मौनी अमावस्या के दिन मौन, तर्पण और श्राद्ध से मिलता है अक्षय सुख
यशवीर कृष्ण त्रिपाठी
हिन्दू धर्म में माघ मास को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस मास में पड़ने वाले व्रत एवं त्यौहारों का भी विशेष महत्व है। शास्त्रों में बताया गया है कि माघ मास में पवित्र स्नान एवं दान करने से व्यक्ति को पुण्य के समान फल की प्राप्ति होती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि अर्थात 21 जनवरी 2023, शनिवार के दिन मौनी अमावस्या पर्व मनाया जा रहा है। इस विशेष दिन पर पवित्र स्नान एवं तर्पण का विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि जिस दिन सूर्य देव चंद्रमा के साथ मकर राशि में विराजमान होते हैं, उस दिन को मौनी अमावस्या कहा जाता है। स्कंद पुराण में यह भी बताया गया है कि मौनी अमावस्या के दिन भगवान सूर्य की उपासना करने से और तर्पण आदि करने से व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मौनी अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से विशेष लाभ मिलता है।
स्कंद पुराण में बताया गया है कि पवित्र स्नान के बाद तिल, तिल से बने लड्डू, तिल का तेल, वस्त्र, दूध, वस्त्र या धन का दान करने से अक्षय सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन समर्थ्य अनुसार जरूरतमंद लोगों को भोजन कराने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है।
महापुराण में यह भी बताया गया है कि इस दिन गंगा नदी में पवित्र स्नान करने बाद व्यक्ति को तिल और गुड़ से तर्पण इत्यादि जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति पुण्य का भोगी होता है। साथ ही वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
इसके साथ यह भी बताया गया है कि जो लोग पूर्ण श्रद्धा भाव गंगा के अविरल धारा में गुड़, घी, तिल और खीर को प्रवाहित करते हैं, उनके पितरों को तृप्ति प्राप्त हो जाती है। साथ ही व्यक्ति को मनोवांछित फल प्राप्त होने का आशीर्वाद मिलता है।
मौनी अमावस्या के विशेष दिन पर व्यक्ति को गंगा स्नान एवं दान के साथ-साथ कुछ अन्य बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। जैसे- व्यक्ति को इस दिन गलत विचार मन में नहीं लाने चाहिए। उन्हें कुछ भी अशुभ नहीं सोचना चाहिए और सूर्य को अर्घ्य देते समय ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ या ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।
मौनी अमावस्या पर मौन रहने का विशेष महत्व
मौनी अमावस्या के दिन मौन धारण करने का विधान है। इस दिन मौन रखने से पुण्य की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या से जुड़े कुछ नियम भी हैं जिनका पालन करना आवश्यक माना गया है। मौनी अमावस्या पर मौन रहने से अंतर्मन शांत होता है और आध्यात्म की ओर बढ़ता है। इस दिन मौन रहने से तनाव में कमी आती है। एकाग्रता बढ़ती है। साथ ही, नकारात्मक ऊर्जा (नकारात्मक ऊर्जा हटाने के उपाय) दूर होती है। इस दिन मौन रहने के पीछे का कारण एक यह भी है कि इससे व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर होता है। इस दिन मौन रहकर किया गया भजन, पूजा-पाठ भगवान तक जल्दी पहुंचता है और व्यक्ति के स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत का पालन करते हुए किसी भी इच्छा की पूर्ति के लिए संकल्प लिया जाए तो वह शीघ्र पूरा होता है। पाप कर्मों से व्यक्ति को मुक्ति मिल जाती है। मौनी अमावस्या के दिन सूर्य देव (सूर्य देव की आरती) को अर्घ्य जरूर देना चाहिए। मौनी अमावस्या के दिन नदी में स्नान अवश्य करना चाहिय।
नदी में स्नान संभव न हो तो घर के पानी में गंगाजल मिलाकर नहाना चाहिए। मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर जितना भजन हो सके उतना करना चाहिए। मौनी अमावस्या के दिन किसी गरीब या जरूरतमंद को भोजन अवश्य कराना चाहिए। मौनी अमावस्या के दिन अनाज के साथ-साथ तिल, आंवला और घी का दान करना चाहिए। मौनी अमावस्या के दिन वस्त्र, कंबल या पलंग का दान भी शुभ माना जाता है। मौनी अमावस्या के दिन गौ दान करना बेहद शुभ फलदायी है।
मौनी अमावस्या के दिन स्वर्णदान या भूमि दान करना भी धन लाभ करा सकता है।