उत्तर प्रदेशनेपालमहराजगंज

श्रीलंका , पाकिस्तान , नेपाल के बाद चीन की जाल में बुरा फंसा मालदीव

उमेश चन्द्र त्रिपाठी

काठमांडू/महराजगंज: भारत से विवाद के बाद मालदीव अब चीन की शरण में है। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने चीन से और ज्यादा पर्यटकों को मालदीव भेजने का अनुरोध किया है। उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की भी जमकर तारीफ की है। यह चीन की वही परियोजना है, जिसके चलते वह दुनियाभर के छोटे-छोटे देशों को अपने कर्ज के जाल में फांसता है। इन देशों पर चीन का कर्ज इतना ज्यादा हो जाता है, जिसका ब्याज चुकाने में भी वो असमर्थ होते हैं। इसका ताजा उदाहरण मालदीव का पड़ोसी श्रीलंका और पाकिस्तान हैं। अब चीन के कर्ज जाल में फंसने वाले देशों की सूची में भारत के हिमालयन पड़ोसी देश नेपाल का नाम भी शामिल हो गया है।

पोखरा में उतरी सिर्फ 5 अंतरराष्ट्रीय उड़ानें

हाल में ही खुलासा हुआ है कि चीनी कर्ज से बने पोखरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अब तक सिर्फ 5 अंतर्राष्ट्रीय चार्टर उड़ानें ही उतरी हैं। इस हवाई अड्डे पर परिचालन 1 जनवरी 2023 को शुरू हुआ था। जब चीन ने पोखरा में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण किया, तब उसने नेपाल को कई हसीन सपने दिखाए। चीन ने इस हवाई अड्डे को 10 लाख यात्रियों की क्षमता वाला बनाया है। लेकिन, यह हवाई अड्डा अब नेपाल के लिए बोझ बनता जा रहा है। इसका हाल श्रीलंका के हंबनटोटा हवाई अड्डे जैसा होता दिख रहा है, जो पिछले कई साल से वीरान पड़ा हुआ है। हंबनटोटा का हवाई अड्डा भी चीन ने ही बनाया है। यह हवाई अड्डा अपनी कमाई से सालाना बिजली का बिल तक नहीं भर पा रहा।

हवाई अड्डे की व्यवहारिकता पर सवाल

पोखरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नागरिक उड्डयन प्राधिकरण कार्यालय ने खुलासा किया है कि पूरे वर्ष में केवल पांच अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें हुईं हैं। इस खुलासे ने पोखरा के इस महत्वाकांक्षी परियोजना की व्यवहार्यता और प्रभाव के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं। पहली अंतर्राष्ट्रीय उड़ान 18 जून को उतरी, जब चीन के चेंग्दू से सिचुआन एयरलाइंस का एक विमान यहां पहुंचा। इस विमान में फेवा ताल में ड्रैगन बोट रेस फेस्टिवल में भाग लेने वाले 84 चीनी मेहमान सवार थे। हालांकि, उनकी वापसी की यात्रा काठमांडू से हुई।

पोखरा पहुंची सिर्फ एक कॉमर्शियल उड़ान

दूसरी अंतर्राष्ट्रीय उड़ान 8 सितंबर को पोखरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंची। यह ड्रुक एयर सर्विस की फ्लाइट थी, जिसने भूटान के पारो अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी। यह विमान केवल तीन यात्रियों को पोखरा लेकर आया और 42 विदेशी यात्रियों के साथ रवाना हुआ। नेपाल के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (सीएएएन) ने इसे पोखरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की पहली विदेशी वाणिज्यिक उड़ान के रूप में नोट किया। हालांकि, पोखरा आने वाले यात्रियों की कम संख्या से नेपाल में एयरपोर्ट अथॉरिटी को भारी निराशा हुई।

सहायता वाले विमानों को अंतर्राष्ट्रीय उड़ान गिन रहा नेपाल

तीसरी और चौथी उड़ान में 8 नवंबर को दो चीनी मालवाहक विमान जाजरकोट और रुकुम में भूकंप पीड़ितों के लिए चीनी सरकार द्वारा प्रदान की गई राहत सामग्री लेकर पोखरा पहुंचे। चीन ने मानवीय प्रयास में इस एयरपोर्ट के योगदान को लेकर काफी सराहना की। बड़ी बात यह है कि चीन से नेपाल पहुंचे वाले सहायता विमान को भी विदेशी फ्लाइट के तौर पर गिना गया। इसके बाद पांचवी उड़ान में 23 नवंबर को हिमालयन एयरलाइंस का एक विमान चीनी एथलीटों की एक टीम को पोखरा लाया। उड़ान में 95 लोग शामिल थे, जिनमें खिलाड़ी और खेल तकनीशियन शामिल थे, जो विशेष आयोजनों को पूरा करने के लिए हवाई अड्डे की क्षमता को उजागर करता है।

पोखरा हवाई अड्डे पर कितना कर्ज

पोखरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण एक्जिम बैंक ऑफ चाइना से 22 बिलियन रुपये की ऋण सहायता से किया गया था। नेपाल सरकार ने सात साल पहले चीन के एक्जिम बैंक के साथ 1.37 अरब चीनी युआन का ऋण समझौता किया था। हालांकि सरकार को ऋण के 25 प्रतिशत पर ब्याज देने से छूट दी गई है, जिसका अर्थ है कि उसे 344.46 मिलियन युआन पर ब्याज नहीं देना होगा, जबकि शेष राशि पर 2 प्रतिशत ब्याज देना होगा। इस ऋण की छूट अवधि 7 वर्ष है और इसे कुल 20 वर्षों में चुकाना होता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
.site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}