लापरवाही की इंतहा ,आठ साल के मासूम को स्कूल में बंद कर चले गए टीचर

- 18 घंटे तक भूख-प्यास से तड़पता रहा बच्चा; ढूंढते रहे परिजन
- कुशीनगर जनपद के ग्राम सभा हफुवा चतुर्भुज, सलेमगढ़ बाजार के प्रतिष्ठित स्कूल की घटना
अजय पाठक कुशीनगर
कुशीनगर जनपद के सलेम गढ़ के हफुआ चतुर्भुज के एक प्रतिष्ठित विद्यालय के होनहार छात्र ठाकुर ऊर्फ आयुष के साथ विद्यालय ु्रशासन की लापरवाही से विद्यालय में बंद हो गया। मामला कुछ यूं है कि सोमवार को कक्षा में बैठ पढ़ते समय छात्र ठाकुर ऊर्फ आयुष को नींद आई तो फिर स्कूल का कमरा शिक्षकों की लापरवाही के चलते कैद खाना बन गया।
घटना कुशीनगर जनपद के हफुवा चतुर्भुज गांव की घटना है। जो सलेमगढ़ बाजार के पास के एक प्रतिष्ठित स्कूल की घटना है।
कमरे में बाहर से ताला लटकता रहा, बंद कमरे में उसके डर की आवाज चीखती रही, रात के सन्नाटे में उसकी आवाज मदद करने वालों के कान तक नहीं पहुंच सकी। घर से कुछ ही दूरी पर मासूम रोता बिलखता रहा, भूख से तड़पता रहा।
स्कूल के आसपास तलाश में लगे पिता नंदलाल व माता शारदा देवी भी आंखों में लाल के गायब होने से अनहोनी की आशंका लिए उसे पुकारते रहे। यह नियति का खेल ही था कि कुछ दूरी पर माता-पिता बेटे की खोज में बदहवास थे बेटा कमरे में डर के साए में चीखता रहा।
किसी तरह भारी काली रात ढली तो पौ फटते ही 18 घंटे से बंद कमरे में चीखती बच्चे की आवाज को खेत की ओर जा रहे कुछ लोगों ने सुन ली। लोग चीख की दिशा में दौड़ते रहे, इधर-उधर देखते रहे, कोई गन्ने के खेत में आवाज की दिशा में दौड़ा तो किसी ने गड्ढे आदि में तलाश की।
किसी को स्कूल के कमरे में बच्चे के कैद होने की कल्पना तक नहीं थी। यह बात गांव तक पहुंची तो माता-पिता उसी बदहवासी और शारीरिक मानसिक थकाने के साथ बच्चे को खोजने के लिए दौड़े। उनकी दौड़ अब खेत से हटकर स्कूल की ओर हुई तो बच्चा स्कूल के कमरे की खिड़की पर खड़ा आंसुओं से सराबोर सिसकियां लेता मिला।
ग्राम प्रधान भी भाग कर आए, कमरे का ताला खुला , कमरा खुलते ही बच्चा माता-पिता की ओर ऐसे दौड़ा, जैसे काल कोठरी से निकला हो और नया जीवन मिला हो। बच्चे की पीड़ा और दहशत देख पूरे गांव के लोगों की आंखें छलक आईं।