लेहड़ा देवी मंदिर का सजा दरबार, नवरात्र पर आज से श्रद्धालुओं का लगा तांता

उमेश चन्द्र त्रिपाठी
महराजगंज (हर्षोदय टाइम्स) : उत्तर प्रदेश महराजगंज जिले में फरेंदा स्थित लेहड़ा देवी मंदिर का ऐतिहासिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। महाभारत काल में पांडवों ने इस क्षेत्र में वक्त गुजारा था। फरेंदा-बृजमनगंज मार्ग पर आर्द्रवन जंगल के पास यह मंदिर है। मंदिर के बगल में बहने वाले प्राचीन पवह नाला का विशेष महत्व है। मान्यता है कि यहां मौजूद देवी की पिंडी पर मत्था टेकने वालों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है। अगल-बगल के जनपदों के साथ ही पड़ोसी राज्य बिहार व मित्र राष्ट्र नेपाल से भी बड़ी संख्या में लोग श्रद्धा के साथ शीश नवाते हैं।

सदियों पुराना है लेहड़ा देवी का इतिहास
लेहड़ा देवी मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। जनश्रुतियों व किवदंतियों के अनुसार मंदिर के आस पास पहले घना जंगल हुआ करता था। जंगल में ही मनोरम सरोवर के किनारे माता की पिंडी स्थापित हुई थी। कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने अपने अज्ञातवास का कुछ समय यहीं व्यतीत किया था। इसी सरोवर के किनारे युधिष्ठिर ने यक्ष के प्रश्नों का जवाब देकर अपने भाइयों की जान बचाई थी। इस मंदिर की स्थापना द्रौपदी के साथ पांडवों ने की थी। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने इस मंदिर का उल्लेख अपने यात्रा वृतांत में किया है।
24 घंटे जलती है अखंड ज्योति
मुख्य मंदिर के बगल में ही पौहारी बाबा का प्राचीन मठ है। यहां 24 घंटे अखंड ज्योति जलती रहती है। नवरात्र व प्रत्येक मंगलवार को लोग यहां से भभूत (राख) ले जाते हैं। साथ ही मंदिर से प्रसाद के रूप में नारियल, चुनरी, लावा भी घर ले जाते हैं।
आसानी से पहुंचें लेहड़ा मंदिर
आनंदनगर रेलवे स्टेशन से फरेंदा बृजमनगंज मार्ग पर स्थित इस मंदिर तक जाने के लिए रेल व सड़क मार्ग की सुविधा है। जहां एक तरफ आनन्द नगर रेलवे स्टेशन से लेहड़ा मंदिर की दूरी लगभग चार किलोमीटर है तो वहीं दूसरी तरफ फरेंदा कस्बे से लगभग पांच किलोमीटर है। सड़क मार्ग से जाने के लिए आनंदनगर (फरेंदा) कस्बे के दीवानी कचहरी स्थित टैक्सी स्टैंड से जीप, आटो व बस की सुविधा उपलब्ध है।
भक्तों को आकर्षित करता है मां का स्वरूप
प्रारंभ में मंदिर केवल पिंडी स्वरूप में ही था। धीरे-धीरे मंदिर की ख्याति जब दूर-दूर तक फैलने लगी स्थानीय लोगों व मंदिर प्रबंधन के सहयोग से इस भव्य मंदिर का निर्माण हुआ। इसमें निरंतर विकास की प्रक्रिया जारी है। भक्तों को मां की प्रतिमा व मंदिर का स्वरूप आकर्षित करता है।

पूरी होती है मनोकामना
मंदिर के पुजारी पंडित हरिचंद पांडे का कहना है कि आर्द्रवन लेहड़ा देवी मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में लोग मिट्टी के हाथी, घंटा व अन्य वस्तुएं दान करते हैं। प्रसाद के रूप में लोग नारियल, चुनरी, लाई, रेवड़ी को प्रसाद के रूप में साथ ले जाते हैं।
क्या कहते हैं श्रद्धालु
श्रद्धालु आनन्द मणि त्रिपाठी, राम आसरे, युगल किशोर और आरती देवी का मानना है कि सच्चे मन से जो भी भक्त मां का दर्शन व पूजन कराता है माता रानी उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।