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पेपर लीक मामले में सरकार को 41 करोड़ की चोट, आरओ के 334/एआरओ के 77 पदों पर 1076004 अभ्यर्थियों के लिए बनाए गए थे 2387 परीक्षा केंद्र

  • पेपर लीक के कारण धन और छात्रों का समय दोनों हुआ बर्बाद
  • सिपाही भर्ती परीक्षा में भी हुई थी काफी रकम खर्च

लखनऊ/ महाराजगंज: समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (आरओ/एआरओ) 2023 की प्रारंभिक परीक्षा निरस्त होने के कारण एक तरफ प्रतियोगी छात्रों की सरकारी नौकरी का इंतजार बढ़ा है तो दूसरी ओर नकल के खेल ने सरकार को 41 करोड़ रुपये की चोट दी है।गौरतलब है कि आरओ के 334 तथा एआरओ के 77 कुल 411 पदों पर आवेदन करने वाले 1076004 अभ्यर्थियों के लिए 58 जिलों में 2387 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। इतने बड़े पैमाने पर परीक्षा कराने में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को 41 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे। लेकिन नकल माफियाओं ने पेपर लीक करके पूरी व्यवस्था पर पानी फेर दिया।

अब नए सिरे से परीक्षा कराने में इतनी ही रकम फिर से खर्च करनी होगी। 2387 केंद्रों पर आयोजित सिपाही भर्ती परीक्षा में भी इतने रुपये ही खर्च होने का अनुमान है जो पेपर लीक के कारण बर्बाद हो गया। इससे पहले 28 नवंबर 2021 को आयोजित उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी-टीईटी) का पेपर लीक होने के कारण आयोजन पर खर्च हुए 50 करोड़ बर्बाद हो गए थे। पेपर सेट करने से लेकर मॉडरेसन, प्रिंटिंग, जिलों तक पहुंचाने, अधिकारियों से लेकर केंद्र व्यवस्थापक और कक्ष निरीक्षकों के ड्यूटी पर लंबी-चौड़ी कम खर्च करनी होती है।

एक महीने में दो बड़ी परीक्षाओं के पेपर लीक से उठा सरकार पर सवाल

एक महीने में आयोजित दो बड़ी परीक्षाओं के पेपर लीक होने से पूरी व्यवस्था और सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं। 11 फरवरी को आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा और 17-18 फरवरी को सिपाही भर्ती परीक्षा में सेंध लगने से एक बात तो साफ हो गई है कि वर्तमान में जिस नियम से केंद्र बन रहे हैं और परीक्षाएं कराई जा रही हैं उनमें बदलाव की सख्त आवश्यकता है।

अपनी छवि सुधारने में लगे उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को साढ़े सात साल बाद फिर लगा झटका

बता दें कि वर्ष 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से अपनी छवि सुधारने में लगे उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा निरस्त होने के कारण साढ़े सात साल में दूसरा बड़ा झटका लगा है। वन टाइम रजिस्ट्रेशन (ओटीआर) लागू से लेकर साक्षात्कार की गोपनीयता में संघ लोक सेवा आयोग के मानकों से भी एक कदम आगे बढ़कर प्रतियोगी छात्रों के लिए काम कर रहे यूपीपीएससी को पेपर लीक के इस सदमे से बाहर निकलने में समय लगेगा।

इससे पहले समाजवादी पार्टी सरकार के कार्यकाल के अंतिम दिनों में आरओ/एआरओ 2016 की परीक्षा भी पेपर लीक के कारण निरस्त करनी पड़ी थी। पेपर लीक के कारण आरओ/एआरओ 2016 की भर्ती पूरी होने में पांच साल का समय लग गया था। पांच अप्रैल 2021 को अंतिम परिणाम घोषित होने के साथ उस विवाद का अंत हुआ था। 27 नवंबर 2016 को 21 जिलों के 827 केंद्रों पर आयोजित आरओ/एआरओ-2016 की प्रारंभिक परीक्षा में 3,85,191 अभ्यर्थी पंजीकृत थे। लखनऊ के एक केंद्र से व्हाट्सएप पर पेपर वायरल होने पर पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी।

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