उत्तर प्रदेशमहराजगंज

पितृपक्ष 2025 पर चंद्र और सूर्य ग्रहण का साया, इस चंद्रग्रहण में क्या करें, क्या नहीं

  • दुर्लभ खगोलीय संयोग से मेष, कन्या, मिथुन, वृश्चिक राशि वालों को मिलेगा लाभ, कुंभ राशि वालों के लिए बेहद अशुभ

पितृपक्ष 7 सितंबर से शुरू हो रहा, इस दिन चंद्र ग्रहण पड़ेगा, समापन 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण के साथ होगा।

पितृपक्ष 7 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। इस बार पितृपक्ष में दुर्लभ संयोग बन रहा है। इसकी शुरुआत चंद्र ग्रहण के साथ हो रही है। यानी 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण होगा। वहीं, पितृपक्ष का समापन सूर्य ग्रहण के साथ होगा। यानी 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण पड़ेगा। चंद्र ग्रहण रात 9:57 बजे शुरू होगा। जो देर रात 1:27 बजे तक रहेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि यह चंद्र ग्रहण भारत के अधिकांश हिस्सों में दिखाई देगा। जिसकी वजह से इसका असर भी भारत पर देखने को मिलेगा। जबकि, सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, जिसके चलते इसका असर यहां देखने को नहीं मिलेगा।

एक ही पक्ष में दो ग्रहण के लगने से स्थितियों को ठीक नहीं माना जा रहा। ऐसा देखा गया है कि जब एक ही पक्ष में दो ग्रहण लगते हैं, तो कई तरह की परेशानियां, राजनीति उथल पथल और प्राकृतिक घटनाएं होती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में ग्रहण का लगना शुभ-अशुभ फल को प्रभावशाली बनाता है। यह घटना पितरों की शांति और तर्पण कर्मकांड को विशेष महत्व देने वाली होगी।

इस बार चंद्र ग्रहण कुंभ राशि पर लगने जा रहा है। जिसकी वजह से मेष, कन्या, मिथुन, वृश्चिक समेत कुछ अन्य राशियों को फायदा मिलेगा, जबकि अधिकांश को नुकसान होगा। चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाता है। इसकी वजह से दर्शन पूजन और मंदिरों के मुख्य कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

चंद्र ग्रहण का समय

स्पर्श : रात 9:57 बजे
मध्य : रात 11:41 बजे
मोक्ष : रात 1:27 बजे

सूर्य ग्रहण का सूतक काल

पितृपक्ष का समापन 21 सितंबर को होगा। इस दिन सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। जो रात 11 बजे शुरू होगा और 22 सितंबर को सुबह 3:24 बजे खत्म होगा। हालांकि, यह भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल भी नहीं माना जाएगा। इसलिए इस दिन श्राद्ध और तर्पण करने में कोई परेशानी नहीं है। ग्रहण के दिन दान और पुण्य भी कर सकेंगे। यह ग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा। इसलिए इसका ज्योतिषीय महत्व है। पितृ पक्ष में सूर्य ग्रहण पड़ने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

पितृपक्ष 2025 की श्राद्ध तिथियां

पूर्णिमा का श्राद्ध – 7 सितंबर
प्रतिपदा का श्राद्ध – 8 सितंबर
द्वितीया का श्राद्ध – 9 सितंबर
तृतीया और चतुर्थी का श्राद्धा – 10 सितंबर
पंचमी का श्राद्ध – 11 सितंबर
षष्ठी का श्राद्ध – 12 सितंबर
सप्तमी का श्राद्ध – 13 सितंबर
अष्टमी का श्राद्ध – 14 सितंबर
नवमी का श्राद्ध – 15 सितंबर
दशमी का श्राद्ध – 16 सितंबर
एकादशी का श्राद्ध – 17 सितंबर
द्वादशी का श्राद्ध – 18 सितंबर
त्रयोदशी का श्राद्ध – 19 सितंबर
चतुर्दशी का श्राद्ध – 20 सितंबर
सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध – 21 सितंबर

चंद्रग्रहण में क्या करें, क्या नहीं

चंद्रग्रहण के दौरान भोजन करना, पूजा-पाठ करना, सुनसान जगह या श्मशान भूमि में जाना, नए काम की शुरुआत करना वर्जित है। चंद्रग्रहण के बाद घर का शुद्धीकरण करना चाहिए। 7 सितंबर को वर्ष 2025 में भारत का आखिरी चंद्रग्रहण लगेगा, तब हर किसी को इन बातों का ख्याल रखना चाहिए।

आचार्य डाॅ धनंजय मणि त्रिपाठी
संपर्क : 8115557778

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
.site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}