अंतरराष्ट्रीय

भारत-नेपाल संबंधों पर प्रचंड का चीन को दो-टूक संदेश

सार

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल प्रचंड ने भारत और नेपाल के साथ रिश्तों पर बेबाकी से राय रखी है। प्रचंड इन दिनों चीन के आधिकारिक दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने चीनी सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स को इंटरव्यू दिया है। इस इंटरव्यू में उन्होंने भारत और चीन के बीच मध्यस्थता की भी परोक्ष रूप से पेशकश की है।

हर्षोदय टाइम्स : उमेश चन्द्र त्रिपाठी

काठमांडू/महराजगंज: – नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल प्रचंड एक हफ्ते की आधिकारिक यात्रा पर चीन पहुंचे हैं। वह 30 सितंबर तक चीन में ही रहेंगे। नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद प्रचंड की यह पहली चीन यात्रा है। चीन इसे बड़े मौके के रूप में भुनाने की पूरी कोशिश कर रहा है। चीन को नेपाल में भारत और अमेरिकी की बढ़ती मौजूदगी से चिंता सता रही है। यही कारण है कि प्रचंड की अगवानी में चीन ने पलक-पांवड़े बिछा रखे हैं। प्रचंड के प्रधानमंत्री बनने के बाद चीन को उम्मीद थी कि वह कम्युनिस्ट होने के कारण पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की तरह ही बीजिंग का समर्थन करेंगे। हालांकि, प्रचंड ने अपने 9 महीने के कार्यकाल में यह दिखा दिया है कि वह मंझे हुए राजनेता हैं, जो जानता है कि नेपाल जैसे छोटे और पहाड़ी देश को वैश्विक महाशक्तियों के बीच संतुलन के साथ कैसे रखना है।

भारत और चीन के साथ रिश्तों पर क्या बोले प्रचंड

चीन का मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स को दिए इंटरव्यू में प्रचंड ने भारत-नेपाल संबंधों पर खुलकर बात की है। उन्होंने यह भी बताया है कि नेपाल के लिए चीन के साथ रिश्ते भी काफी मजबूत हैं। प्रचंड ने कहा कि चीन और भारत दोनों के साथ नेपाल के संबंध अच्छे पड़ोसी, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और गुटनिरपेक्ष विदेश नीति के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होते हैं। नेपाल चीन और भारत के साथ स्वतंत्र रूप से व्यवहार करता है। एक पड़ोसी के साथ हमारा रिश्ता दूसरे के साथ हमारे रिश्ते से प्रभावित नहीं होगा, न ही हम एक दूसरे के खिलाफ खेलना चाहेंगे।

दोनों पड़ोसियों के साथ दोस्ती की जताई उम्मीद

प्रचंड ने कहा कि नेपाल के दोनों पड़ोसी घनिष्ठ मित्र और महत्वपूर्ण विकास भागीदार हैं। हम द्विपक्षीय आधार पर दोनों पड़ोसियों के साथ अपने संबंधों को विकसित करना जारी रखेंगे। यदि दोनों में से किसी के साथ कोई मतभेद उत्पन्न होता है, तो ऐसे मुद्दों को मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से हल किया जाएगा। हमारे दोनों निकटतम पड़ोसियों के साथ हमारे संबंध सुसंगत और स्पष्ट हैं। हम उनके साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहते हैं और साथ ही हम अपने दोनों पड़ोसियों के बीच भी मैत्रीपूर्ण और सहयोगात्मक संबंध देखना चाहते हैं।

भारत-चीन संबंधों में ‘मध्यस्थता’ का दिया प्रस्ताव

उन्होंने कहा कि भारत और चीन के सौहार्दपूर्ण और सहयोगात्मक संबंधों से नेपाल को भी मदद मिलेगी। व्यक्तिगत रूप से, मैं हमारे दोनों महत्वपूर्ण पड़ोसियों के बीच घनिष्ठ और सामंजस्यपूर्ण पड़ोसी संबंधों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हूं और इसमें सहायता करने के लिए तैयार हूं। नेपाल चीन और भारत दोनों के हितों का सम्मान करता है। हम एक जीत-जीत सहकारी मॉडल के विकास पर जोर देते हैं जो तीनों देशों को लाभ पहुंचाता है।

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