नेपाल में रनवे व पहाड़ ही हादसों के जिम्मेदार नहीं!

सार
नेपाल दुनिया में सबसे ज्यादा विमान हादसों के लिए जाना जाता है। यहां तकरीबन हर साल इसी तरह बड़ी विमान दुर्घटनाएं होती रहती हैं। इसी वजह से यूरोपीय संघ ने भी नेपाल की किसी भी एयरलाइंस के अपने एयरस्पेस में घुसने पर पाबंदी लगा रखी है। काठमांडू के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट से उड़ान भरने के लिए जो प्लेन रनवे पर दौड़ा था वह तकरीबन 150 किमी दूर पोखरा जा रहा था।
उमेश चन्द्र त्रिपाठी
काठमांडू/महराजगंज ! नेपाल के काठमांडू एयरपोर्ट से विमान ने उड़ान भरी। टेकऑफ के चंद सेकेंड बाद ही विमान का एक हिस्सा जमीन से टकराया और आग लग गई। यह सौर्य एयरलाइंस का 50 सीटर बॉम्बार्डियर विमान था, जिसमें 19 लोग सवार थे। 18 की मौके पर मौत हो चुकी है। एक पायलट अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा है। बताया ये जा रहा है कि हादसा रनवे पर विमान के फिसलने से हुआ, लेकिन क्या यही सच है?
विमान दुर्घटनाओं की बात करें तो नेपाल दुनिया में सबसे ज्यादा हादसों के लिये जाना जाता है। यहां तकरीबन हर साल एक ऐसी बड़ी विमान दुर्घटनाएं होती रहती हैं।
बुधवार को काठमांडू के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट से उड़ान भरने के लिए जो प्लेन रनवे पर दौड़ा था वह तकरीबन 150 किमी दूर पोखरा जा रहा था। इससे तकरीबन डेढ़ साल पहले जनवरी 2023 में नेपाल में येति एयरलाइंस का विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिस हादसे में 72 लोगों की मौत हुई थी। यह हादसा पोखरा में हुआ था।
नेपाल में ही क्यों हो रहे हैं इतने हादसे?
नेपाल में विमान सुरक्षा एक बड़ा सवाल है। नेपाली टाइम्स की एक रिपोर्ट की मानें तो 1962 से लेकर 2023 तक नेपाल में तकरीबन 72 बड़ी हवाई दुर्घटनाएं हुईं हैं। इनमें तकरीबन एक हजार लोगों की जान गई है। ज्यादातर हादसों के पीछे यहां की पहाड़ी चोटियों और छोटे रनवे को जिम्मेदार माना जाता है। हिमालय की चोटियों से घिरे होने के कारण यहां पायलटों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। पहाड़ों की वजह से विमान अधिक ऊंचाई पर उड़ते हैं, जिससे मौसम भी प्रतिकूल कारण बन जाता है। कहीं न कहीं ये हादसों की बड़ी वजह हैं भी, लेकिन हर हादसे के पीछे इन्हें वजह नहीं माना जा सकता।
कितना सुरक्षित है काठमांडू एयरपोर्ट
काठमांडू अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट नेपाल का एकमात्र इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, हालांकि अक्सर यहां हादसे होते रहते हैं। यह शहर के बीचों बीच है, लेकिन शहर के चारों ओर पहाड़ है। हालांकि यहां अच्छी बात ये है कि नेपाल में सबसे बड़ा रनवे यहीं पर है,जो 3 हजार मीटर से अधिक लंबा है। समस्या इस बात की है कि सबसे बड़ा एयरपोर्ट होने के कारण जितने भी विमान यहां आते या जाते हैं वह इसी एक हवाई पट्टी से टेकऑफ और लैंडिंग करते हैं। एविएशन यूट्यूबर सैम चुई से बातचीत में कैप्टन विजय लामा ने यहां के ट्रैफिक के बारे में बताया था। उन्होंने यह भी बताया था कि यहां पर 9 विमानों को पार्क की जगह है, लेकिन विमानों के आने की संख्या बहुत ज्यादा है।
क्यों अनदेखी को बताया जा रहा हादसों का जिम्मेदार
नेपाल का विमानन सुरक्षा रिकॉर्ड एक बड़ी चिंता का विषय है, इस कारण हर बार यहां की भौगोलिक स्थिति को बता दिया जाता है, लेकिन अन्य फैक्ट की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता। काठमांडू में आज जो विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ वह भी खराब था। बताया जा रहा है कि इसे ठीक करने के लिए ही पोखरा ले जाया जा रहा था, क्योंकि इससे पहले यह कई महीने से वहीं पर था। विमान में बैठे सभी लोग इंजीनियर थे। सौर्य एयरलाइंस की ओर से हादसे में मारे गए लोगों की जो लिस्ट जारी की गई है, उसमें भी सभी नाम के आगे कंपनी का स्टाफ लिखा गया है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि जब विमान खराब था तो उसे उड़ने की अनुमति कैसे दी गई। यह एक गंभीर मामला है।
अपर्याप्त प्रशिक्षण व रखरखाव की कमी
नेपाल में लगातार विमान हादसों का शिकार हो रहे हैं। इसका कारण अपर्याप्त प्रशिक्षण और रखरखाव को माना जा रहा है। अलजजीरा की एक रिपोर्ट में भी इसकी पुष्टि की गई है। इसके बारे में बताया गया है कि पर्याप्त ट्रेनिंग न होना भी हादसों की बड़ी वजह है। इसके अलावा रखरखाव भी ठीक से नहीं किया जा रहा है। नेपाल की जिस तरह की जियाग्राफिकल स्थिति है, उससे ये और जटिल हो जाता है।
बुनियादी ढांचे की कमी
नेपाल में बुनियादी ढांचे की कमी भी है, इस वजह से यहां यात्रियों और पायलटों दोनों को परेशानी होती है। स्लीपिंग एयरपोर्ट नेट द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक यहां ट्रैफिक के अलावा अपर्याप्त सुविधाएं, खराब साफ-सफाई के लिए की गई रैकिंग में सबसे बुरा हाल नेपाल के एयरपोर्टों का ही था।
यूरोपीय संघ के प्रतिबंध के बाद भी खुद को नहीं बदला नेपाल
नेपाल की विमानन कंपनियों पर यूरोपीय संघ ने प्रतिबंध लगा रखा है। इसकी वजह नेपाल की विमानन सुरक्षा ही है। यूरोपीय संघ में 28 देश हैं, इनके एयरस्पेस में नेपाल की किसी भी एयरलाइंस का विमान दाखिल नहीं हो सकता। तकरीबन 11 साल बीत जाने के बाद भी नेपाल अपने ऊपर लगे इस दाग को मिटा नहीं सका है। पिछले साल यूरोपीय संघ की ओर से नवंबर में इसकी समीक्षा भी की गई, लेकिन नेपाल इस प्रतिबंध को नहीं हटवा सका।
नेपाल में बरसों से अटके हैं दो विमानन विधेयक
नेपाल में विमानन सुरक्षा के लिए दो विधेयक लंबे समय से प्रस्तावित हैं। इनमें एक है नेपाल नागरिक विमानन प्राधिकरण विधेयक और नेपाल वायु प्राधिकरण विधेयक, यानी नेपाल में अभी जो विमानन प्राधिकरण है, उसे दो हिस्सों में बांटा जाना है। काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट में एक नेता के हवाले से कहा गया है कि विधेयकों को कैबिनेट में पेश करने के प्रयास बहुत किए गए, लेकिन पहले वित्त मंत्रालय फाइल को अपने पास रखे रहा, फिर तीन से चार महीने ये कानून मंत्रालय के पास रही। इसे लेकर कई बार सवाल भी उठे कि आखिर विधेयक पारित होने से क्यों रोके जा रहे हैं। रिपोर्ट में एक विमानन विशेषज्ञ ने खुलकर कहा है कि ऐसा प्रतिबंध क्यों हटाएगा? नेपाल के विमानन क्षेत्र में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। यहां अनदेखी की वजह से ही दुनिया के सबसे सुरक्षित परिवहन साधन में भी लोग मर रहे हैं।