छठ पर गोबिन्द साहब के लाल गन्ने की गोला में धूम
स्थानीय 5 से 10 तो लाल गन्ने की 20 से 30 रूपये प्रति गन्ने हो रही बिक्री-
सुनील गहलोत (हर्षोदय टाइम्स)
गोरखपुर । दिवाली के उत्सव और उल्लास के बाद अब दूसरा बड़ा त्योहार छठ पूजा का आ गया है। दीपोत्सव पांच दिन तक चलता है तो छठ पूजा का पर्व भी चार दिनों तक चलता है। मुख्य रूप से बिहार से जुड़ा यह पर्व अब देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है।फलों के इस पूजा में गन्ना सबसे अहम होता है।अबकी बार छठ में अम्बेडकर नगर जनपद के प्रसिद्ध गोबिन्द साहब मेले का प्रमुख प्रसाद लाल गन्ने की गोला में खूब धूम मची है।मान्यता है कि लाल गन्ना गोविन्द साहब की समाधि के पांच कोस की परिधि में ही पैदा होती है।इससे अधिक दूरी पर बोये गये गन्ने वहां जैसे न तो लाल सूर्ख होते हैं ना ही वैसी मिठास ही होती है।इसे गोबिन्द साहब का आशीर्वाद स्वरूप ही माना जाता है।इस समय गोला में छठ पर सजे बाजार में लाल गन्ने की बिक्री जोरों पर है।जहां स्थानीय गन्ने की कीमत पांच से दस रूपये प्रति गन्ना है वहीं लाल गन्ने की कीमत 20 से 30 रूपये है।
इन्हीं गन्नों को घर की आकृति में सजाकर छठी मईया की पूजा की जाती है।कहा जाता है कि गन्ने को पूजा में रखने से छठी मईया प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि आती है।इस दिन लोग इस गन्ने के रस की खीर भी बनाते हैं। मान्यता यह है कि छठी मईया को गन्ना बहुत पसंद होता है इस लिए इसे चढ़ाए बिना छठ की पूजा पूरी नहीं होती।वहीं दूसरी मान्यता यह भी है कि छठ पूजा में सबसे पहले नई फसल का प्रसाद चढ़ाया जाता है, इसलिए प्रसाद के रूप में गन्ना जरूर चढ़ाना होता है। एक अन्य कहावत यह भी है कि गन्ने को पूजा में उपयोग करना इस लिए भी सबसे अच्छा बताया गया है क्योंकि इसे कोई पशु या पक्षी झूठा नहीं करता है और ये सबसे शुद्ध होता है।