प्रभु श्रीराम, महात्मा बुद्ध और गुरू गोरखनाथ भारत-नेपाल एकता के मूल आधार : पूर्व गृह राज्यमंत्री नेपाल

महाराणा प्रताप पी जी कालेज गोरखपुर में भारत-नेपाल के सांस्कृतिक अंतर्संबंधों पर आयोजित हुआ तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार
भारत और नेपाल के पारस्परिक संबंध का आधार हिंदुत्व : प्रो. सुबरन लाल
उमेश चन्द्र त्रिपाठी
गोरखपुर/ महराजगंज: भारत और नेपाल की एकता का मूल आधार दोनों देशों की साझा अध्यात्म-संस्कृति है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, महात्मा बुद्ध और शिवावतार महायोगी गुरु गोरखनाथ भारत-नेपाल एकता के मूल सूत्र हैं।
उक्त बातें नेपाल के पूर्व गृह राज्यमंत्री देवेंद्र राज कंडेल ने कही। वह बीते शुक्रवार को महाराणा प्रताप महाविद्यालय जंगल धूसड़ में आयोजित ”भारत-नेपाल सांस्कृतिक अंतर्संबंधों की विकास यात्रा : अतीत से वर्तमान तक” विषयक तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।

पूर्व गृह राज्यमंत्री ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति और धर्म के लिए राजनीति छोड़नी भी पड़े, तो छोड़ देना चाहिए। 500 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद श्रीरामलला की जन्मभूमि अयोध्या में बने भव्य मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा हुई तो उसे नेपाल में भी पर्व के रूप में मनाया गया। आज भी बिना पासपोर्ट और वीजा के लोग भारत और नेपाल की सीमाओं को पार करते हैं। यह हमारे आपसी मजबूत संबंधों को दर्शाता है। उन्होंने नेपाल पर गुरु गोरखनाथ के प्रभाव की चर्चा करते हुए बताया कि नाथ संप्रदाय के नेपाल में जगह-जगह अनेकों भव्य मंदिर हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हम लोगों की वार्ता हुई है, जल्द ही गोरखपुर से नेपाल के लिए भी पर्यटक बसें चलाई जाएंगी।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय, लुंबिनी, नेपाल के कुलपति प्रो. सुबरन लाल बज्राचार्य ने कहा कि भारत और नेपाल के पारस्परिक संबंध का आधार हिंदुत्व है। हिंदुत्व का सम्मान करने और हिंदुत्व को बढ़ावा देने से निश्चित रूप से नेपाल और भारत के संबंधों में घनिष्ठता और मधुरता आएगी।

उन्हाेंने कहा कि भारत-नेपाल के बीच खुली सीमा हमारे मजबूत संबंधों को दर्शाती है। भारत और नेपाल में कई जातीय समूह भी शामिल हैं। राजनीतिक कारणों से एक दूसरे के लिए उग्र होना बंद करना होगा।
विशिष्ट अतिथि वाल्मीकि विद्यापीठ, काठमांडू, नेपाल के प्राचार्य प्रो. भागवत ढकाल ने कहा कि हमारे संकल्प में भी भारत का जिक्र है। राम त्रेता युग के थे, वाल्मीकि भी त्रेता युग के हैं। नेपाल के लोग वाल्मीकि की जन्मस्थली नेपाल ही मानते हैं। हमारे देवता एक हैं, हमारे ग्रंथ हैं।
विशिष्ट अतिथि पुष्पा भुषाल ने कहा कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन से दोनों देशों में समरसता बढ़ेगी। इस पर नेपाल सरकार ने अपने कदम आगे बढ़ाएं हैं। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा ने कहा कि भारत नेपाल संबंधों में लुंबिनी से बोध गया तक आता है। नेपाल में जो नेपाली मुद्रा में गुरु गोरखनाथ का सम्मान है वह भी कहीं न कहीं नेपाल और भारत की मधुरता को दर्शाता है।
महाराणा प्रताप महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार राव ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत और नेपाल दोनों देशों का मूल एक है। गोरखनाथ, मत्स्येन्द्रनाथ से जो रिश्ता है, उससे हम भाई हुए । 2014 के बाद भारत बदला है, जिससे नेपाल और भारत के संबंधों में और भी मधुरता आई है।
मध्य पश्चिम विश्वविद्यालय, सुर्खेत, नेपाल के उप कुलपति प्रो. नंद बहादुर सिंह ने भी विचार रखे। अतिथियों ने भारत-नेपाल के अंतर्संबंधों पर आधारित स्मारिका का विमोचन भी किया।
इस अवसर पर डॉ. पद्मजा सिंह, डॉ. सुबोध कुमार मिश्र, प्रो. कीर्ति पांडेय, डॉ. सुधाकर लाल श्रीवास्तव, डॉ. रामवंत गुप्ता, डॉ. अमित उपाध्याय, डॉ. हर्षवर्धन, डॉ. उग्रसेन सिंह, डॉ. शैलेंद्र उपाध्याय, डॉ. नीरज सिंह आदि मौजूद रहे।
तकनीकी सत्रों में भी हुई भारत-नेपाल की साझी विरासत और संस्कृति पर चर्चा
तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार के पहले दिन के तकनीकी सत्रों में भारत-नेपाल की साझी विरासत और संस्कृति पर भी चर्चा हुई। एक सत्र में लुंबिनी विश्वविद्यालय के डॉ. शिवकांत दूबे ने कहा कि भारत और नेपाल के लोग एक-दूसरों के दिलों में बसते हैं। हिंदी का जो सम्मान भारत में है, वही नेपाल में भी है। सीआरडीपीजी कॉलेज गोरखपुर की डॉ. प्रीति त्रिपाठी ने कहा कि दोनों ही देश बुद्ध के पर्यटन को बढ़ावा देते हैं। एक अन्य सत्र में वाल्मीकि विद्यापीठ काठमांडू नेपाल के भागवत ढकाल ने कहा कि दोनों देशों के व्यावहारिक गतिविधियों को विकसित करने के लिए दोनों देशों के प्रशासनिक व राजनीतिक दलों को एकजुट होकर एक दूसरे का साथ निभाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने नेपाल के कई विश्वविद्यालयों से एमओयू साइन किया है जिससे दोनों देशों की शैक्षिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।