उत्तर प्रदेशगोरखपुर

गोरखपुर की अनिशा गौहर की IES में आई 11 वीं रैंक, पूरा मोहल्‍ला बांट रहा मिठाइयां

देश को आर्थिक मजबूती दिलाने के साथ ही, वुमेन एंपावरमेंट, एग्रीकल्चर और हेल्थ सेक्टर को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने की रहेगी प्राथमिकता : अनिशा गौहर

हर्षोदय टाइम्स (सतीश शुक्ला)

गोरखपुर की अनिशा गौहर ने इंडियन इकोनॉमिक सर्विसेज में 11वीं रैंक हासिल की है। मूलत: देवरिया की रहने वाली अनिशा ने अपनी प्राथमिकता में आईएएस को रखा ही नहीं। उनकी रुचि हमेशा से देश की आर्थिक नीतियों का हिस्‍सा बनने की थी। इसीलिए उन्‍होंने आईईस को ही चुना।


गोरखपुर की अनिशा गौहर (Anisha Gauhar IES Topper) ने इंडियन इकोनॉम‍िक सर्विस (IES) की परीक्षा में देश भर में 11वीं रैंक हासिल कर शहर और प्रदेश का नाम रोशन किया है। अनिशा फिलहाल, वुमेन एंपावरमेंट विषय पर आईआईटी खड़गपुर से शोध कार्य कर रही है। बेटी की सफलता से परिवार के लोगों में खुशी की लहर है। अनिशा मध्‍यम वर्गीय परिवार से हैं। उनके पिता संत कबीर नगर की एक तहसील में पेशकार हैं।


मूलतः देवरिया जिले के कमरिया के रहने वाले अहमद सिद्दकी की बेटी अनिशा गौहर की इस सफलता से जहां एक तरफ पूरा परिवार खुश है वहीं गांव और मोहल्ले के लोग भी खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। मोहल्ले वालों का कहना है कि बिटिया की सफलता से हम सभी खुश हैं। वे भी परिवार सहित एक दूसरे का मुंह मीठा करा कर खुशिया मना रहे हैं।


गोरखपुर के शास्त्रीनगर मोहल्ले में अपने परिवार के साथ रहने वाली अनिशा गौहर ने बताया कि यह उनका तीसरा प्रयास था, जिसमें उन्‍हें कामयाबी मिली है। अनिशा की प्राथमिक शिक्षा से लेकर बीएससी तक की पढ़ाई गोरखपुर में ही हुई है। उन्‍होंने वर्ष 2019 में एमएससी इकोनॉमिक्स आईआईटी रुड़की से किया। जिसके बाद वह आईआईटी खड़कपुर से वुमेन एंपावरमेंट में शोध कार्य कर रही हैं। इस दौरान वह लगातार यूपीएससी की परीक्षा देती रही। आखिरकार अनिशा की मेहनत और लगन रंग लाई।

देश की आर्थिक नीतियों पर अनिशा का फोकस

अनिशा कहती हैं मैं आईएएस नहीं बनना चाहती थी। मेरी इच्‍छा देश की आर्थिक नीतियों पर काम करने की थी इसीलिए मैंने आईईएस को अपने विकल्‍प के तौर पर चुना। अनिशा का मकसद देश को आर्थिक मजबूती दिलाने के साथ ही, वुमेन एंपावरमेंट, एग्रीकल्चर और हेल्थ सेक्टर को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करना है। इसलिए वह आर्थिक नीतियों के बनाए जाने का हिस्सा भी बनना चाहती थीं।


अनिशा के पिता अहमद सिद्दीकी संत कबीर नगर के मेहदावल तहसील में बतौर पेशकार हैं। वह बताते हैं कि देवरिया छोड़कर गोरखपुर आकर बसने के पीछे मकसद बच्‍चों को अच्‍छी शिक्षा मुहैया कराना था।


अनिशा की मां का नाम खुशबुन निशा एक गृहणी हैं। अनिशा के बड़े भाई अतिकुर्रहमान मैकेनिकल इंजीनियर हैं। छोटा भाई आईआईटी खड़कपुर से कंप्यूटर साइंस में एमटेक है। एक और छोटा भाई सरफुद्दीन सिद्दीकी इंडियन एयरफोर्स में गाजियाबाद में तैनात है। सबसे छोटी बहन शमां परवीन IIITDM जोधपुर से मास्टर इन डिजाइन का कोर्स कर रही है।


अनिशा अपनी सफलता का श्रेय परिवार के माहौल और माता-पिता के समर्पण के साथ सही मार्गदर्शन को देती हैं। अनिशा का कहना है कि शिक्षकों जिसमें विशेषकर डाॅ धनञ्जय मणि त्रिपाठी सर का विशेष मार्गदर्शन और मित्रों का हौसला भी मेरी इस सफलता मे बड़ा काम आया है। इस सफलता के पीछे सबसे अहम भूमिका किसकी है? इस सवाल पर अनीशा भावुक हो जाती हैं। अपनी आंखों में आंसू लिए कहती हैं कि इस सफलता के पीछे सबसे बड़ा त्याग और बलिदान किसी ने किया है तो वह मेरे बड़े भाई हैं।

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