लुंबिनी कोष के विरोध में सड़क पर उतरे होटल कारोबारी

मनोज कुमार त्रिपाठी
लुंबिनी नेपाल/महराजगंज! लुंबिनी में स्थापित मठ और बिहार में अवैध होटल व्यवसाय को बंद करने की मांग को लेकर होटल व्यवसायियों ने चरणबद्ध तरीके से आंदोलन शुरू कर दिया है। व्यवसाई रोजाना लुंबिनी विकास निधि कार्यालय के सामने दो घंटे तक धरना-प्रदर्शन और नारेबाजी कर रैली निकाल रहे हैं। होटल व्यवसायियों का कहना है कि “भोजन दें” “धर्म के नाम पर व्यापार न करें ” “स्थानीय निवासियों की प्राथमिकता सुनिश्चित करें ” “शांति की भूमि को शांतिपूर्वक रहने दें” जैसे नारे लिखे पर्चे लेकर धरने पर बैठे हैं। नेपाली कांग्रेस के महासचिव गगन थापा ने कहा है कि वह लुंबिनी में हो रही अवैध गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए संबंधित मंत्रालयों से पहल करेंगे। धरने पर सिद्धार्थ उद्योग कामर्स एसोसिएशन रूपंदेही, स्थानीय निवासियों और अन्य संघ-संगठनों ने आंदोलन का समर्थन किया है। लुंबिनी क्षेत्र में स्टार होटलों सहित कुल 82 छोटे-बड़े होटल संचालित हैं। पर्यटन गतिविधियों सहित अन्य कार्यक्रम भी संचालित हैं।

बता दें कि इससे पहले लुंबिनी में 21 और 22 मार्च को वैश्विक शांति और समृद्धि पर आधारित लुंबिनी कॉनक्लेव का आयोजन किया गया था। इस कॉनक्लेव में भारत और नेपाल में तैनात विदेशी प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इस कॉन्क्लेव का आयोजन नेपाल में निवेश को बढ़ाने और पर्यटन की संभावनाओं पर चर्चा करने के लिए किया गया था।
नेपाल में निवेश पर जोर
नेपाल के विदेश मंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ ने बताया था कि नेपाल में निवेश के लिए बेहतर माहौल तैयार करना है और सरकार इसके लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर फोकस करेगी। इसके लिए नेपाल निवेश बोर्ड द्वारा कॉनक्लेव में अपनी प्रस्तुति दी गई। उन्होंने कहा था कि द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के लिए हम अलग-अलग देशों के राजदूतों और प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रहे हैं। विदेश मंत्री ने आगे कहा कि हमने अगले महीने होने वाले शिखर सम्मेलन के लिए सरकारी प्रतिनिधियों, कंपनियों और निजी निवेशकों को नेपाल में निवेश के लिए आमंत्रित किया है।
लुंबिनी के धार्मिक महत्व को उजागर करना था
विदेश मंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ ने आगे कहा था कि इस कार्यक्रम का आयोजन दुनिया में बौद्ध धर्म को मानने वाले करीब एक अरब लोगों को लुंबिनी से जोड़ने के लिए किया गया। इस सम्मेलन का उद्देश्य लुंबिनी के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को उजागर करना था।
19 देशों के राजदूतों ने लिया था हिस्सा
भारत में नेपाल के राजदूत शंकर शर्मा ने कहा था कि बुद्ध की जन्मस्थली में इस सम्मेलन का आयोजन विश्व में समृद्धि और शांति के लिए किया गया। यूक्रेन, सूडान, गाजा और कई देशों के बीच चल रहे आंतरिक और बाहरी युद्धों को देखते हुए यह विषय चुना गया। उन्होंने कहा था कि इस सम्मेलन में 19 देशों के राजदूतों ने भाग लिया है। भागीदारी के आपसी सहयोग के दृष्टिकोण से यह आयोजन सफल रहा।