भारत में तस्करी के शिकार 12 बच्चों को बचाया गया

मनोज कुमार त्रिपाठी
भैरहवा /नेपाल! भारत के विभिन्न शहरों में ले जाकर बेचे गए, अवैध काम में लगे और सड़कों पर रहने वाले बच्चों को बचाकर नेपाल लाया गया है। नेपाल-भारत में मानव तस्करी के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था 12 बच्चों को छुड़ाकर भारत से नेपाल लाई है।
शुक्रवार को रूपंदेही के बेलहिया सीमा पार कर नेपाल लाये गये बच्चों को जिला प्रशासन के माध्यम से उनके परिजनों को सौंप दिया गया। भारत के नेपाल प्रमुख इंद्रराज भट्टाराई ने बताया कि मानव तस्करी के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाएं उन बच्चों को क्यों सहायता प्रदान करती हैं जिनके रिश्तेदार नहीं मिलते और जो घर पर सुरक्षित नहीं हैं।
उनके मुताबिक, बचाए गए लोगों में 9 लड़कियां, एक किशोरी और 2 लड़के हैं। भारत ने भैरहवा में विभिन्न संगठनों के सहयोग से जिला प्रशासन के माध्यम से रिश्तेदारों को प्रभारी क्यों बनाया है?
उन्होंने बताया कि पहले परिवार, गरीबी और रोजगार के लालच के कारण बच्चे बड़े होने से पहले ही भाग जाते थे, रिश्तेदारों या दलालों के चंगुल में फंस जाते थे, भारत चले जाते थे और वहां उनकी तस्करी कर ली जाती थी।
बचाए गए बच्चों में उदयपुर से 4, सुनसारी से 3, धनुषा से 2, सिंधुपालचोक, धनकुटा और परसा से 1-1 बच्चे हैं। उन्हें सुपऊ, मधुवनी, गया, बिहार, दिल्ली, बैंगलोर और भारत के अन्य स्थानों से बचाया गया था।
महिला, बाल एवं वरिष्ठ नागरिक मंत्रालय, दिल्ली में नेपाली दूतावास, सिद्धार्थनगर नगर पालिका, भारत के विभिन्न संगठन, जिला प्रशासन, पुलिस, सशस्त्र बल आदि ने बचाए गए बच्चों को नेपाल लाने में मदद की।
रूपंदेही के प्रमुख जिलाधिकारी गणेश आर्याल ने बताया कि मानवीय कार्यों में भारत का योगदान क्यों महत्वपूर्ण है। आर्याल ने कहा कि रिश्तेदारों, दलालों और प्रलोभनों द्वारा नेपाली बच्चों की तस्करी की जा रही है और कहा कि इसे रोकने के लिए सभी क्षेत्रों को मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब सुरक्षाकर्मी दिन-रात काम करते हैं, तब भी दलाल विभिन्न आंतरिक चैनलों का उपयोग करके बच्चों को भारत ले जाते हैं और उन्हें बेचते हैं, उन्होंने कहा कि इसे रोकने के लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए।