नेपालमहराजगंज

चीन के बीआरआई जाल में फंसने जा रहा नेपाल! पीएम प्रचंड के सलाहकार ने दिया बड़ा बयान

सार
नेपाल अब कई वर्षों की झिझक के बाद चीन के बीआरआई को लागू करने की दिशा में बढ़ता दिख रहा है। नेपाल के पीएम प्रचंड के विदेशी मामलों के सलाहकार ने संकेत दिया है कि उनका देश बीआरआई को लागू कर सकता है। इससे पहले कर्ज के जाल की वजह से नेपाल ने इसे मना कर रखी थी।

उमेश चन्द्र त्रिपाठी

काठमांडू नेपाल/महराजगंज ! चीन के बढ़ते दबाव के बीच नेपाल की सरकार अब बेल्‍ट एंड रोड परियोजना की ओर आगे बढ़ती दिख रही है। नेपाल के विदेश मंत्री के चीन दौरे के बाद चीन को लेकर रुख में बदलाव होता दिख रहा है। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्‍प कमल दहाल प्रचंड के विदेश मामलों के सलाहकार रुपक सापकोटा ने कहा है कि नेपाल को बीआरआई की तरफ बढ़ना चाहिए और इसके तहत छोटे प्रोजेक्‍ट को चुनना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि नेपाल बीआरआई समझौते को क्रियान्वित करने के लिए इसे अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है। नेपाल चाहता है कि विभिन्‍न प्रोजेक्‍ट पर हस्‍ताक्षर करने और उसका विकास करने के लिए समझौते पर हस्‍ताक्षर करने के लिए आगे बढ़ना चाहता है।

नेपाल ने बीआरआई को लागू करने के दिए संकेत

नेपाली पीएम के सलाहकार ने काठमांडू पोस्‍ट अखबार से बातचीत में कहा कि चीन बीआरआई सदस्‍य होने के नाते तकनीक के ट्रांसफर के लिए तैयार है। नेपाल में बीआरआई प्रोजेक्‍ट के आगे नहीं बढ़ने पर उन्‍होंने कहा कि हमारे देश में बड़े प्रोजेक्‍ट को पूरा करने के लिए क्षमता नहीं है।

उन्‍होंने कहा कि बीआरआई के ताजा एक्‍शन प्‍लान में छोटे प्रोजेक्‍ट को भी शामिल किया गया है। चीन ने नेपाल में भैरहवा और पोखरा में दो एयरपोर्ट बनाए हैं लेकिन दोनों ही सफेद हाथी साबित हुए हैं। यहां पर कोई भी अंतर्राष्ट्रीय उड़ान संचालित नहीं हो रही है। इस पर रुपक ने सफाई दी कि चीन इस दिशा में काम कर रहा है।

नेपाल में रेल दौड़ाने की तैयारी में चीन

नेपाल और चीन के बीच ट्रेड और ट्रांजिट समझौता हुआ था लेकिन अब तक कोई खास प्रगति नहीं हुई है। इस पर रुपक ने कहा कि जल्‍द ही इसको लेकर चीन के साथ एक बैठक होने जा रही है। चीन और नेपाल के बीच अरबों डॉलर में रेल दौड़ाने पर रुपक ने कहा कि इस बारे में अध्‍ययन चल रहा है जो अंतिम चरण में है। चीनी दल नेपाल आया है ताकि रेललाइन की संभावना को जांचा जा सके।

बता दें कि चीन लगातार नेपाल पर दबाव डाल रहा है कि बीआरआई परियोजना को आगे बढ़ाया जाए। वहीं नेपाल ने कहा है कि वह चीन से लोन नहीं बल्कि ग्रांट चाहता है।

नेपाल को डर सता रहा था कि वह श्रीलंका और पाकिस्‍तान की तरह से चीन के कर्ज के जाल में फंस सकता है। हालांकि अब चीन समर्थक केपी शर्मा ओली के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद प्रचंड रुख में बदलाव आता दिख रहा है। नेपाल ने पहले दो एयरपोर्ट के नाम पर भारी भरकम कर्ज ले रखा है और अब और लेने की तैयारी है। इस बीच रुपक ने कहा कि प्रचंड की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच हुए समझौतों को आगे बढ़ाने पर सहमति बनी। उन्‍होंने कहा कि अभी हमारे और भारत के बीच सीमा को लेकर कुछ विवाद बना हुआ है। हालांकि दोनों ही देश इसे आपसी बातचीत के आधार पर सुलझाने को सहमत हुए हैं।

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