नेपाल के भैरहवा में स्थित मोक्षधाम-चारधाम परिसर का मानव सेवा आश्रम पूरी तरह से है बेमिसाल

मानव सेवा ही ईश्वर सेवा – सुशीला केसी केंद्रीय महासचिव मानव सेवा आश्रम
इस आश्रम में अब 10 वृद्धजनों, दिव्यांगों को सेवा दी गई
2000 वृद्धजनों को उनके परिजनों से मिलाया गया
मनोज कुमार त्रिपाठी
भैरहवा नेपाल: भारतीय सीमा से सटे नेपाल के रूपंदेही जिले के भैरहवा में स्थित मोक्षधाम-चारधाम मंदिर परिसर में मानव सेवा आश्रम ने वृद्धजनों, दिव्यांगों और जरूरत मंदों की सेवा कर एक बेमिसाल उदाहरण प्रस्तुत किया है।
बता दें कि आज हमारे समाज में वृद्ध और दिव्यांग लोगों को दोयम दर्जे के व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है। पूरी दुनिया में तेजी से सामाजिक परिवर्तनों का दौर चालू है और इस कारण वृद्धों और दिव्यांगों की समस्याएं विकराल रूप धारण कर रही हैं। हमारे धर्म में तो माता- पिता को सबसे ऊंचा दर्जा प्राप्त है। देवताओं में सर्वोच्च स्थान रखने वाले गणेश तक ने अपने माता-पिता के चारों ओर चक्कर लगाकर उन्हें ही पूरा संसार कहा था, लेकिन आज की पीढ़ी मंदिरों में उसी गणेश की पूजा करती है और माता-पिता को वृद्धाश्रमों में छोड़ देती है।
हमारे समाज में हमारे ही बुजुर्ग एकाकी रहने को विवश हैं उनके साथ उनके अपने बच्चे नहीं हैं। गावों में तो स्थिति फिर भी थोड़ी ठीक है लेकिन शहरों में तो स्थिति बिलकुल भी विपरीत है। ज्यादातर बुजुर्ग और दिव्यांग घर में अकेले ही रहते हैं, और जिनके बच्चे उनके साथ हैं वो भी अपने अपने कामों में इस हद तक व्यस्त हैं की उनके पास अपने माता-पिता से बात करने के लिए समय ही नहीं है।
अलग-अलग देशों में वृद्धाश्रम बनाने के पीछे कई कारण हैं जिनमें से कुछ में बढ़ता शहरीकरण और आधुनिक जीवन शामिल है जो लोगों को अपनी आजीविका कमाने में व्यस्त बनाता है और सभी नैतिक मूल्यों को भूल जाता है। वृद्धाश्रम एक ऐसा स्थान है जहां वृद्धों और दिव्यांगों को रहने के लिए आश्रय और भोजन नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है। उन्हें स्वास्थ्य सुविधा और अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं। वृद्धावस्था जीवन का एक महत्वपूर्ण चरण है जब कि हम घर पर बैठ सकते हैं और आराम कर सकते हैं, लेकिन आजकल बहुत से बच्चे जो अपने माता-पिता को घर पर नहीं चाहते हैं, उन्हें छुटकारा पाने के लिए वृद्धाश्रम में भेजते हैं। इसके कारण वृद्धाश्रमों की संख्या बढ़ते जा रही है।