गोरखपुर

मां लगा रही है गुहार बेटे की हिफाजत के लिए

हर्षोंदय टाइम्स – हरीश उपाध्याय, गोरखपुर

जेल कर्मियों को 200 न देने पर पीटकर कर दिया है जख्मी

गोरखपुर:- जिला जेल गोरखपुर में निरुद्ध बंदी के साथ मारपीट की घटना में परिजनों के न्याय की गुहार पर माननीय न्यायालय ए सीजेएम( द्वितीय) गोरखपुर ने वरिष्ठ जेल अधीक्षक से मामले की 3 दिन के अंदर रिपोर्ट मांगी l
थाना शाहपुर अंतर्गत आवास विकास कॉलोनी निवासी शाहिदा खातून पत्नी नसरुद्दीन ने जेल कर्मियों पर आरोप लगाया कि मेरे बेटे मैनुद्दीन को अमानवीय तरीके से पीटकर जख्मी कर दिया है।

मैनुद्दीन पिछले 5 महीने से जिला जेल गोरखपुर में निरुद्ध है, शाहिदा खातून ने बताया कि मैं 11 जनवरी को अपने बेटे से मिलने जेल में गई थी। वहां मेरे बेटे को 2 लोग उठाकर लेकर आए थे। मेरा बेटा ठीक से चल भी नहीं पा रहा था,पूछने पर बेटे ने बताया कि 9 जनवरी को मैं अपने बैरिक से जूता लेने गया। इस पर जेल के दो कर्मियों ने मुझसे ₹200 की मांग की। मैंने पैसे नहीं दिए तो मुझे और बहुत मारा, जिससे मेरे कमर में चोट लग गई और मैं चल नहीं पा रहा हूं। मां बेटे की हालत देख रो पड़ी। मैनुद्दीन की मां शाहिदा ने बताया कि मैंने न्याय के लिए के लिए माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को भी पत्र लिखकर सूचित किया है तथा माननीय न्यायालय ए सीजेएम (द्वितीय) से भी मांग की है कि जांच करवा कर दोषियों को दंड और मेरे बेटे का ठीक ढंग से इलाज कराया जाए। पीड़िता की अर्जी पर माननीय न्यायालय एसीजेएम सेकंड द्वारा वरिष्ठ जेल अधीक्षक से 3 दिनों के अंदर रिपोर्ट देने के आदेश दे दिए।

शाहिदा के द्वारा नियुक्त एडवोकेट विशाल त्रिपाठी ने कहा कि जेल अधीक्षक को 3 दिन के भीतर उपस्थित होने का न्यायालय ने आदेश दिया था परंतु शुक्रवार तक जेल अधीक्षक ने ना ही रिपोर्ट सौंपी है ना ही खुद उपस्थित हुए हैं। साथ साथ अब न्यायालय की अवमानना के दोषी हैं।

वरिष्ठ जेल अधीक्षक ओ पी कटियार ने बताया कि मैनुद्दीन पुत्र नसरुद्दीन कारागार के नियमों का पालन नहीं करता है। वह अन्य बंदियों के साथ झगड़ा लड़ाई करता रहता है। जेल की कोई भी ऐसी बैरिक नहीं है, जिसमें वह न रह चुका हो। जिस भी बैरिक में जाता है 4-6 बदमाशों का ग्रुप बनाकर आपस में झगड़ा मार पिटाई करता रहता है 24 दिसंबर को 7 लड़के आपस में ग्रुप बनाकर बैरिक बंद होने के बाद झगड़ा किये थे । पुनः 7 जनवरी को 4 बदमाश लड़कों ने आपस में ग्रुप बनाकर फिर झगड़ा किये थे।जिसके बाद मैनुद्दीन को 29 नंबर बैरक में रखा गया था।

9 जनवरी को मैनुद्दीन दीवार फांद कर 29 से 24 नंबर बैरिक में जाने का प्रयास कर रहा था, जिसमें अपने दोस्तों के साथ रहने की जिद कर रहा था। ड्यूटी प्रभारी के रोकने पर अभद्र शब्दों से बात करने लगा उस पर ड्यूटी प्रभारी ने उसे डांट डपट कर अपने बैरिक में जाने के लिए कहा, जहां तक मार पिटाई की बात है ड्यूटी पर बंदी रक्षकों को डंडा भी साथ रखने की अनुमति नहीं है,अतः मार पिटाई का आरोप निराधार है। पैर में चोट लगने की बात पर उन्होंने बताया कि उसके पैर में पहले से राड पड़ा हुआ है और आपसी झगड़ों में ही उसे चोट लगी है। किसी बंदी रक्षक द्वारा उसे किसी प्रकार की प्रताड़ना नहीं दी गई है। परिजनों का आरोप निराधार और बेबुनियाद है,न्यायालय मे भी शिकायत की गई है। जिसके लिए सूचना मांगी गई थी जिसकी आख्या बनाकर न्यायालय को 16 जनवरी को ही भेज दी गई है।

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