उत्तर प्रदेशमहराजगंजलखनऊ

यूपी में अबकी बार 300 पार के नारे के साथ मैदान में उतरेगी सपा

लोकसभा चुनाव परिणाम से सपा उत्साहित

2027 यूपी विधानसभा चुनाव की अभी से तैयारी

उमेश चन्द्र त्रिपाठी

लखनऊ/ महराजगंज! लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए चेतावनी का अलार्म बजा चुकी समाजवादी पार्टी 2027 के लिए दुंदुभी भले ही विधानसभा चुनाव नजदीक आने पर ही बजे, लेकिन सटीक रणनीति के साथ मैदान सजाने की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। लंबे समय तक ‘एमवाई’ यानी मुस्लिम और यादव वोटों के भरोसे प्रयास करती रही सपा अब इस बात से बेहद उत्साहित है कि कभी उसके नाम से भी बिदक जाने वाला अनुसूचित जाति का मतदाता लोकसभा चुनाव में उसके करीब आया है।

पीडीए के सूत्र पर आगे बढ़ेगी सपा

बसपा के कोर वोट बैंक यानी ब्लू ब्रिगेड पर खास नजर जमाए सपा 300 विधानसभा सीटें जीतने के लक्ष्य के साथ उसी ‘पीडीए’ के सूत्र पर कदम बढ़ाने जा रही है, जिसने उसकी झोली में 37 लोकसभा सीटें डाल दी हैं। वर्तमान में सपा के पास उत्तर प्रदेश की 105 विधानसभा सीटें हैं, जबकि भाजपा के पास 251 विधायक हैं।

भाजपा के सामने चिंतन का विषय

दो बार से लगातार विधानसभा जीत रही भाजपा के सामने अब तक सपा काफी कमजोर नजर आ रही थी, लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव के परिणाम ने परिस्थितियां बदल दी हैं। यह भाजपा के लिए चिंतन का विषय है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से उसकी ओर तेजी से बढ़ता आया अनुसूचित जाति का मतदाता अब इस बार दोराहे पर खड़ा नजर आया।

अन्य पिछड़ा वर्ग में मजबूत हुई सपा की पकड़

बसपा को और अधिक कमजोर होते देख उसने विकल्प के तौर पर भाजपा के साथ सपा से भी उम्मीदें जोड़ लीं। इधर, गैर यादव अन्य पिछड़ा वर्ग में भी समाजवादी पार्टी की पकड़ मजबूत होती दिखाई दी। यही कारण है कि जो सपा 2014 में अकेले और 2019 में बसपा से गठबंधन के बावजूद पांच-पांच संसदीय सीटें ही जीत सकी, उसने 2024 में 80 में से 37 सीटें जीत लीं। उसकी गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को भी लाभ मिला और वह भी एक से बढ़कर छह सीटों पर पहुंच गई।

काम आई अखिलेश यादव की बिसात

सबसे बड़ी सफलता सपा प्रमुख अखिलेश यादव की सटीक जातीय समीकरण समझते हुए बिछाई गई बिसात की है। बसपा से सपा में आकर इस बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए एक वरिष्ठ ओबीसी नेता का मानना है कि 2019 में बसपा से गठबंधन का लाभ सपा को सीटों के लिहाज से बेशक नहीं हुआ हो, लेकिन साथ काम करने से अखिलेश इस वर्ग के नेताओं व कार्यकर्ताओं के बीच अपनी विश्वसनीयता बनाने में सफल रहे। चूंकि, चुनाव बाद गठबंधन बसपा प्रमुख मायावती ने अपनी ओर से तोड़ा था, इसलिए इस वर्ग में जो लोग भाजपा का विकल्प तलाश रहे थे, उन्हें अखिलेश ही नजर आए।

इन वर्गों में भाजपा मजबूत

सपा सांसद मानते हैं कि ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य वर्ग पर अभी भी भाजपा की मजबूत पकड़ बनी हुई है। अब 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए यूं तो सपा सभी वर्गों में प्रयास करेगी, लेकिन उसकी खास तौर पर निगाह अनुसूचित जाति के मतदाताओं पर होगी। उसमें भी जाटव वोटों पर, क्योंकि यह वर्ग बसपा को छोड़कर भाजपा के साथ अभी तक जाने से कतराता रहा है। इस वर्ग में पढ़े- लिखे युवाओं की संख्या बढ़ी है और उसे समझना आसान है। इसमें लोकसभा चुनाव में सफलता मिल चुकी है।

अबकी बार 300 पार’ का लक्ष्य

दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के बाद सपा अपनी चुनावी तैयारी शुरू कर देगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों का जातीय लेखा-जोखा पहले से तैयार है। सबसे पहले इसके अनुरूप संगठन को सजाया जाएगा व फिर प्रत्याशी चयन भी उसी आधार पर होगा। अखिलेश यादव ने 403 में से कम से कम 300 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
.site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}