नेपाल की प्रचंड सरकार पर छाया संकट, चीन समर्थक ओली ने सरकार से खींचे अपने हाथ, बनेगा नया गठबंधन

उमेश चन्द्र त्रिपाठी
काठमांडू नेपाल! नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल प्रचंड की सत्ता खतरे में हैं। पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली की पार्टी सीपीएन-यूएमएमएल ने प्रधानमंत्री प्रचंड की पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल से गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया है। दरअसल, नेपाल में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस पार्टी विपक्ष में बैठी हुई है। चार महीने पहले ही प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी ने नेपाली कांग्रेस के साथ अपने गठबंधन को तोड़कर केपी ओली के साथ सरकार बनाई थी, और अब ओली उनके पाले से निकल कर शेर बहादुर देऊबा के पाले में पहुंच गए हैं।
नेपाली समाचार पत्र काठमांडू पोस्ट के अनुसार, शनिवार को केपी शर्मा ओली और शेर बहादुर देऊबा के बीच हुई बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है। इसके बाद इन दोनों ही पार्टियों के बीच में गठबंधन होने की बात सामने आ रही है। केपी शर्मा ओली की तरफ से कहा गया कि अब सरकार के पास बहुमत नहीं है। दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने बताया की दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक में एक सहमति बन चुकी है, जिनमें संविधान संशोधन, नई सरकार बनाने पर शक्ति संतुलन का फार्मूला तय हो चुका है। शेर बहादुर देऊबा को भारत समर्थक माना जाता है तो वहीं के पी शर्मा ओली को चीन समर्थक माना जाता है। इस फार्मूले के मुताबिक ओली इस गठबंधन का अगले डेढ़ साल तक नेतृत्व करेंगे, फिर उसके बाद बचे हुए समय के लिए देऊबा गठबंधन का नेतृत्व करेंगे।
नेपाली संसद में किसके पास है कितनी ताकत
नेपाल में 2022 में चुनाव हुए थे। इन आम चुनावों में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। नेपाली संसद की क्षमता 275 सीटों की है,इनमें से नेपाली कांग्रेस के 89 सांसद चुने गए, सीपीएन-यूएमएल ने 78
और प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी ने 32 सीटें जीती थीं।
प्रचंड की पार्टी तीसरे नंबर की पार्टी बनी थी, लेकिन इसके बाद भी वह गठबंधन के सहारे प्रधानमंत्री बने थे। 25 दिसम्बर को शपथ लेने के दौरान प्रचंड के अगला देऊबा की पार्टी का समर्थन प्राप्त था लेकिन यह गठबंधन ज्यादा समय तक चल नहीं पाया, केवल 15 महीनों के अंदर दोनों ही दलों में फूट हो गई और यह गठबंधन टूट गया। इसके बाद प्रचंड ने
केपी शर्मा ओली से हाथ मिला लिया लेकिन यह गठबंधन भी केवल 4 महीने ही चल पाया। यानि नेपाल में पिछले दो साल के अंदर यह तीसरी बार होगा जब सत्ता परिवर्तित होगी।
क्या बच पाएगी प्रचंड की सत्ता
प्रधानमंत्री प्रचंड ने अपनी सरकार को इस राजनीतिक उठापटक से बचाने के लिए सोमवार 5 बजे अपने सहयोगियों के साथ मीटिंग बुलाई थी लेकिन बाद में उसे कैंसिल कर दिया गया। प्रचंड का लगभग हर दांव इस समय फेल होता हुआ दिख रहा है। क्योंकि नेपाली सत्ता के गलियारों में यह खबर है कि चीन समर्थक ओली और भारत समर्थक देऊबा ने आपसी सहमति से प्रधानमंत्री की कुर्सी को हासिल करने का प्लान बना लिया है।