नेपालमहराजगंज

ध्यान और योग के लिए लुंबिनी तैयार

77 जिले के 5 हजार लोग विराट चक्र विज्ञान में होंगे शामिल, करेंगे ध्यान और योग

मनोज कुमार त्रिपाठी

लुंबिनी नेपाल /महाराजगंज: भारतीय सीमा से सटे नेपाल स्थित भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी का अंतर्राष्ट्रीय ध्यान कक्ष ध्यान और योग के लिए पूरी तरह से सज-धज कर तैयार है। “बुद्ध का ज्ञान लुंबिनी में ध्यान” नाम से विराट चक्र विज्ञान का आयोजन चैत्र 17 गते से 23 गते यानि 30 मार्च से 5 अप्रैल तक सात दिनों तक चलेगा। इस कार्यक्रम में 300 वीआईपी समेत 77 जिलों से 5 हजार लोगों के शामिल होने की संभावना आयोजन समिति के पदाधिकारियों द्वारा बताया गया है।

बता दें कि ध्यान वह विज्ञान है जो आत्मा को अनंत आत्मा या परमात्मा से पुनः एकाकार करता है। गहराई से नित्य ध्यान केंद्रित अभ्यास करने से आप अपनी आत्मा को जागृत कर सकते हैं।अपने अस्तित्व के केंद्र में दिव्य चेतना के शाश्वत आनंद का अनुभव। अपनी आत्मा के असीमित कोष को खोलने की समय-सिद्ध विधि है योग एवं ध्यान। यह विचार करने की अस्पष्ट मानसिक प्रक्रिया या दार्शनिक विवेचना नहीं है। यह सीधी विधि है जीवन के भटकाव और वैचारिक उथल-पुथल को शांत कर अपने असली स्वरूप का उदघाटन करने की – उस स्वरूप का जो अद्भुत और दिव्य है। ध्यान के अनुशासन द्वारा हम अपने अंतर्जगत में ध्यान एकाग्र करना सीखते हैं जहां हमें अपने अंदर के उस धाम का अनुभव होता है जहां अचल शांति एवं आनंद का निवास है।

जैसे-जैसे ध्यान में गहरे उतरने लगते हैं आपको निरंतर बढ़ती आंतरिक शांति व आनंद का अनुभव होता है जो आपकी आत्मा से प्रकट होता है। अति उन्नत अवस्था में अपनी आत्मा को परमात्मा के साथ पूर्णतया एकाकार हो जाने का अनुभव होने लगता है। ध्यान का यही उद्देश्य है — परम आनंदमय चेतना की उत्कृष्ट अवस्था, आनंदमय दिव्य तादात्म्य जिसे समाधि कहते हैं।

कोई भी साधक जो ध्यान की सर्वोत्तम विधि सीख कर लाभ उठाना चाहता है वह इस पाठमाला को अनमोल ज्ञान का कोष और आजीवन मार्गदर्शन देने वाला आलम्ब पाएगा।

यदि आपने अभी तक योगदा सत्संग पाठमाला को पाने के लिए पंजीकरण नहीं किया है, तो आपको यहां ध्यान के विषय में कुछ प्राथमिक जानकारी मिलेगी, जिसका प्रयोग आप अभी से शुरू कर सकते हैं जिससे आपको ध्यान से प्राप्त होने वाली शाश्वत शांति व दिव्य चेतना का अनुभव होगा।

ध्यान के लाभ

ध्यान के बहुत से लाभ हैं। नित्य प्रति अभ्यास के द्वारा शरीर, मन तथा अंतःकरण में सूक्ष्म बदलाव आने लगते हैं। कुछ लाभ तुरंत ही दिखाई देने लगते हैं; लेकिन कुछ समय के साथ धीरे-धीरे आते हैं जिन्हें स्पष्ट दिखाई देने में समय लगता है।

ध्यान का सबसे प्रथम लाभ है आंतरिक शांति, साथ ही बेहतर समझ, स्पष्ट सोच और अंतःकरण से मार्गदर्शन प्राप्त होना।

जीवन के दिन प्रतिदिन के क्रियाकलापों को करने में ध्यान से निष्पक्षता एवं अंतर्बोध प्राप्त होता है। इससे साधक की एकाग्रता व क्षमता बढ़ती है और काम के प्रति रुझान में सुधार होता है।

संबंधों व पारिवारिक जीवन में अधिक सूझबूझ, समन्वय एवं सुख झलकने लगता है। दूसरों के साथ आदान-प्रदान की भावना उत्पन्न होती है और निष्काम प्रेम भाव जागृत हो जाता है।

शरीर में प्राण ऊर्जा का संतुलन बेहतर होने लगता है जिससे तनाव दूर होता है और स्वास्थ्य तथा उल्लास बढ़ते हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ध्यान साधक की चेतना को परमात्मा की चेतना से एकाकार करता है जिससे जीवन के उतार-चढ़ाव के बीच साधक के अंत:करण में स्थाई आंतरिक प्रसन्नता बनी रहती है।

यह परिणाम निष्ठा व समर्पण के साथ निरंतर प्रयास करने और इच्छाशक्ति का प्रयोग कर, तब तक डटे रहने से आते हैं जब तक जीवन का परम लक्ष्य नित्य नवीन आनंद और आत्म साक्षात्कार द्वारा परमात्मा से एकात्म ― प्राप्त नहीं हो जाते।

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