महराजगंज जिले से सटे भारत-नेपाल सीमा पर ऐसे होती है खुलेआम तस्करी?

चावल,उर्वरक और अन्य सामानों की तस्करी का हब बना महराजगंज जिले का सीमावर्ती क्षेत्र
तस्करों से मिली भगत के आरोप में सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात पुलिस कर्मियों पर लगातार गिर रही है गाज
नेपाल में पिछले दो माह में पकड़ा गया डेढ़ करोड़ का तस्करी का सामान
उमेश चन्द्र त्रिपाठी
महराजगंज (हर्षोदय टाइम्स) : महराजगंज: भारत-नेपाल सीमा पर स्थित गांवों और कस्बों में हर दिन सुबह होते ही कई ठिकाने निकटवर्ती नेपाल में चावल की तस्करी के अड्डे बन जाते हैं। बेरोजगार युवाओं से लेकर महिलाएं व बुजुर्ग तक, 10 से 100 किलोग्राम चावल से भरे छोटे-बड़े बैग लेकर सीमा पार करते हैं। यह सिलसिला दिन रात जारी रहता है।
खबर के मुताबिक चावल, उर्वरक और अन्य सामानों की तस्करी में शामिल तस्कर नेपाल में तस्करी करने के लिए ज्यादातर साइकिल या मोटर साइकिल जैसे छोटे वाहनों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करते हैं और यहां तक कि पैदल भी चलते हैं। बेरोजगार युवा, महिलाएं और कभी-कभी बुजुर्ग भी स्थानीय तस्करों के लिए वाहक के रूप में काम करते हैं।

नेपाली व्यापारियों द्वारा सीमा पार स्थापित गोदामों में एक क्विंटल चावल पहुंचाने के लिए उन्हें 300 रुपये तक का भुगतान किया जाता है। उनमें से अधिकांश जितना संभव हो, उतना पैसा कमाने के लिए कई चक्कर लगाते हैं।
सूत्रों ने बताया कि लक्ष्मी नगर, ठूठीबारी, निचलौल, परसा मलिक, बरगदवा, भगवानपुर, श्यामकाट, फरेंदी तिवारी , हरदी डाली और खनुवा कुछ ऐसे गांव हैं, जहां से नेपाल जाना बहुत आसान है और इसलिए ये रास्ते हर तरह के सामानों की तस्करी के लिए पूरी तरह से मुफीद हैं।
उत्तर प्रदेश का महाराजगंज जिला नेपाल के लुंबिनी प्रांत के नवलपरासी और रूपंदेही जिलों के साथ 84 किलोमीटर लंबी खुली सीमा साझा करता है। बताया जाता है कि नेपाली व्यापारियों ने सीमा पर छोटे-छोटे गोदाम बनाए हैं, जहां तस्कर समय- समय पर तस्करी का सामान पहुंचाते रहते हैं। गोदामों को हर हफ्ते खाली कर दिया जाता है और वहां इकट्ठा चावल, उर्वरक या अन्य सामानों को एक बड़े गोदाम में ले जाया जाता है।
कैरियरों द्वारा अधिकांश काम सुबह और रात के अंधेरे में ही किया जाता है। चावल पहुंचाने के लिए वे अपने घरों से एक किलोमीटर तक की यात्रा करते हैं। वे 10 किलो या उससे अधिक वजन वाले चावल के बैग ले जाते हैं। गतिविधि में दूसरा उछाल दोपहर के भोजन के बाद आता है, जब अधिकांश स्थानीय लोग घर के अंदर होते हैं और दोपहर की शांति का आनंद लेते हैं। कुछ कैरियर शाम को सूरज ढलने के बाद भी चावल की बोरियां ले जाते हैं। वे रात में शायद ही कभी चलते हैं, क्योंकि उस समय पकड़े जाने का जोखिम सबसे अधिक होता है।
अधिकारियों के मुताबिक, पिछले चार महीनों में सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) और पुलिस ने नेपाल में तस्करी कर ले जाया जा रहा 111.2 टन से अधिक चावल जब्त किया है। उन्होंने बताया कि चावल की तस्करी में शामिल अधिकतर लोग बेरोजगार हैं और वे स्थानीय तस्करों से चावल लेकर नेपाल चले जाते हैं।
सूत्रों का कहना है कि चावल की तस्करी रोकने के लिए अधिकारियों द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद, लाभ का बड़ा अंतर अवैध गतिविधि को बढ़ावा दे रहा है।
स्थानीय चावल व्यापारियों के अनुसार, भारत सरकार ने घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और आगामी त्योहारी सीजन के दौरान खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए जुलाई में गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके बाद नेपाल में चावल की कीमत पिछले कुछ महीनों में बढ़ गई है।
नेपाल से उत्तर प्रदेश के सात जिलों-महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर-खीरी और पीलीभीत की सीमा लगती है। कुछ गिनी-चुनी जांच चौकी को छोड़ दें, तो ज्यादातर सीमा खुली है और दोनों देशों के लोगों की बेरोक-टोक आवाजाही है।
स्थानीय चावल व्यापारीयों का कहना है कि प्रतिबंध से पहले जो व्यापारी नेपाल को चावल निर्यात करते थे,उस पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया। प्रतिबंध के बाद नेपाल में चावल की कीमतों में भारी बृद्धि हो गई।जो चावल भारत में 15 से 20 रुपये प्रति किलोग्राम बेचा जाता है, वह नेपाल में 70 रुपये प्रति किलोग्राम तक की कीमत पर बिक रहा है।’
व्यापारियों ने कहा कि तस्कर नेपाल में एक क्विंटल चावल ले जाने के लिए इन वाहकों को 300 रुपये तक का भुगतान करते हैं। बाकी मुनाफा तस्करों की जेब में जाता है। अधिक पैसा कमाने के लिए वाहक नेपाल के जितने संभव हो, उतने चक्कर लगाते हैं। स्थानीय व्यापारियों का दावा है कि बड़े पैमाने पर चावल की तस्करी के कारण पिछले कुछ महीनों में यहां चावल की कीमतें भी बढ़ी हैं।
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के एक पदाधिकारी ने कहा कि चावल की तस्करी बढ़ने से इसकी कीमतें बढ़ी हैं। जुलाई से पहले मोटा चावल 15 से 20 रुपये प्रति किलो ग्राम की कीमत पर मिलता था, लेकिन अब यह 30 से 35 रुपये प्रति किलो ग्राम बिक रहा है।
मूल्य वृद्धि ने जिले के अधिकारियों को तस्करी के संचालन को रोकने के प्रयासों को तेज करने के लिए मजबूर कर दिया है। महराजगंज के जिलाधिकारी अनुनय झा ने चावल तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए नेपाल सीमा से लगी नौतनवां और निचलौल तहसील में छह सदस्यीय दो टीमें तैनात की हैं। इन टीमों का गठन तीन अक्टूबर को किया गया था और इन्हें आगे की कार्रवाई के लिए तस्करी पर दैनिक रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
झा ने उसी समय था कहा था कि सीमावर्ती क्षेत्रों में तस्करी पर लगाम लगाने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। हम अभियान में एसएसबी अधिकारियों के साथ भी समन्वय कर रहे हैं।
आठ अक्टूबर को महराजगंज के पुलिस अधीक्षक कौस्तुभ ने परसा मलिक थाना क्षेत्र के सेवतरी पुलिस चौकी प्रभारी समेत छह पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया था। यह कार्रवाई सीमा के करीब स्थित पुलिस चौकी के अंतर्गत आने वाले इलाके से उनके चावल की तस्करी रोकने में नाकाम रहने के मद्देनजर की गई थी। बीते दिनों बकरों की तस्करी के आरोप में ठूठीबारी कोतवाल सहित कई पुलिस कर्मियों को पुलिस अधीक्षक महराजगंज डॉ कौस्तुभ ने निलंबित कर दिया था। बीते शनिवार को चीनी तस्करों और नेपाल पुलिस के बीच झडप के बाद नेपाल पुलिस ने तस्करों को दौड़ा- दौड़ा कर पीटा। शितलापुर में स्क्रैप की बरामदगी से यह स्पष्ट है कि भारत-नेपाल के महराजगंज जिले की समूची सीमा पर तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रहा है। पुलिस और प्रशासन का तस्करों में कोई भय नहीं है। उधर नेपाल के भैरहवा सशस्त्र प्रहरी बल के डीएसपी किशोर कुमार श्रेष्ठ ने बीते दो माह में लगभग डेढ़ करोड़ रुपए का तस्करी का सामान बरामद कर नेपाल कस्टम को सौंप दिया है। बरामद सामानों में, कास्मेटिक,मोटर पार्ट्स, चीनी, उर्वरक, चावल और अन्य सामान है। डीएसपी किशोर कुमार श्रेष्ठ का कहना है कि बरामद सामान भारत से तस्करी कर नेपाल लाया जा रहा था। जिसे पकड़ा गया है।