राष्ट्रीय

विमर्श : सृष्टि एवं संरचना का आधार है नारी शक्ति

  1. वात्सल्य, सौन्दर्य, प्रेम, करुणा, त्याग एवम् तपस्या का प्रतिरूप है नारी

इतिहास के झरोखे से विमर्श डेस्क हर्षोदय टाइम्स

सम्पूर्ण सृष्टि प्रकृति एवं पुरुष के संयोग पर आधारित है । संसार में सभी जैविक या अजैविक रचनाओं के पृष्ठभूमि में धनात्मक व ऋृणात्मक आवेशों का संयोग मात्र ही है । जिससे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का सृजन अर्थात् उत्पत्ति हुआ है ।


ऐसी ही प्राकृतिक सृजनशीलता की एक अनोखी कृति नारी है । यह माना जा सकता है कि नारी नर का ही विपरीतार्थक स्वरूप है । नारी ही सम्पूर्ण सृष्टि का आधार है । नारी सौन्दर्य, त्याग, तपस्या, करुणा, प्रेम एवं वात्सल्य का प्रतिरूप है ।


भारत जैसे महान देश में नारी के रूप में अनेक वीरांगनाओं का अवतरण हुआ है । जो अपनी वीरता, विद्वता एवं त्याग के कारण ख्याति प्राप्त की हैं । प्राचीनकाल में तारामती, सीता, राधा, रुक्मिणी, सती अनुसूईया, सती सावित्री जैसी पवित्र पूज्यनीय शक्तियों का प्रादुर्भाव हुआ है जो अपनी त्याग, तपस्या एवं सतीत्व के कारण आज भी आधुनिक नारियों के लिए अनूठा उदाहरण हैं ।
उसके पश्चात वैदिक काल में विश्वआरा, अपाला, घोषा, गार्गी, लोपामुद्रा, मैत्रेयी, सिकता एवं रत्नावलीआदि विदुषियों ने अपनी विद्वता का कीर्तिमान स्थापित किया है ।


बौद्धकाल में भी कई विदुषी महिलाएं हुई हैं यथा – भिक्षुणी खेमा, सुभद्रा, अमरा उदुम्बरा, भद्राकुण्ड केशा आदि । बौद्ध साहित्य से इनकी जानकारी प्राप्त होती है । थेरीगाथा में बौद्ध भिक्षुणियों द्वारा रचित गीतों का संग्रह है । इसमें उनकी विद्वता का परिचय मिलता है । महा प्रजापति गौतमी बौद्ध संघ में प्रवेश करने वाली पहली महिला थी ।


सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के लिए अपने पुत्र के साथ अपनी पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा था ।
मगध के सम्राट हर्ष वर्धन को कुशल शासन चलाने में उनकी बहन राजश्री का भी योगदान था । सल्तनत काल में रजिया सुल्तान प्रथम मुस्लिम शासिका थी जो अपनी कार्यकुशलता एवं योग्यता के कारण चार वर्षों तक शासन की । चाँदबीबी भारतीय मुस्लिम महिला योद्धा थीं जो बीजापुर और अहमदनगर की संरक्षक थीं । उसने अहमदनगर की रक्षा के लिए मुगल शासक अकबर की सेना से युद्ध किया था। रानी दुर्गावती महोबा के प्रसिद्ध चंदेल वंश की वंशज और गढ़ा काटंगा के गोंड साम्राज्य की रानी थीं । उन्होंने बड़े साहस और कुशल नेतृत्व से मुगल साम्राज्य की ताकत की सामना किया और युद्धभूमि में वीरगति को प्राप्त हुईं ।


भक्तिकाल में मीराबाई का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है । मीराबाई भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त थीं । वह कृष्ण भक्ति में पूरा जीवन समर्पित किया । अनेक कृष्ण भक्ति के गीतों का रचना की हैं । जो आज भी पाठ्यकमों में पढ़ाया जाता है । सावित्रीबाई फुले प्रथम महिला शिक्षिका थीं जो महिलाओं को शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष की और महिलाओं को सुशिक्षित बनाने के लिए सन 1848 ई0 में महाराष्ट्र के पुणे में देश के पहले बालिका स्कूल की स्थापना की थीं ।


झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए प्रथम स्वतंत्रता आन्दोलन 1857 ई० में अंग्रेजों के विरुद्ध अन्तिम साँस तक वीरतापूर्वक लड़ीं । उनकी वीरगाथा लिखते हुए महान कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने लिखा है – बुन्देले हर बोलो की मुँह हमने सुनी कहानी थी । खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी । कालान्तर में सरोजनी नायडू, बेगम हजरत महल, अरुणा आसफ अली, उषा मेहता, भीकाजी कामा, लक्ष्मी सहगल एवं कस्तूरबा गांधी आदि वीरांगनाओं ने आजादी की लड़ाई में प्रमुख भूमिका निभाई थीं । राष्ट्रीय झण्डे का प्रारूप मैडम भीकाजी कामा ही तैयार की थीं । रानी अहिल्या बाई होल्कर बनारस में बाबा विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्वार करायीं ।


आधुनिक काल में भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री एवं लौह महिला कही जाने वाली श्रीमती इंदिरा गांधी को शक्ति का अवतार माना गया है । जिनकी दृढ़ इच्छा शक्ति और कुशल नेतृत्व से सन 1971 ई० में स्वतंत्र राष्ट्र बांग्लादेश का अभ्युदय हुआ । अन्तरिक्ष के क्षेत्र में कल्पना चावला भारतीय मूल की प्रथम महिला अन्तरिक्ष यात्री थीं । सुनीता विलियम्स भी भारतीय मूल की अमेरिकी अन्तरिक्ष यात्री हैं जिन्होंने सर्वाधिक समयावधि तक अन्तरिक्ष में रहने का रिकार्ड कायम किया है । प्रथम भारतीय महिला राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल हैं जो देश को नये आयामों तक पहुंचायीं ।
डा० किरण बेदी भारतीय पुलिस सेवा की सेवानिवृत्त अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, भूतपूर्व टेनिस खिलाड़ी एवं राजनेता हैं ।वर्तमान में वह पुदुचेरी की उपराज्यपाल हैं । सन 1972 में भारतीय पुलिस सेवा में सम्मिलित होने वाली प्रथम महिला अधिकारी हैं ।


आजकल अनेक महिलाएं अपनी कार्यकुशलता एवं योग्यता के बल पर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हैं । पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं । ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जिस क्षेत्र में महिलाओं का विशेष योगदान न हो । ऐसी भी तमाम महिलाएं हैं जो अपने पूरे परिवार के पालन पोषण की जिम्मेदारी अपने सिर पर ले रखी हैं । उन्हीं महिलाओं की मिशाल पेश करतीं कटनी रेलवे स्टेशन पर 31 वर्षीय महिला कुली संध्या हैं । महिला कुली को देखकर लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं जो प्रतिदिन अपनी बूढ़ी सास और तीन बच्चों की अच्छी परवरिश का जिम्मा अपने कंधों पर लिए, यात्रियों की बोझ ढो रही हैं । रेलवे कुली का लाइसेंस अपने नाम बनवाने के बाद बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना करते हुए साहस और मेहनत के साथ जब वह वजन लेकर प्लेटफार्म पर चलती हैं तो लोग हैरत में पड़ जाते हैं और साथ ही उसके जज्बे को सलाम करने को मजबूर भी हो जाते हैं । कुली संध्या का कहना है, ” भले ही मेरे सपने टूटे हैं, लेकिन हौसले अभी जिंदा हैं । जिंदगी ने मुझसे मेरा हमसफर छीन लिया, लेकिन अब बच्चों को पढ़ा लिखाकर फौज में अफसर बनाना मेरा सपना है । इसके लिए मैं किसी के आगे हाथ नहीं फैलाऊंगी । मैं कुली नं० 36 हूँ और इज्जत की खाती हूँ । “

ऐसी महिला के जज्बे और हौसले से समाज को एक नई दिशा मिलती है । इस प्रकार हम देखते हैं कि ऐसी तमाम महिलाएं हैं जिनके पति नहीं होने की दशा में आत्मनिर्भर होते हुए परिवार की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हैं । आज पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को भी समान दर्जा प्राप्त होना चाहिए । बालिकाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है हालांकि शिक्षा के क्षेत्र में बालकों से अधिक बालिकाओं का प्रदर्शन अच्छा देखा जा रहा है । भारतीय संसद में 33 % महिलाओं को आरक्षण मिलना महिलाओं को सशक्त बनाने में भविष्य में मील का पत्थर साबित होगा ।
इस प्रकार पुरुषों को भी महिलाओं की भावनाओं और उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप कार्य करना चाहिए । प्रत्येक क्षेत्र में सफलता दिलाने का प्रयास करना चाहिए । पुरुषों को आगे बढ़ाने में महिलाओं की भी प्रमुख भूमिका है । महिला और पुरुष समाज रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं ।
महिलाओं की शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है । तभी आदर्श एवं सुसंगठित समाज की परिकल्पना सम्भव है । “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवता :। ” अर्थात् जहाँ नारियों की पूजा होती है वहाँ देवताओं का वास होता है ।

रवीन्द्र शर्मा : शिक्षक



नगर पंचायत – परतावल, जनपद – महराजगंज, उ०प्र०

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