गोरखपुर

गोरखपुर नगर निगम में 6 जनवरी से प्रशासक संभालेंगे कामकाज

हर्षोंदय टाइम्स -सतीश शुक्ला (गोरखपुर)

गोरखपुर नगर निगम के महापौर एवं उनकी कार्यकारिणी का शपथ ग्रहण 12 दिसंबर 2017 को हुआ था। जबकि, बोर्ड की पहली बैठक 6 जनवरी 2018 को। शासन से जारी शासनदेश के मुताबिक महापौर और अध्यक्षों का कार्यकाल भी उस तिथि को ही समाप्त होगी, जिस तिथि को बोर्ड की पहली बैठक हुई थी। इस लिहाज से गोरखपुर नगर निगम में 5 जनवरी को मौजूदा कार्यकारिणी का कार्यकाल खत्म हो जाएगा।

06 जनवरी से प्रशासन के हाथ में बागडोर :

नगर निगमों में नगर आयुक्त और पालिका परिषद एवं नगर पंचायतों में अधिशासी अधिकारियों को कार्य संचालन का दायित्व सौंपा जाएगा। नगर निकायों में महापौर एवं अध्यक्षों के कार्यकाल खत्म होने की स्थिति में प्रशासकों की नियुक्ति को लेकर असमंजस की स्थित बनी हुई थी।

शासनादेश जारी हुआ :

सोमवार को प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने सभी डीएम के लिए शासनादेश जारी कर दिए हैं। इसके मुताबिक जैसे-जैसे नगर निकायों में कार्यकाल खत्म होगा, उसी क्रम में नगर निकायों में प्रशासकीय व्यवस्था लागू होती जाएगी। यानि नगर निगमों में नगर आयुक्त और पालिका परिषद व नगर पंचायतों में अधिशासी अधिकारियों के पास सारा अधिकार आ जाएगा।

गोरखपुर नगर निगम के महापौर एवं उनकी कार्यकारिणी का शपथ ग्रहण 12 दिसंबर 2017 को हुआ था।
गोरखपुर नगर निगम के महापौर एवं उनकी कार्यकारिणी का शपथ ग्रहण 12 दिसंबर 2017 को हुआ था।

खत्म हो जाएगा महापौर एवं बोर्ड के 5 साल का कार्यकाल:

उत्तर प्रदेश नगर पालिका परिषद अधिनियम-1916 और उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम-1959 में निकायों के बोर्ड का कार्यकाल 05 साल के लिए निर्धारित है। 2017 में हुए निकाय चुनाव का परिणाम आने के बाद निकायों के बोर्ड का गठन 12 दिसंबर से लेकर 15 जनवरी के बीच हुआ था।

इस लिहाज से महापौर और अध्यक्षों का कार्यकाल भी इसी अवधि उस तिथि को ही समाप्त होगी, जिस तिथि को बोर्ड की पहली बैठक हुई थी। अब शासन के आदेश जारी करने के साथ ही निकायों में प्रशासकीय व्यवस्था होने लगी है।

केवल सलाहकार की भूमिका में रहेगा बोर्ड :

प्रशासक बैठाए जाने के दौरान बोर्ड की भूमिका सलाहकार के तौर पर होगी। वे बहुमत के आधार पर अधिशासी अधिकारी या नगर आयुक्त को परामर्श दे सकेंगे, जो कि बाध्यकारी नहीं होंगे। इसके अलावा कार्यकारिणी समिति के पास नागरिक सुविधाओं कापर्यवेक्षण की जिम्मेदारी होगी। इस कार्य के लिए कार्यकारिणी समिति के सदस्यों को कोई पारिश्रमिक, मानदेय या भत्ता नहीं मिलेगा। नगर पालिका परिषदों एवं नगर पंचायतों के संबंध में यह दायित्व निकाय बोर्ड के पास होगा।

खातों का संचालन ईओ और लेखाकार के पास होगा :

नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों में खातों का संचालन अध्यक्ष एवं अधिशासी अधिकारी के दस्तखत से होता है। अध्यक्ष के न रहने पर यह काम अधिशासी अधिकारी व केंद्रीयत सेवा के वरिष्ठतम लेखा अधिकारी संयुक्त हस्ताक्षर से करेंगे।

केंद्रीय सेवा के अधिकारी की तैनाती न होने की स्थिति में वहां लेखा का काम देखने वाले कर्मी को दिया जाएगा। अधिशासी अधिकारी कर्मचारी को नामित करेगा। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि संयुक्त हस्ताक्षर की इस व्यवस्था के तहत ही नगद निकाला जाएगा। चेक भी सभी औपचारिकता पूरी करने के बाद दिए जाएंगे।

बोर्ड की भूमिका सलाहकार के रूप में होगी : नगर आयुक्त

गोरखपुर के नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने बताया, ”पहली बैठक की तिथि से प्रशासकीय व्यवस्था लागू होगी। नगर निगमों में नगर आयुक्त और पालिका परिषद एवं नगर पंचायतों में अधिशासी अधिकारियों को कार्य संचालन का दायित्व सौंपा जाएगा। बोर्ड की भूमिका सलाहकार के रूप में होगी।”

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