नेपालमहराजगंज

नेपाल के जनकपुर सहित मधेश के कई जिलों मे कल खेली जाएगी होली

नेपाल के पूर्व गृह राज्यमंत्री देवेन्द्र राज कंडेल ने आज खेली होली

उमेश चन्द्र त्रिपाठी

महराजगंज! रंगों का त्योहार होली या फगुआ आज भारत से सटे नेपाल के तराई मधेश के जिलों में मनाया जा रहा है। पर्वतीय जिलों में रविवार को होली मनाई गई। आज दिन सोमवार को  नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री देवेन्द्र राज कंडेल ने भारतीय सीमा के ठूठीबारी बार्डर से सटे नेपाल के महेशपुर स्तिथ अपने आवास पर होली मिलन समारोह का आयोजन किया और होली मनाई तथा सभी देशवासियों को होली की ढेर सारी शुभकामनाएं दी। श्री कंडेल अपने आवास पर होली मिलन समारोह में आये अतिथियों का पहले मुंह मीठा कराया और फिर अबीर-गुलाल लगाकर लोगों से गले मिलकर उन्हें होली की बधाई दी।

बता दें कि पहाड़ी और हिमालयी जिलों में होली मनाए जाने के अगले दिन तराई मधेश जिलों में होली मनाने की प्रथा है। होली के अवसर पर सरकार ने आज तराई मधेश के जिलों में सार्वजनिक अवकाश दिया है।


रविवार को हिमालयी और पर्वतीय जिलों में सार्वजनिक अवकाश था। मधेश होली खेलने की तैयारी में है जो रविवार से शुरू होकर मंगलवार तक चलेगी। राज्य के सभी आठ जिलों के उत्तरी इलाकों में घनी आबादी वाले पर्वतीय क्षेत्रों में (पहाड़ी) मूल के हिंदू समुदाय के लोगों द्वारा रविवार को ही होली मनाई गयी।

साधू परंपरा (मठ, गुरुकुल परंपरा) में पूणिर्मा की समाप्ति के बाद प्रतिपदा तिथि को होली खेलने की परंपरा है। इसके मुताबिक, तराई मधेश के ज्यादातर जगहों पर होली का त्योहार सोमवार आज मनाया जा रहा है और कुछ स्थानों पर मंगलवार को भी मनाया जाएगा ।

बताते चले कि मिथिला के माध्यमिक परिक्रमा क्षेत्र में अंतगृह परिक्रमा पूरी होने के अगले दिन होली का त्योहार मनाने की परंपरा है। इसके मुताबिक सोमवार को आंतरिक परिक्रमा के बाद मंगलवार को होली खेली जाएगी।

स्थान के अनुसार मनाई जाने वाली होली के नाम भी अलग-अलग हैं। हिमालयी और पहाड़ी इलाकों में इसे ‘फागु पूर्णिमा’ और तराई-मधेश में ‘होली’ कहा जाता है। मैथिली भाषा में होली को ‘फगुआ’ और ‘होरी’ कहा जाता है।

तराई-मधेश के अधिकांश क्षेत्रों में होली का त्यौहार पुर्णिमा के अगले दिन मनाया जाता है, लेकिन प्राचीन मिथिला की राजधानी जनकपुरधाम में होली का त्यौहार आंतरिक परिक्रमा के अगले दिन मनाया जाता है।

पंद्रह दिवसीय मिथिला परिक्रमा में भाग लेने वाले तीर्थयात्री अपने-अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए जनकपुरधाम की परिक्रमा करते हैं, इसलिए यहां होली मनाने की परंपरा में अंतर है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
.site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}