नेपाल

पीएम प्रचंड के सख्‍त रुख से ड्रैगन सक्ते में

उमेश चन्द्र त्रिपाठी

काठमांडू: नेपाल सरकार चीन के कोरे वादों से परेशान है और अब इस पूरे मुद्दे को जिनपिंग सरकार से उठाने की तैयारी है। नेपाल और चीन के बीच में 16 वें दौर की राजनयिक बातचीत होने जा रही है। बताया जा रहा है कि 25 जून को दोनों देशों के बीच यह बातचीत होगी। चीन के उप व‍िदेश मंत्री सुन वेइडोंग इस बैठक के लिए काठमांडू आएंगे। नेपाल के विदेश मंत्री नारायण काजी श्रेष्‍ठ ने कहा कि इस बैठक में चीन और नेपाल के बीच सभी मुद्दों पर बात होगी। उन्‍होंने कहा कि इसमें पहले हुए कई समझौतों को पूरा करने के लिए चीन से कहा जाएगा। माना जा रहा है कि इसमें सबसे अहम सीमा विवाद है। चीन ने नेपाल के कई इलाकों पर कब्‍जा कर रखा है और उसे इसकी पोल खुलने का डर है।

इससे पहले नेपाल और चीन के बीच 15 वीं बैठक चीन में हुई थी। नेपाल के कई बार गुहार लगाने के बाद चीन ने किसी तरह से व्‍यापारिक रास्‍ता खोला है। वहीं चीनी ठेकेदार लगातार नेपाल को गच्‍चा दे रहे हैं। वे नेपाल में सड़कों को बनाने और उसे चौड़ा करने के काम में हीलाहवाली कर रहे हैं। इससे काठमांडू रिंग रोड का काम पूरा नहीं हो पा रहा है और नेपाल सरकार परेशान है। चीन ने वादा किया था कि वह नेपाल से सामानों का आयात करेगा और व्‍यापार संबंधों में बदलाव करेगा। साथ ही नेपाल और चीन सीमा का संयुक्‍त रूप से जांच किया जाएगा लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। नेपाल के कई इलाकों में चीन घुसपैठ कर चुका है। चीनी सेना ने नेपाल एक इलाके में अपनी सैन्‍य चौकी तक बना ली है।

चीन को सता रहा पोल खुलने का डर

नेपाल के विरोध करने के बाद भी चीन की सरकार कोई तवज्‍जो नहीं दे रही है। इस बैठक के दौरान नेपाल व्‍यापार, पारगमन, कनेक्टिव‍िटी, निवेश, स्‍वास्‍थ्‍य, टूरिज्‍म, गरीबी उन्‍मूलन, आपदा प्रबंधन, शिक्षा, संस्‍कृति आद‍ि पर बातचीत होगी। वहीं चीन ने अभी तक नहीं बताया है कि वह किन मुद्दों पर फोकस करने जा रहा है। प्रचंड की चीन यात्रा के दौरा सीमा के संयुक्‍त निरीक्षण पर सहमति बनी थी। नेपाली पक्ष ने इसकी पूरी तरह से तैयारी कर ली है और चीन से गुहार लगा रहा है कि वह भी साथ आए। वहीं सर्वे विभाग के मुताबिक चीनी पक्ष सहमति के बाद भी सीमा के संयुक्‍त निगरानी से भाग रहा है।

मालदीव के बाद नेपाल में उतरेगी चीनी सेना

नेपाल और चीन के बीच सीमा 1439 किमी लंबी है। दोनों देशों के बीच सीमा प्रोटोकॉल पर 20 जनवरी, 1963 को समझौता हुआ था। साल 2011 से ही यह बंद है और अभी तक इस पर कोई प्रगति नहीं हुई है। पिछले साल प्रचंड की चीन यात्रा के दौरान सीमा प्रबंधन सिस्‍टम को लेकर जल्‍द से जल्‍द समझौता करने पर सहमति बनी थी। यही नहीं नेपाल में चीन के फंड किए गए कई प्रोजेक्‍ट लटके हुए हैं और बीजिंग उसे आगे नहीं बढ़ा रहा है। इस बीच चीन के डिप्टी स्‍पीकर अब शुक्रवार को नेपाल आ रहे हैं। उनके साथ लंबी चौड़ी अधिकारियों की फौज है। उन्‍हें चीन की सत्‍तारूढ़ कम्‍युनिस्‍ट पार्टी में काफी प्रभावशाली माना जाता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
.site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}