भारी घाटे पर चीनी एयरक्राफ्ट बेचने को मजबूर हुआ नेपाल?

मनोज कुमार त्रिपाठी
काठमांडू: नेपाल ने चीन से खरीदे गए छह विमानों को बेचने का फैसला लिया है। नेपाल भारी घाटा उठाते हुए इन छह एयरक्राफ्ट की नीलामी करना चाहता है। मामले के जानकारों के मुताबिक नेपाल के इस फैसले का दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर खराब असर पड़ सकता है। नेपाल एयरलाइंस कॉर्पोरेशन ने बार-बार कहा है कि चीन निर्मित विमान अधिग्रहण के बाद से ही उनके लिए नुकसान का सौदा साबित हो रहे हैं। इनकी वजह से आगे होने वाले किसी संभावित नुकसान को रोकने के लिए कॉर्पोरेशन इनसे छुटकारा पाना चाहती है और इनकी नीलामी का फैसला लिया है।
इन विमानों का मालिकाना हक नेपाल के वित्त मंत्रालय के पास है, जबकि नेपाल एयरलाइंस इनकी ऑपरेटर है। मंत्रालय ने मार्च 2021 में नेपाल एयरलाइंस को विमानों को पट्टे पर देने या बेचने के लिए हरी झंडी दे दी थी। मंत्रालय ने कॉर्पोरेशन को कई विकल्प दिए थे। इसमें निर्माताओं को उनकी मौजूदा स्थिति मूल्यांकन करके विमानों को वापस खरीदने के लिए कहना और विमानों को लंबी अवधि के लिए पट्टे पर देना शामिल है। इसके अलावा चीनी या अंतर्राष्ट्रीय कंपनी को पट्टे पर देना या फिर वैश्विक प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से विमानों की नीलामी भी विकल्प में शामिल है।
एअरक्राफ्ट नीलामी के लिए नेपाल को होना पड़ा मजबूर!
मामले के जानकारों ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि अन्य विकल्प सफल नहीं हो सके और नेपाल एयरलाइंस ने आखिर में अब नीलामी नोटिस निकाला है। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने काठमांडू में सभी राजनयिक मिशनों को एक नोट वर्बेल के माध्यम से नोटिस प्रसारित किया है। नेपाल एयरलाइंस ने नवंबर 2012 में, दो 56-सीटर MA60 और चार 17-सीटर Y12 यानी कुछ विमान खरीदने के लिए चीन सरकार के उपक्रम एविएशन इंडस्ट्री कॉरपोरेशन ऑफ चाइना के साथ एक वाणिज्यिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस डील का फाइनेंस चीनी कर्ज से किया गया था।
नेपाल को पहली खेप में एक MA60 और तीन Y12 विमानों मिले। इन विमानों में आई समस्याओं के कारण तीन साल के लिए बाकी विमानों की डिलीवरी रोक दी गई। बाकी विमान नेपाल एयरलाइंस को जनवरी, 2017 और फरवरी 2018 में मिले। हालांकि इन विमानों से लगातार नेपाल को समस्या रही क्योंकि इनमें कई तरह की दिक्कतें आती रहीं।