नेपाल के भैरहवा में राजा वीरेंद्र की मनाई गई 74 वीं जयंती

देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले दिवंगत राजा वीरेंद्र को आने वाली पीढ़ियां भी याद करेंगी – गोपाल शर्मा
मनोज कुमार त्रिपाठी/ उमेश चन्द्र त्रिपाठी
भैरहवा/महाराजगंज (हर्षोदय टाइम्स) : भारतीय सीमा से सटे नेपाल के भैरहवा स्थित बुद्ध चौक पर बीते शनिवार को पूर्व राजा श्री 5 महाराजधिराज वीरेंद्र बीर बिक्रम शाह देव की 74 वीं जयंती मनाई गई। शाह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख अतिथि गोपाल शर्मा ने कैंडल जलाकर और पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राजा वीरेंद्र नेपाल के इतिहास में एक जनप्रिय और न्यायप्रिय राजा के रूप में जाने जाते हैं। आज 22 साल बाद भी राजा वीरेंद्र करोड़ों करोड़ नेपालियों के दिलों में बसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले दिवंगत राजा वीरेंद्र को आने वाली पीढ़ियां भी याद करेंगी।
बता दें कि कम साक्षरता स्तर को राष्ट्रीय प्रगति में मुख्य बाधा के रूप में पहचानते हुए, राजा बीरेंद्र ने शिक्षा प्रणाली के विकास को अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाया। 1971 से शुरू हुई पंचवर्षीय योजना को मुख्य रूप से नए शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण और वर्तमान शिक्षा प्रणाली की दक्षता को उन्नत करने पर केंद्रित थी। अपने राज्याभिषेक के शुभ अवसर पर, राजा बीरेंद्र ने सभी नेपाली नागरिकों के लिए प्राथमिक शिक्षा निःशुल्क घोषित की थी। इसी प्रकार, 1978 में शाही मंजूरी से सभी शैक्षिक सामग्री शिक्षण संस्थानों में निःशुल्क वितरित की जाने लगी। राजा बीरेंद्र रॉयल नेपाल एकेडमी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के संरक्षक बने, जिसने देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के क्षेत्र में काम किया। उन्होंने क्षेत्र में भाषा और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए 1986 में महेंद्र संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की। नेपाल में 1976 में सामाजिक प्रथा सुधार अधिनियम (2033 बीएस) के तहत दहेज प्रथा को अपराध घोषित कर दिया था। पंचवर्षीय योजना के तहत, राजा बीरेंद्र ने राष्ट्रीय सेवा की नीति शुरू की जिसके तहत स्नातकोत्तर छात्रों को ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों में अपनी एक वर्ष की सेवा का योगदान देना आवश्यक था। उन्होंने 1975 में प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय की स्थापना करके इतिहास को संरक्षित करने की प्रक्रिया शुरू की। 22 सितंबर 1976 को उन्होंने देश में व्यापार, तस्करी या किसी भी प्रकार की नशीली दवाओं की तस्करी पर रोक लगाते हुए नारकोटिक ड्रग्स (नियंत्रण) अधिनियम, 2033 लागू किया। राजा बीरेंद्र ने जनसंख्या और दैनिक सड़क यातायात के अनुसार सड़क विकास और ग्रामीण क्षेत्रों को हवाई अड्डों से जोड़ने की नीति अपनाई। उन्होंने विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से कई सरकारी संगठनों का पुनर्गठन किया। उन्होंने सड़क निर्माण, स्वच्छता और वैज्ञानिक तथा तकनीकी प्रशिक्षण पर जोर दिया। केंद्रीय योजना एजेंसी के संबंध में किए गए एक व्यापक अध्ययन ने 1972 में राष्ट्रीय योजना आयोग के पुनर्गठन और 1987 में मामूली बदलावों को गति दी। सरकार की नीति मुख्य रूप से पर्यावरण संरक्षण, कृषि और शिक्षा पर केंद्रित थी।
इस अवसर पर डॉ राम प्रसाद बस्याल, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रज्जवल बोहरा, भैरहवा के पूर्व मेयर सागर प्रताप राणा, पूर्व सैनिक गणेश प्रसाद, राष्ट्रीय शक्ति संस्था के श्रीकांत पौड़ेल समेत बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक और महिलाएं उपस्थित रहीं।