इंडो नेपालमहराजगंज

नियमों के पेच में उलझे भारतीय पर्यटक और कारोबारी

अफ्रीका से कमाया धन नेपाल में डूबने वाला है – संजू गोर्खाली रेस्टोरेंट मालिक भैरहवा नेपाल

नेपाल में पर्यटकों का न आने का मूल कारण ट्राफिक पुलिस की मनमानी – सुशील पौड़ेल अमृत होटल व्यवसाई भैरहवा नेपाल

उमेश चन्द्र त्रिपाठी/मनोज कुमार त्रिपाठी

सोनौली /महराजगंज : बीते चार माह में नेपाल सरकार ने नियम-कानून में कई बदलाव किए हैं। इससे भारतीय कारोबारी समेत पर्यटकों की मुश्किलें बढ़ गईं हैं। बैंकों में जाकर चालान की धनराशि जमा करने के प्रावधान के बाद ट्रक चालक नेपाल जाने से परहेज कर रहे हैं। वहीं, मुद्रा बदलने में पारदर्शिता नहीं होने से पर्यटक परेशान हैं। भारतीय मुद्रा के नेपाल में नहीं चलने से पर्यटकों को दिक्कत हो रही है। ऐसी समस्याओं को देखते हुए इन दिनों अब ज्यादातर लोग नेपाल जाने से परहेज कर रहे हैं।


जानकारी के अनुसार, पड़ोसी देश नेपाल में इन दिनों बदलाव की प्रक्रिया कुछ तेज हो गई है। दशकों से चल रहे नियम धीरे-धीरे बदल गए हैं। बदलते नियमों का असर सीमावर्ती क्षेत्रों में देखी जा सकती है। बीते दो माह में नेपाल में आने-जाने, नौकरी व व्यापार से जुड़े तकरीबन आधा दर्जन नियमों में फेरबदल हुए हैं। नियमों में बदलाव की इस प्रक्रिया का सबसे अधिक असर भारतीयों पर पड़ रहा है। जिनमें पर्यटक,व्यापारी एवं ट्रांसपोर्टर आदि शामिल हैं। नियम में बदलाव की वजह से नेपाल जाने वाले पर्यटकों से लेकर व्यापारियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। ऐसी स्थिति में पूरी जानकारी के बिना नेपाल जाने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

इसका असर यह हुआ है कि पहले 700 से अधिक ट्रक प्रत्येक दिन नेपाल जाते थे, अब 100 से 150 ट्रक ही जा रहे हैं। बाइक व कारें मिलाकर करीब 500 ही नेपाल जाती थीं, लेकिन अब इनकी संख्या 100 से 200 के बीच ही सिमट कर रह गई है। नियमों में बदलाव के कारण सीमावर्ती क्षेत्र में प्रत्येक दिन दो करोड़ का कारोबार प्रभावित हो रहा है। दूसरी तरफ, इन बदले नियमों की मार नेपाल के पर्यटन व्यवसाय पर भारी पड़ा है।

भारतीय रुपये का लेन-देन बंद,पर्यटकों की बढ़ीं मुश्किलें

नेपाल में जहां भारत और नेपाल के बीच बेटी-रोटी के साथ व्यापारिक संबंध है। वहीं,जिन भारतीय पर्यटकों की चाहत पड़ोसी देश नेपाल के पहाड़ी क्षेत्र और दर्शनीय स्थलों के भ्रमण की है, उनके लिए भारत का गौरव भारतीय रुपया पर्यटन के लिहाज से मुसीबत साबित हो रहा है। भारतीय 100 रुपये नेपाली करेंसी के मुताबिक नेपाली 160 रुपये होता है। पहले नेपाल के लगभग सभी स्थलों पर भारतीय रुपये आसानी से स्वीकार किए जाते थे, लेकिन अब नेपाल में भारतीय मुद्रा को स्वीकार नहीं किया जा रहा है। कहने को तो नेपाल में 25 हजार भारतीय मुद्रा ले जा सकते हैं, लेकिन नेपाल के व्यापारी, दुकानदार, होटल और पर्यटन से जुड़े सभी भारतीय मुद्रा लेने से साफ मना कर दे रहे हैं।

100 रुपये नेपाली मुद्रा से अधिक की खरीदारी पर शुल्क

नेपाल सरकार की ओर से कस्टम ड्यूटी (सीमा शुल्क) के नियम में किए गए बदलाव ने भारत की सीमावर्ती क्षेत्र के बाजारों में कारोबार को पूरी तरह चौपट कर दिया है। एक माह पूर्व तक ये बाजार नेपाली खरीदारों से गुलजार रहते थे, लेकिन सीमा शुल्क बढ़ते ही स्थिति बदल गई है। अब यहां के व्यापारी दिन भर खरीदारों का इंतजार कर रहे हैं। व्यापारियों की मानें तो सीमावर्ती क्षेत्रों के बाजारों में प्रतिदिन तीन करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार प्रभावित हो रहा है। अकेले सोनौली बाजार में प्रतिदिन दो करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हो रहा था। नेपाल की सीमा से लगते भारतीय क्षेत्र में दो माह पहले तक हर दिन करोड़ों रुपये का कारोबार होता था। इसी दौरान नेपाल ने कस्टम ड्यूटी में इजाफा कर दिया। फैसला लागू होते ही भारत के सीमावर्ती क्षेत्र के बाजार बेजार हो गए।

नियम का हो रही सख्ती से पालन

नए नियम के अनुसार नेपाली नागरिकों को भारतीय क्षेत्र से नेपाली 100 रुपये (भारतीय 62.50 रुपये) का सामान खरीदकर नेपाल ले जाने पर कस्टम शुल्क नहीं लगता। इससे अधिक की खरीद पर शुल्क का भुगतान करना पड़ेगा। इस वजह से नेपाल के ग्राहकों ने धीरे-धीरे भारतीय बाजारों में आना बंद कर दिया है। भैरहवा कस्टम कार्यालय पर कस्टम ड्यूटी से संबंधित नोटिस चस्पा किया जा चुका है। नेपाली अधिकारी इसका कड़ाई से पालन भी कर रहे हैं।

नेपाली खरीदारों से गुलजार रहते थे ये बाजार,अब है सन्नाटा

सोनौली, भगवानपुर, हरदी डाली, पेड़ारी, बरगदवा, ठूठीबारी, परसा मलिक, फरेन्दी बाजार , खनुवा , बरगदवा, परसा मलिक, ठूठीबारी , निचलौल, सिसवा, और नौतनवां के बाजारों में दो माह पहले तक नेपाली खरीदारों की भीड़ दिखती थी, लेकिन नेपाल की ओर से कस्टम ड्यूटी के नियम में बदलाव करने के बाद अब यहां के व्यापारी परेशान हैं। नेपाल के नियम में बदलाव करने से भारत के सीमावर्ती क्षेत्र में कारोबार चौपट हो गया है।

भंसार शुल्क बढ़ने से भारतीयों की जेब हो रही ढीली

नेपाल सरकार ने भारतीय वाहनों के भंसार शुल्क में वृद्धि कर दी है। एक दिन के लिए नेपाल में प्रवेश करने पर दो पहिया वाहन का शुल्क 113 रुपये से बढ़ाकर 150 रुपये नेपाली मुद्रा कर दिया है। चार पहिया वाहन ले जाने पर 452 रुपये लिए जाते थे, अब यह बढ़ा कर 600 रुपये नेपाली (375 रुपये भारतीय मुद्रा) लिया जा रहा है। प्रति चौबीस घंटे के लिए दो पहिया बाइक पर लगने वाला नेपाली भंसार नेपाली रुपये 113 से 150, चार पहिया वाहन पर 452 से बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया गया है। सैकड़ों भारतीय लोग प्रतिदिन नेपाल जाते हैं, उन पर प्रतिदिन के हिसाब से काफी मार पड़ रही है। इसके विपरीत भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने वाले नेपाली नंबर के वाहनों की भारतीय सीमा शुल्क कार्यालय में रजिस्टर पर सिर्फ कस्टम इंट्री होती है। नेपाली वाहनों को कोई सीमा शुल्क नहीं देना पड़ता है।

वाहनों के परमिट शुल्क में तीन गुने की बढ़ोतरी

नेपाल ने दो महीने में कई फैसले लिए है। ऐसे में भारत से नेपाल जाना अब और महंगा हो गया है। पड़ोसी देश ने वाहनों का परमिट शुल्क बढ़ा दिया है। अब दो पहिया वाहनों को नेपाली रुपये के स्थान पर 200 रुपये और चार पहिया वाहनों को 150 की जगह 500 नेपाली रुपये और बस के लिए 500 रुपए के स्थान पर 700 रुपये देने पड़ रहे हैं। दोनों देशों के नागरिक कई वर्षों से अपने सगे संबंधियों के यहां जाते रहे हैं। इसके साथ ही प्रतिदिन करीब 300 भारतीय पर्यटक वाहन नेपाल जाते हैं। भंसार शुल्क के बाद परमिट के बढ़ने से भारतीय यात्रियों और पर्यटकों को नेपाल यात्रा में ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है।

चालान जमा करने करने में गुजर रहा ज्यादा वक्त

नेपाल में ट्राफिक पुलिस का चालान बैंक में जाकर जमा करने के प्रावधान से भारतीय ट्रक चालकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जो ट्रक शाम चार बजे के बाद भंसार से बाहर जा रहे हैं। उनकी गाड़ी सीमा से सटे नेपाल बेलहिया में रोक ली जा रही है। नेपाल में प्रवेश करने पर ट्राफिक पुलिस बेलहिया के पास प्रति भारतीय ट्रक 1500 जुर्माना वसूलते हैं। यह समस्या कई वर्षों से है, लेकिन अब जुर्माना बैंकों में जमा करने की नई नीति लागू हुई है। इससे ट्रक चालकों को बेवजह दो दिन तक रुकना पड़ जाता है।

नेपाल में होटल व्यवसाय धाराशाई

भैरहवा स्थित रेस्टोरेंट मालिक संजू गोर्खाली ने बताया कि देश की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। मैंने अफ्रीका में जो कमाया उस पैसे से यहां आकर एक रेस्टोरेंट खोल लिया। मैंने सोचा कि अपने देश में ही जाकर कोई व्यवसाय करूं पर यहां की स्थिति तो और खराब हो गई। यहां होटल और रेस्टोरेंट के सारे व्यवसाई इस समय डूबने के कगार पर हैं। सायद एअरपोर्ट खुलता तो सभी के लिए अच्छा होता। पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह चौपट है। मन बहुत दुखी है। सरकार को इसके बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए और इसके निजात के लिए कोई सकारात्मक रणनीति बनानी चाहिए।

भैरहवा के एक अन्य होटल व्यवसाई सुशील पौड़ेल अमृत ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि एक समय था जब समूचा नेपाल भारतीय पर्यटकों से भरा पड़ा रहता था। लेकिन सरकार की गलत नीतियों और ट्राफिक पुलिस की मनमानी के कारण ही होटल व्यवसाय पर बुरा असर पड़ रहा है। इस समय बहुत ही दिक्कत है,व्यापार नहीं है कस्टमर आ नहीं रहे हैं। भारतीय पर्यटकों की संख्या पूरी तरह से शून्य हो गई है। उन्होंने कहा कि काठमांडू, पोखरा जाने पर ट्राफिक पुलिस द्वारा भारतीय पर्यटकों से दुर्व्यवहार किया जाता है। वह भी एक जगह नहीं रास्ते में 10 से 12 स्थानों पर ट्राफिक पुलिस चेकिंग अभियान चलाकर पर्यटकों को बेवजह परेशान करती है। यही कारण है कि अब भारतीय पर्यटक नेपाल आने से कतरा रहे हैं। सरकार को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
.site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}