नेपालमहराजगंज

चीन के जाल में फंस चुका नेपाल? बॉर्डर पर रहने वाले ग्रामीणों का गरीबी से बुरा हाल

मुगू में मिलता है 300 रूपए Kg चावल

गरीब लोगों के लिए जिंदगी बहुत कठिन – गारा ताशी तमांग ग्रामीण

उमेश चन्द्र त्रिपाठी

काठमांडू नेपाल (हर्षोदय टाइम्स)! भारत का पड़ोसी देश नेपाल चीन के जाल में फंसता नजर आ रहा है। इसके चलते सीमा पर रहने वाले नेपाल के ग्रामीण इलाकों के नागरिक गरीबी की ओर बढ़ रहे हैं। बीजिंग के साथ व्यापार बंद होने के बाद चीन सीमा पर स्थित नेपाल के मुगु जिले के ग्रामीणों की हालत बेहद खराब है।

द काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार 2020 की शुरुआत में बॉर्डर सील कर दिया गया था। जिसके चलते नेपाल के इस उत्तर-पश्चिमी कोने में सैकड़ों परिवार गरीबी के कगार पर पहुंच गए।

रिपोर्ट के अनुसार चीन की सीमा से सटे मुगु जिले के निवासियों ने बताया कि बीजिंग की अनियमित व्यापार नीति के चलते उनके हाल बेहाल हैं। मुगुम करमारोंग ग्रामीण नगरपालिका के अध्यक्ष त्शीरिंग क्यापने लामा ने कहा कि ग्रामीण नगरपालिका में लगभग 45 प्रतिशत स्थानीय लोग अत्यधिक गरीबी में जी रहे हैं। लामा ने कहा कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या एक साल में 38 से बढ़कर 45 फीसदी हो गई है।

मुगु जिले की जनसंख्या तेजी से बढ़ी है। इसके चलते स्थानीय प्राकृतिक संसाधन कम पड़ रहे हैं। अधिक कटाई के कारण औषधीय जड़ी-बूटियों के उत्पादन में भी भारी गिरावट आई है। हालांकि पहले तिब्बत हर साल मुगु में मुगुम करमारोंग ग्रामीण नगर पालिका को गिफ्ट के तौर 35 लाख रुपये का सामान प्रदान करता था। दौरा सेरोंग गांव के छेवा ग्यालजेन तमांग ने कहा कि अब वह भी बंद हो गया है। पिछले तीन वर्षों से कोई सपोर्ट नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि तिब्बत में बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी आई है। लेकिन हम अभी भी खराब स्थिति में हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला मुख्यालय गमगढ़ी की तुलना में तिब्बत की यात्रा करना आसान है। सामान लाद कर ले जाने के लिहाज से तिब्बत दो दिन की पैदल दूरी पर है, जबकि बिना किसी माल के जाने पर एक दिन में तिब्बत पहुंचा जा सकता है। लेकिन उनके गांवों से जिला मुख्यालय गामगढ़ी पहुंचने में तीन दिन लगते हैं। तमांग ने कहा कि उत्तरी सीमा पर जीवन की गुणवत्ता काफी बेहतर है। मुगू के कई गांवों को अभी तक सड़कों से जोड़ा जाना बाकी है। खाद्य सामग्री के परिवहन के लिए मोटर योग्य सड़कों के अभाव में स्थानीय लोगों को भोजन के लिए अत्यधिक कीमत चुकानी पड़ती है।

गांव में 25 किलो चावल की कीमत 7,500 रुपये है। यानी एक किलो चावल के लिए 300 रुपये चुकाने पड़ते हैं। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार महंगाई ने उनके संकट में इजाफा किया है। मुगु गांव के गारा ताशी तमांग ने कहा कि हम जैसे गरीब लोगों के लिए जिंदगी बहुत कठिन है। मुगुम करमरंग रूरल म्युनिसिपैलिटी के अध्यक्ष लामा ने कहा नेपाल सरकार बार-बार सीमा पार रेलवे के निर्माण की बात कर रही है, लेकिन अगर वे हमें देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली सड़क का ही निर्माण कर दें तो भी पर्याप्त होगा। स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़कों को विकसित करने के चुनावी वादे केवल राजनीतिक दलों के घोषणापत्रों में ही रह गए हैं। सुरखेत से नगमा और गमगढ़ी होते हुए नेपाल-चीन सीमा तक 332 किलोमीटर की सड़क और 85 किलोमीटर की गामगढ़ी- नकचेनंगला सड़क को करनाली प्रांत की गौरवपूर्ण परियोजना माना जाता है।

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