युवा कवि नवल के गज़ल संग्रह “ख्वाहिशों का जंगल” का हुआ विमोचन
मानवीय सम्वेदनाओं के यथार्थ से रूबरू करवाने में समर्थ हैं मृत्युंजय उपाध्याय की रचनाएं : जयंती त्रिपाठी
नई पीढ़ी में साहित्य सृजन की समृद्ध परंपरा की हमराह हैं नवल की गजलें: डॉ. दीनबंधु शुक्ल
परतावल/महराजगंज, 20 जनवरी (हर्षोदय टाइम्स): पंचायत इंटरमीडिएट कॉलेज, बाजार परतावल बाजार महाराजगंज में आज युवा साहित्यकार मृत्युंजय उपाध्याय नवल की पुस्तक ख्वाहिशों का जंगल का लोकार्पण किया गया इस अवसर पर विद्यालय की प्रबंधक श्रीमती जयंती त्रिपाठी ने कहा कि ख्वाहिशों का जंगल ग़ज़ल संग्रह में प्रेम और प्रकृति की अनुभूति और दर्शन होते हैं इसमें समग्र रूप से आम आदमी की पीड़ा, आक्रोश पर्यावरण की चिंता ,जीवन मूल्यों में गिरावट, नेता और चुनाव जैसे अलग-अलग और प्रासंगिक विषयों पर प्रस्तुति की गई है इस चिंतन पूर्ण संवेदनशील एवं सहज पठनीय और प्रासंगिक गजल संग्रह के लिए मैं मृत्युंजय उपाध्याय को बधाई और शुभकामनाएं देती हूं ।

विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ दीनबंधु शुक्ल ने कहा कि हिंदी पद साहित्य अपनी वैविध्यपूर्ण शैलियों के साथ-साथ ग्रहण वैचारिक पृष्ठभूमि एवं सामाजिक सरोकार के लिए जाना जाता है। हिंदी कविता को साहित्यिक दृष्टि से समृद्ध बनाने वाले कवियों की विस्तृत परंपरा को आगे बढ़ा रही नई पीढ़ी के कवियों से भी काफी उम्मीदें जगी है। मृत्युंजय उपाध्याय नवल भी उम्मीद जगाती इस समृद्ध परंपरा की अगली कड़ी है। नवल के इस ग़ज़ल संग्रह में जीवन है, प्रेम है ,जीवन संघर्ष है ,और मानवीय संवेदनाएं व भावनाएं जीवन की बेबसी और चालाकियां भी हैं।
विद्यालय के संरक्षक धीरेन्द्र कृष्ण त्रिपाठी ने कहा कि नवल यथार्थ से मुंह नहीं मोड़ते वे जन आकांक्षाओं के कवि हैं, उसके सौंदर्य के कवि है, संघर्ष के कवि हैं, जहां तक प्रेम कविताओं का प्रश्न है तो उसमें भी जीवन का यथार्थ परिलक्षित होता है। उनमें प्रेम की पीड़ा और मर्म है मिलन का उत्साह है, तो विरह की वेदना है, प्रेम को सही अर्थों में समझने का प्रयास है, प्रेम के साथ जीवन संघर्ष को भी रेखांकित करने का प्रयास है।
इस अवसर पर कवि मृत्युंजय उपाध्याय नवल ने सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अपनी संग्रह से कुछ रचनाओं का पाठ किया कार्यक्रम का संचालन अजीत श्रीवास्तव ने किया इस अवसर पर आनंद सोनी, डॉ अंशुमान त्रिपाठी ,रवि द्विवेदी, ललित, अनुराग दुबे ,अरविंद कुमार, श्री राम हरे राम नारायण अवधेश जी रासेन्द्र मिश्र ,ज्योति श्रीवास्तव, सारिका पांडे, मंजरी त्रिपाठी ,अनीता त्रिपाठी ,शशि प्रभा मिश्रा, दिग्विजय, नबी आलम, सौरभ पाठक आदि लोग मौजूद थे।