर्दोष हैं। उन्होंने किसी प्रकार का अपराध नहीं किया है। मुकदमे में झूठा और प्रशासनिक अधिकारियों के दबाव में आकर फंसाया जा रहा है। प्रथम सूचना रिपोर्ट में वह नामजद नहीं हैं। उनके विरुद्ध प्रथम दृष्टया कोई भी दस्तावेजी साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468 और 471 का कोई अपराध नहीं बनता है। उन्होंने अपनी जमानत अर्जी में आगे लिखा है कि तत्कालीन हल्का लेखपाल, कानूनगो और अन्य कर्मचारियों की जांच के आधार पर कर्मवीर पुत्र प्यारेलाल व काला पुत्र बैलू को चिटहेरा गांव का निवासी होने का सर्टिफिकेट जारी किया था। उसमें उनका कोई सामान्य आशय या दुराशय नहीं था। उन्होंने कोई जांच नहीं की थी और उनके द्वारा यह जांच किया जाना भी संभव नहीं था।
पुलिस मेरे मान-सम्मान को ठेस पहुंचाना चाहती है’
राजेश कुमार सिंह का कहना है कि वह उत्तर प्रदेश प्रांतीय सेवा (पीसीएस) अधिकारी हैं। फिलहाल गोरखपुर के अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) के पद पर कार्यरत हैं। पुलिस उनके मान-सम्मान को ठेस पहुंचाने के लिए गिरफ्तार करना चाहती है। राजेश कुमार सिंह का कहना है कि चिटहेरा भूमि घोटाले से उनका कोई ताल्लुक नहीं है। उन्हें फंसाने का प्रयास किया जा रहा है।
राजस्व अधिकारी हूं, इसलिए फंसा रही है पुलिस
राजेश कुमार सिंह ने आगे तर्क दिया है कि दादरी कोतवाली में दर्ज एफआईआर के मुताबिक घटना 3 जुलाई 1997 की अंकित की गई है। रिपोर्ट 20 मई 2022 को शाम 6:45 पर दर्ज करवाई गई है। इस प्रकार घटना के लगभग 25 वर्ष बाद अति विलंब से एफआईआर दर्ज की गई है। जिसका अभियोजन ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है। लिहाजा, यह घटना अपने आप में संदेहास्पद है। एडीएम ने आगे कहा है कि वह प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामजद नहीं किए गए हैं। अब साजिश के आधार पर राजस्व विभाग और पुलिस अधिकारियों की आपसी विवाद के चलते उन्हें अपमानित करने के उद्देश्य से मामले में घसीटा जा रहा है। बिना विवेचना और बिना साक्ष्यों के उन्हें अपमानित करने की कोशिश है।
सामान्य निवास प्रमाण देने में भूमिका नहीं
राजेश कुमार सिंह ने अदालत में आगे तर्क दिया है कि सामान्य निवास प्रमाण पत्र कर्मवीर और काला को जारी किया गया है। यह निवास प्रमाण पत्र दादरी तहसील से जारी हुआ। इन दोनों व्यक्तियों को प्रार्थी नहीं जानता है। सामान्य निवास प्रमाण पत्र पर डिजिटल हस्ताक्षर करते समय इनको जानने की आवश्यकता नहीं होती है। सामान्य निवास प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया में मुख्य दायित्व क्षेत्रीय लेखपाल का होता है। सामान्य निवास प्रमाण पत्र जारी करने के लिए उपजिलाधिकारी की भूमिका पूरी तरह क्षेत्रीय लेखपाल पर आधारित होती है। क्षेत्रीय लेखपाल राजस्व कर्मी होता है। उसकी जांच आख्या के आधार पर संतुष्टि निर्भर करती है। उपजिलाधिकारी प्रत्यक्ष तौर पर न तो जिम्मेदार होता है और न ही सम्मिलित होता है।
रजिस्ट्रार कार्यालय में हस्तक्षेप नहीं होता
एडीएम राजेश कुमार सिंह का कहना है कि जनपद गौतमबुद्ध नगर की दादरी तहसील में भूमि की रजिस्ट्री रजिस्ट्रार कार्यालय में की जाती है। उसमें भी उपजिलाधिकारी की कोई भूमिका नहीं होती है। इस बारे में उपजिलाधिकारी को कोई संज्ञान नहीं होता है। सामान्य निवास प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र नहीं है। यह मामूली तौर पर निवासी होने का प्रमाण पत्र होता है। इस मुकदमे में मुख्य अभियुक्त और कर्ताधर्ता यशपाल तोमर है। उसे वह बिल्कुल नहीं जानते और पहचानते हैं। दोनों सामान्य निवास प्रमाण पत्र लगभग 7 वर्ष पहले उपजिलाधिकारी की हैसियत से तैयार करवाए थे। इन प्रमाण पत्रों के जारी करने में उनकी कोई बदनियति नहीं है। इससे उन्होंने किसी भी प्रकार का लाभ अर्जित नहीं किया है। यह सामान्य निवास प्रमाण पत्र रूटीन में जारी हुए हैं। इसमें उनका कोई दोष नहीं है।
किसी को पट्टा आवंटन करने का आरोप नहीं
राजेश कुमार सिंह आगे तर्क देते हैं कि मुकदमे के मुख्य अभियुक्त यशपाल तोमर और उसके साथियों का उनसे कभी किसी तरह से संबंध नहीं रहा है। कोई जान-पहचान नहीं है। यह घटना वर्ष 1997 में दादरी तहसील में हुई। उस वक्त वह दादरी में तैनात नहीं थे। उन्होंने किसी के नाम कोई पट्टा नहीं किया है। केवल 21 जनवरी 2016 को 2 लोगों को निवास प्रमाण पत्र बनाकर दिए हैं। ऐसे में इस घोटाले में उनकी कोई संलिप्तता परिलक्षित नहीं होती है।
गवाहों और सबूतों को प्रभावित नहीं करेंगे
राजेश कुमार सिंह ने आगे कहा है कि वह इस मामले की जांच में पूरा सहयोग करेंगे। जब भी विवेचक उन्हें बुलायेगा उपस्थित होंगे। वह न्यायालय के क्षेत्राधिकार से भागने की कोशिश नहीं करेंगे। गवाहों को नहीं तोड़ेंगे और उनसे गवाहों को डराने-धमकाने की संभावना बिल्कुल नहीं है। मुकदमे में सह-अभियुक्त केएम संत उर्फ़ खचरमल संत को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अग्रिम जमानत दे दी है। इसी तरह त्रिदेव रिटेल प्राइवेट लिमिटेड और अन्य को भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत दी है। एफआईआर में नामजद अभियुक्त एम भास्करन को भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत दी है। इस मामले में अभियुक्त और गांव के तत्कालीन लेखपाल शीतला प्रसाद को पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेजा था। उसे 9 नवंबर को जिला एवं सत्र न्यायालय ने नियमित जमानत दे दी है।
बाकी को हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत दी, मैं भी हकदार
राजेश कुमार सिंह ने कहा कि वह एक सभ्य और प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखते हैं। अदालत की संतुष्टि के लिए विश्वसनीय जमानत और अंडरटेकिंग देने के लिए तैयार हैं। लिहाजा, उन्हें पुलिस से सुरक्षा देने के लिए अंतरिम जमानत देने की आवश्यकता है। अब इस मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने सुनवाई करने के लिए एडीएम राजेश कुमार सिंह की अर्जी अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एससी एसटी एक्ट) को ट्रांसफर कर दी है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश 13 दिसंबर को एडीएम राजेश कुमार सिंह की जमानत अर्जी पर सुनवाई करेंगी। बड़ी बात यह है कि राजेश कुमार सिंह की ही तरह डिप्टी कलेक्टर प्रवीण कुमार यादव ने अदालत से अग्रिम जमानत मांगी थी। अदालत ने प्रवीण कुमार यादव की अर्जी खारिज कर दी है। तब प्रवीण यादव दादरी तहसील में राजेश सिंह के मातहत बतौर तहसीलदार तैनात थे।
हमारी टीम ने किया घोटाले का खुलासा
आपको बता दें कि हमारी टीम ने चिटहेरा गांव में हुए इस भूमि घोटाले का खुलासा किया। जिसके बाद उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच का आदेश दिया। घोटाले के मास्टरमाइंड यशपाल तोमर को जनवरी 2022 में उत्तराखंड एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। वह तभी से जेल में बंद है। इसके बाद हरिद्वार जिला प्रशासन और गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने एक से बढ़कर एक बड़ी कार्यवाही की है। यशपाल तोमर को इंटरस्टेट भूमाफिया घोषित किया जा चुका है। गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, हरिद्वार, मेरठ और बागपत में यशपाल तोमर व उसके गुर्गों की 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की प्रॉपर्टी सीज की गई हैं।