उत्तर प्रदेशमहराजगंज

लखनऊ को लक्ष्मणपुर बनाने की मांग पर शासन ने मांगी रिपोर्ट,क्या है पौराणिक महत्व

उमेश चन्द्र त्रिपाठी

लखनऊ/महराजगंज! अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण के साथ ही लखनऊ का नाम बदलने की मांग तेज हुई है। लखनऊ की पहचान श्रीराम के अनुज भगवान लक्ष्मण से किए जाने की मांग पर शासन ने भी राजस्व विभाग से रिपोर्ट मांगी है।

लक्ष्मण जी

शासन की तरफ से उप सचिव राकेश कुमार यादव ने आयुक्त एवं सचिव राजस्व को भेजे पत्र में सांसद व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के प्रभारी कार्यालय प्रतिनिधि डा. राघवेंद्र शुक्ला के पत्र का हवाला दिया है, जिसमें लखनऊ का नाम परिवर्तित कर लक्ष्मणपुर करने की मांग की गई थी।

शासन ने मांगी र‍िपोर्ट

प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री को लिखे पत्र के बाद कई विभागों से होता हुआ यह पत्र अब राजस्व विभाग पहुंचा है। यह पत्र 24 जनवरी को लिखा गया था और 22 फरवरी को शासन ने इस पर रिपोर्ट मांगी है।

गोमतीनगर जनकल्याण महासमिति के महासचिव डा. राघवेंद्र शुक्ला ने 14 जनवरी को महासमिति से एक प्रस्ताव पास कर रक्षा मंत्री को भेजा था, जिसमें कहा गया था कि अयोध्या में श्री राम मंदिर का भव्य उद्घाटन सनातन धर्म के धर्मगुरुओं एवं समाज के वरिष्ठ विभूतियों की उपस्थिति में प्रधानमंत्री के कर कमलों से होने जा रहा है। इस पावन बेला पर यह उचित होगा कि अयोध्या के निकट प्रदेश की राजधानी लखनऊ का नामकरण श्रीराम के अनुज लक्ष्मण जी के नाम पर लक्ष्मणपुर किया जाए।

भगवान राम ने दिया था उपहार

मान्यता है कि त्रेता युग में इस शहर को लक्ष्मण ने बसाया था, जिसे भगवान राम ने उन्हें उपहार में दिया था। इसलिए पहले इसका नाम लक्ष्मणपुर या लखनपुर था। लखनऊ प्राचीन कौशल राज्य का हिस्सा था। लखनऊ उस इलाके में स्थित है, जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध के नाम से जाना जाता था। कहा जाता है कि भगवान राम ने भगवान लक्ष्मण को गोमती नदी के किनारे का ये क्षेत्र भेंट में दिया था, जिसके बाद में लक्ष्मण जी ने गोमती के तट पर ये शहर बसाया।

11वीं सदी में इस शहर को लक्ष्मणपुर या लखनपुर के नाम से जाना जाता था। लक्ष्मण को उत्तर भारत में लखन भी कहा जाता है। यहां से अयोध्या मात्र 80 मील दूर स्थित है। लखनऊ शहर के पुराने हिस्से में एक ऊंचा टीला है। इसे लक्ष्मण टीला कहा जाता है। यहां वैदिक कालीन अवशेष मिलने पर पूर्व राज्यपाल व पूर्व मंत्री लाल जी टंडन ने अपनी किताब में लक्ष्मण टीला होने की बात कही थी। बताया जाता है कि लक्ष्मण टीला पर पहले एक प्राचीन मंदिर हुआ करता था, जिसे मुगल बादशाह औरंगजेब ने तुड़वा कर वहां मस्जिद बनवा दिया था।

12 वीं सदी के अंत में कन्नौज पर अफगानों की विजय के बाद इसे गजनी के सुल्तान को सौंप दिया गया। तब यह दिल्ली सल्तनत का हिस्सा बन गया। अवध ने अपनी स्वतंत्रता का दावा किया, लेकिन बाबर यहां काबिज हो गया और यह मुगलों के अधीन आ गया और नवाबों का शहर लखनऊ कहा जाने लगा।

अदालत में चल रहा है लक्ष्मण टीला का मामला

चौक में जहां मौजूदा समय टीले वाली मस्जिद है, उसे लक्ष्मण टीला बताने वाली याचिका अदालत में विचाराधीन है। उसके स्वामित्व के विवाद को लेकर मुस्लिम पक्ष की सिविल पुनरीक्षण याचिका को 28 फरवरी को अपर जिला जज (प्रथम) नरेंद्र कुमार तृतीय खारिज कर चुके हैं। लक्ष्मण टीला में पूजा अर्चना की मांग को लेकर वकील नृपेंद्र पांडेय ने याचिका दाखिल की थी। कोर्ट को बताया गया था कि मुगल शासक औरंगजेब ने लक्ष्मण मंदिर को तोड़कर उसके स्थान पर टीले वाली मस्जिद बनवाई थी। पहले लक्ष्मण मंदिर में पूजा अर्चना होती थी।

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