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साहित्य के क्षेत्र में महराजगंज का नाम रोशन कर रहे मोहन पाण्डेय ‘भ्रमर’

भोजपुरी गीत संग्रह ”जिनगी के गीत” हुआ प्रकाशित

मौलिक साहित्य सृजन कवि के हृदय में उत्पन्न प्राकृतिक भाव , साहित्यकार , समाज एवं प्रकृति के सूक्ष्म से सूक्ष्म भावों को अपने हृदय में आत्मसात करता है तब कविता या गीत प्रस्फुटित होते हैं।

महराजगंज (हर्षोदय टाइम्स): जनपद के साहित्यकार मोहन पाण्डेय ‘भ्रमर’ साहित्य के क्षेत्र में अपनी साधना के द्वारा विविध रचनाओं को समाज को देने में तल्लीन हैं और जनपद का नाम रोशन कर रहे हैं।

सदर तहसील के घुघली क्षेत्र के गाँव हरखा प्यास के मूल निवासी वर्तमान में शिक्षक के रूप में कुशीनगर जनपद में सेवा कर रहे हैं और साथ ही पत्रकारिता एवं साहित्य सृजन का काम भी निरंतर जारी है।

मोहन पाण्डेय का सबसे पहला काव्य संग्रह ‘प्रतीक्षा’ सन् 2021 में प्रकाशित हुआ जिसमें समाज, गाँव की समस्या, बेरोजगारी , देश प्रेम , सीमा की सुरक्षा में अपनी सेवा दे रहे जवानों के भाव का गंभीर चित्रण किया गया है। वहीं कवि ‘भ्रमर’ ने लंकाधिपति दशानन पुत्र मेघनाद के जीवन पर आधारित ‘मेघसुलोचनीयम्’ सन 2022 के प्रारंभ में खण्ड काव्य लिखा जिसमें नीति, धर्म, कुल की मर्यादा, धर्म-अधर्म के प्रतिफल सहित नारी पात्र सुलोचना एवं लक्ष्मण पत्नी उर्मिला के तप व शक्ति का गंभीर विवेचन किया गया है।

उनकी साधना के परिणाम स्वरूप शीघ्र ही भोजपुरी गीत संग्रह ”जिनगी के गीत” तीसरे ग्रंथ के रूप में प्रकाशित हुआ है, जिसका लोकार्पण भी उनके श्रीनाथ संस्कृत महाविद्यालय हाटा कुशीनगर के 98वें स्थापना दिवस पर काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रो नागेंद्र पाण्डेय, कुलपति संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी, प्रो0 हरेराम त्रिपाठी, कुलपति लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली के कर कमल से अगहन शुक्ल पक्ष पञ्चमी को हुआ है। पुस्तक में माटी की बोली में समाज में व्याप्त समस्याएं, पर्यावरण, बालिका शिक्षा, श्रम गीत, संस्कार गीत, देश गीत एवं भक्ति के सरस गीतों का संग्रह मौलिक रूप में किया है और यह महराजगंज की माटी के लिए गर्व की बात है।

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