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नेपाल के नेपालगंज में सांप्रदायिक उन्माद के पीछे कहीं कोई विदेशी साजिश तो नहीं ?

आईएसआई की गतिविधियों और भारत विरोधी तत्वों का हब बन गया है नेपालगंज और कृष्णानगर का यह क्षेत्र

हर्षोदय टाइम्स : उमेश चन्द्र त्रिपाठी

बहराइच/महराजगंज : नेपाल में सांप्रदायिकता की आग चौंकाने वाली है। यद्यपि कि ऐसी घटनाएं भारत-नेपाल सीमा के नेपाली इलाकों में हुई है लेकिन इसकी आंच जहां काठमांडू तक पंहुच रही है वहीं भारतीय क्षेत्रों के प्रशासन को भी अलर्ट मोड़ पर रहना पड़ा है। हैरत की बात यह है कि नेपाल जहां सांप्रदायिक उन्माद को हवा देने वाले तत्व थे ही नहीं वहां अचानक हिंसा होना कहीं कोई विदेशी साजिश तो नहीं ? नेपाल की प्रचंड सरकार इसकी जांच में जुटी हुई है।


बताते चलें कि पिछले कुछ महीनों में वहां ऐसे तत्वों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह एक तरफा भी नहीं है, ऐसे तत्वों में यह भयावह बढ़ोत्तरी दो तरफा है। अपेक्षाकृत हिमालय जैसे शांत स्वभाव वाले इस नन्हें राष्ट्र के लिए यह शुभ संकेत नहीं है। नेपाल एक ऐसा हिंदू राष्ट्र था जहां कभी सांप्रदायिक घटना नहीं सुनी गई। यहां खान पान को लेकर कभी हिंदू मुसलमानों में तफर्का नहीं हुआ। एक दूसरे के धर्मों के खिलाफ भी कभी कोई टिप्पणी नहीं सुनी गई। जहां तक खान पान की बात है तो बताने की जरूरत नहीं कि यहां के होटलों में सभी प्रकार के मांसाहारी भोजन बनते हैं जिसमें बीफ भी होता है और चिकन मटन भी होता है। होटल मालिक भी ज्यादा तर नेपाली मूल के हिंदू ही होते हैं। इन होटलों में सभी एक साथ खाना खाते हैं। जिसकी मर्जी में जो आए वो खाए, किसी को कोई एतराज नहीं रहता है। अब अचानक ऐसा क्या हो गया कि आए दिन बीफ को लेकर भी बवाल होने लगा और धार्मिक टिप्पणियों को लेकर उन्माद भी भड़कने लग गया। ऐसी घटनाओं से प्रचंड सरकार का हलकान होना स्वाभाविक है क्योंकि सांप्रदायिक घटनाओं से उसे पहली बार निपटना पड़ रहा है। बीते दिनों धरान और अन्य कई जगह गौकशी के बाद से ही नेपाल के हिंदू समुदाय में भारी आक्रोश है। नेपाल की राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और अन्य कई पार्टियों के नेताओं ने नेपाल में निरंतर हो रही गौकशी का विरोध किया है और इतना ही नहीं नेपाल में हिंदू राष्ट्र की मांग भी कर डाली है।


हाल के दिनों में भारत सीमा से सटे नेपाली इलाकों में गौ रक्षकों की भरमार हो गई। धर्म रक्षा रैलियां निकाली जाने लगी और इसे सीमावर्ती भारतीय क्षेत्रों के हिंदू संगठनों का भी भरपूर समर्थन मिल रहा है। नेपाल में हाल ही जो सांप्रदायिक उन्माद की घटना हुई वह भारत सीमा से सटे नेपालगंज के बांके जिले की है। जिसकी आंच काठमांडू तक तो पंहुची ही, भारत नेपाल सीमा पर भी खासा तनाव का माहौल उत्पन्न गया। यहां के लोग पिछले दस दिनों से कर्फ्यू के साए में रहने को मजबूर हैं। स्कूल,बाजार , आवागमन के साधन सब बंद है। नेपाल का यह जिला भारत सीमा पर यूपी के बहराइच जिले से सटा हुआ है। बताया जा रहा है कि कुछ रोज पहले बांके जिले के नरयनापुर गांव के रहने वाले कथित रूप से एक हिंदू युवक ने मुस्लिम धर्म के खिलाफ अपने फेसबुक और वाट्सएप पर टिप्पणी कर वायरल किया था। बताते हैं कि यह युवक बहराइच जिले में किसी हिंदू संगठन से भी जुड़ा हुआ है और बांके जिले में हिंदुओं को गोलबंद करने के लिए नफरती हरकतें करता रहता है। उस युवक के इस हरकत से मुस्लिम समाज का गुस्सा होना स्वाभाविक था और वे उस युवक के खिलाफ कार्रवाई चाहते थे। बांके का जिला प्रशासन यदि सूझ बूझ से काम लिया होता तो सांप्रदायिक उन्माद जैसी घटना को रोका जा सकता था। उसकी ढुलमुल रवैए के नाते मुस्लिम समाज सड़क पर उतरकर आरोपी युवक की गिरफ्तारी की मांग करने लगा। आरोपी युवक अब तक पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पायी है। फिलहाल बांके जिले की पुलिस उसे गिरफ्तार करने के प्रयास में है। इधर मुस्लिम समाज जब सड़क पर उतरा तो हिंदू समुदाय भी सड़क पर आ गया। बांके में ओंकार समाज के नाम से हिंदू संगठन बहुत मजबूत है लेकिन इस संगठन के ऊपर किसी धर्म के खिलाफ गलत टिप्पणी का आरोप इससे पहले नहीं लगा। दोनों समुदायों के सड़क पर उतरने के दौरान देखा गया कि प्रदर्शनकारियों में भारतीय नंबर प्लेट के दुपहिया वाहनों की भरमार थी। हालांकि ये दोपहिया वाहनों वाले दोनों तरफ के नागरिक बताये गये। यह दोनों ओर की सुरक्षा एजेंसियों की चूक थी। सीमावर्ती नेपाली कस्बे में तनाव की खबर पर बार्डर पर सुरक्षा व्यवस्था तगड़ी कर भारतीय वाहनों के प्रवेश को रोका जा सकता था जिसे बाद में किया गया। इस सांप्रदायिक घटना के दौरान हैरान करने वाली बात यह देखी गई कि दोनों ओर के बड़े बुजुर्गो के समझाने बुझाने का भी असर प्रदर्शनकारियों पर जरा भी नहीं पड़ा,दोनों ओर से एक दूसरे के खिलाफ भड़काऊ नारे लगते रहे।

भारत और नेपाल के बीच की जो भौगोलिक, सामाजिक और राजनीतिक परिस्थित है उसके हिसाब से दोनों देशों के बीच किसी भी घटना का असर एक दूसरे पर पड़ना स्वाभाविक है। मसलन इस वक्त भारत में हिंदू धर्म की बयार कुछ ज्यादा तेज है। बड़े बड़े राजनीतिक नेताओं द्वारा हिंदू राष्ट्र के पक्ष में खूब भाषण दिए जा रहे हैं। संसद भी इससे अछूता नहीं रहा। माना जा रहा है कि भाषणों का असर समूचे नेपाल में फैल गया है। नेपाल में वर्तमान समय में मुस्लिमों की आबादी बढ़ी है। भारत से सटे नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में बीते दस सालों में मकतब,मदरसे और मस्जिदों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि भी हुई है। भारतीय सीमा से सटे नेपाल का कृष्णा नगर क्षेत्र आईएसआई का अड्डा रहा है। जहां का पूर्व मंत्री मिर्जा दिलसाद बेगआईएसआई और दाऊद इब्राहिम के लिए काम करता था। हालांकि बाद में वह काठमांडू में मारा गया। लेकिन आज भी यह इलाका देश विरोधी तत्वों से खाली नहीं है। पूर्व में नेपाल सीमा पर स्थित भारत के इलाकों में हुए बड़े से बड़े सांप्रदायिक तनाव की आंच नेपाल तक नहीं पहुंचती थी। अयोध्या आंदोलन के समय भी नेपाल में शांति रही। जहां तक नेपाल में मुस्लिम जनसंख्या का सवाल है साल 2011 की जनगणना के अनुसार नेपाल में 81.3 प्रतिशत हिंदू,नौ प्रतिशत वौद्ध,4.4 प्रतिशत मुस्लिम,3.1प्रतिशत किरात और 0.1 प्रतिशत ईसाई थे। परंतु वर्तमान समय में अन्य जातियों के अलावा मुस्लिमों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। और यह इजाफा मेची से महाकाली तक भारतीय सीमा से सटे नेपाल के तराई के 23 जिलों में हुआ है।

राजतंत्र में नेपाल में हिंदू मुसलमान के बीच का सौहार्द एक मिशाल के तौर पर देखी जाती रही है लेकिन इधर बात बात पर सांप्रदायिक उन्माद से नेपाल अशांत हो रहा है। कर्फ्यू और बंदी उसे आर्थिक रूप से कमजोर कर रही है। पिछले कुछ महीनों में नेपाल में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं से प्रचंड सरकार का चिंतित होना स्वाभाविक है। हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन को बार-बार कर्फ्यू लगाना पड़ रहा है। हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों को सदैव चौकस रहना पड़ रहा है।


बांके जिले के अलावा पूर्वी नेपाल के धरान में भी एक उन्मादी वीडियो के वायरल होने से तनाव भड़क उठा था। वीडियो में लोगों बीफ खाते हुए और गौकशी करते हुए दिखाया गया था। यह वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया तो हिन्दू संगठन उद्वेलित हो उठा। कोशी प्रांत में गायों की रक्षा के लिए रैली निकाली गई। इस दौरान जमकर हिंसा और पत्थरबाजी हुई। मौके पर भारी संख्या में तैनात सुरक्षा कर्मियों किसी तरह हालात पर काबू पाया। पूर्वी नेपाल के मलंगवा और सर्लाही इलाकों में हालात को काबू करने के लिए काफी लंबे समय तक कर्फ्यू लगाना पड़ा था। मलंगवा इलाके में भगवान गणेश की प्रतिमा के विसर्जन के दौरान हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हिंसा भड़क उठी थी । नेपाल में आए दिन सांप्रदायिक घटनाओं के लिए विपक्षी दल प्रचंड सरकार पर आरोप लगा रहे हैं। वे कहते हैं कि प्रचंड नेपाल को हिंदू राष्ट्र की ओर ले जा रहे हैं। ऐसी घटनाओं के जरिए नेपाल में हिंदू राष्ट्र के समर्थकों को मजबूत किया जा रहा ताकि हिंदू राष्ट्र की मांग की धार और तेज हो। वहीं यह सवाल भी है कि आखिर नेपाल में साम्प्रदायिक हिंसा और बवाल के पीछे कौन है और किसकी रणनीति है?

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