उत्तर प्रदेशमहराजगंज

दामन दागदार और मुकदमे अपरंपार, फिर भी मलाईदार कुर्सी पर बैठे है सरकार

  • सवालों के घेरे में बीएसए महराजगंज, चौक चौराहों पर जनता पूछ रही है सवाल – सरकारी धन के मामलों में जेल जा चुके संविदाकर्मियों पर इतनी मेहरबानी क्यों?
  • मलाईदार पटल की जिमेदारी आपराधिक मामलों में जेल जा चुके संविदाकर्मियों को देने का मामला
  • महराजगंज जिले के बेसिक शिक्षा विभाग के सर्व शिक्षा अभियान में वर्ष 2010 में करीब पौने दो करोड़ रुपए के घोटाले का मामला

हर्षोदय टाइम्स (महराजगंज)

बेसिक शिक्षा शासन की नजर में महत्वपूर्ण विभाग है क्योंकि इसके जिम्मे ऐसे बच्चों के शिक्षा की जिम्मेदारी है जिन्हें पहली बार मां-बाप अक्षर ज्ञान सीखने के लिए स्कूल भेजते हैं। पर बच्चों के स्कूल के विभाग बेसिक शिक्षा विभाग की कार्य पद्धति और कामकाज पर नजर डालें तो भ्रष्टाचार मुक्त शासन का दावा करने वाली प्रदेश सरकार के सिस्टम पर सवाल उठना लाजिमी है। महराजगंज जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी आशीष कुमार सिंह के कार्यालय के कर्मी व उनके कामकाज पर गौर करेंगे तो आप निश्चित ही चौक उठेंगे! क्योंकि यहां ऐसे-ऐसे कर्मचारियों को आम भाषा में मलाईदार कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई है जिनके दामन दागदार हैं और उनपर आपराधिक मामलों में मुकदमे दर्ज हैं। कुछ जेल जाने के बाद जमानत पर छूट कर आए हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जो अपने उपर दर्ज मुकदमों में कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहे हैं। जिससे उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट तक कोर्ट से जारी हो चुका है। साफ शब्दों में इसका अर्थ यही है कि कोर्ट पुलिस को गैर जमानती वारंट के अभियुक्त कर्मी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश दे चुकी है। लेकिन सब इस कारण से अनभिज्ञ हैं कि बीएसए आशीष कुमार सिंह की ऐसी भी क्या मजबूरी है जो कार्यालय के दागी छवि के बाबुओं व कर्मियों को महत्वपूर्ण कार्य से वह मुक्त क्यों नहीं कर पा रहे हैं?

सर्च इंजन गूगल पर सर्व शिक्षा अभियान घोटाला सर्च करने पर महराजगंज जिले के बीएसए कार्यालय के कर्मियों का कच्चा- – चिट्ठा खुल जाएगा। महराजगंज जिले के बेसिक शिक्षा विभाग के सर्व शिक्षा अभियान में वर्ष 2010 में करीब पौने दो करोड़ रुपए का घोटाले का मामला सामने आया था। इसमें विभाग से 7 दिसंबर 2009 को 98 लाख 60 हजार रुपए का एक चेक कैरियर एजुकेशनल सोसाइटी चिनहट लखनऊ की संस्था के से हुआ था। दूसरा चेक 83 लाख 45 हजार रुपए 4 फरवरी 2010 को बलरामपुर की संस्था अमित एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी के नाम से काटा गया था। यह चेक बैंक में भुगतान के लिए जब 8 मार्च 2010 को लगाया गया तो मार्च क्लोजिंग माह होने की वजह से बैंक के अफसरों ने विभाग से भुगतान के संबंध क्लीयरेंस के लिए फोन किया। इस फोन काल ने सनसनी मचा दी। पता चला कि बलरामपुर की फर्म से ऐसा कोई कार्य नहीं कराया गया जिसके बदले 83 लाख 45 हजार रुपए का भुगतान हो सके। बैंक ने भुगतान पर रोक लगाते हुए बताया कि 21 दिसंबर 2009 को इसी तरह का 98 लाख 70 हजार रुपए का भुगतान कैरियर एजुकेशनल सोसाइटी चिनहट लखनऊ को विभाग चेक के माध्यम से किया जा चुका है। तत्कालीन बीएसए राम हुजूर प्रसाद ने इस मामले में कोतवाली में तत्कालीन लेखाकार यशवंत सिंह व तत्कालीन सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी सर्व शिक्षा अभियान के खिलाफ कोतवाली धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया। बाद में कोर्ट के आदेश पर पुर्नविवेचना में तत्कालीन बीएसए राम हुजूर प्रसाद भी आरोपी बने। इस मामले में यशवंत सिंह व ओपी सिंह समेत कई आरोपित बने। इसमें से सुनवाई के दौरान ओपी सिंह का निधन हो गया। केस दर्ज व जांच-पड़ताल शुरू होने के बाद चिनहट लखनऊ की फर्म कैरियर एजुकेशनल सोसाइटी ने 97 लाख 86 हजार 945 रुपया विभाग को वापस लौटा दिया। केवल 73 हजार 55 रुपया वापस नहीं हो पाया। इस मामले में संविदा पर तैनात सर्व शिक्षा अभियान के एकाउंटेंट संजय खन्ना समेत कई आरोपितों की गिरफ्तारी हुई। संजय खन्ना जेल से जमानत पर छूट कर आए। सर्व शिक्षा अभियान में महराजगंज बीएसए कार्यालय में तैनात एमआईएस इंचार्ज दिनेश मिश्रा भी धोखाधड़ी के मामले में जेल जा चुके हैं। जेल से जमानत पर छूट कर आए हैं। यशवंत सिंह की गिरफ्तारी नहीं हुई और ना ही वह जेल गए, लेकिन सर्व शिक्षा अभियान में घोटाला में उनका भी नाम होने की वजह से कोर्ट ने कुछ दिन पहले उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। जिसके खिलाफ वह कोर्ट में पहुंचे लेकिन उनकी याचिका खारिज हो गई। बताया जा रहा है कि वह हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी लगाए हैं जिस पर सुनवाई होना बाकी है।

बेसिक शिक्षा विभाग में कर्मियों के गिरेबान पर केवल सर्व शिक्षा अभियान का ही दाग नहीं लगा है। वर्ष 2013 में गोरखपुर के होटल रेसीडेंसी में छापेमारी में महराजगंज बीएसए कार्यालय में तैनात तत्कालीन तीन खंड शिक्षा अधिकारी व एमआईएस इंचार्ज दिनेश मिश्रा को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उनके कमरे से पांच लाख पन्द्रह हजार रुपया भी बरामद हुआ था। इस मामले में पुलिस के एफआईआर के मुताबिक होटल के कमरे में महराजगंज बीएसए कार्यालय के कर्मियों के पास से जो पैसा बरामद हुआ था उसकी वसूली शिक्षकों के ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर हुई थी। दिनेश मिश्रा समेत तीन बीईओ की गिरफ्तारी से गोरखपुर मंडल के बेसिक शिक्षा विभाग में सनसनी मच गई। तत्कालीन बीएसए व तत्कालीन लेखाकार यशवंत सिंह का भी नाम भी केस में आया. लेकिन विवेचना के दौरान तत्कालीन बीएसए व तत्कालीन लेखाकार यशवंत सिंह का नाम केस से हटा दिया गया।

सर्व शिक्षा अभियान में गैर जमानती वारंटी वरिष्ठ लिपिक यशवंत सिंह इस समय बीएसए कार्यालय में पूरे जिले भर के विभागीय मुकदमों के पटल का कार्य देख रहे हैं, जबकि वह कोर्ट घोटाले के मुकदमें में उनकी तलाश कर रही है। सरकारी पैसे के घोटाला के आरोप में जेल जा चुके संविदा कर्मी संजय खन्ना सर्व शिक्षा अभियान में एकाउंटेंट के पद पर कार्यरत हैं। वहीं जेल से जमानत पर छूट कर आए दिनेश मिश्रा एमआईएस इंचार्ज के पद के अलावा जिला समन्वयक के अतिरक्त पद का भी निर्वहन कर रहे हैं। इसमें से कुछ कार्य विभागीय सरकारी धन के लेनदेन से भी जुड़ा है। जेल जा चुके संविदा कर्मियों को महत्वपूर्ण कार्यों की जिम्मेदारी बरकार रखने पर बीएसए की भूमिका पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि विभाग में कई कार्य ऐसे हैं जिनमें पैसे के लेनदेन व मुकदमा संबंधी पटल से इतर है। उनको कम महत्व के दूसरे कार्यों की जिम्मेदारी दी जा सकती है, लेकिन महत्वपूर्ण कार्यों की जिम्मेदारी कहीं ना कहीं इस बात की तरफ इशारा कर रही है कि विभाग की दाल में कुछ तो काला जरूर है।

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