नेपाल के 50 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई आस्था की डुबकी, साथ ले जा रहे हैं गंगा जल और रेत
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प्रयागराज । गंगा की रेती पर सनातन धर्म का प्रतीक महाकुंभ का आयोजन चल रहा है।मां जानकी के मायके नेपाल में महाकुंभ को लेकर जबरदस्त उत्साह है।दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक समागम महाकुंभ में अब तक नेपाल से आए 50 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था डुबकी लगाई है।
नेपाली श्रद्धालु मां जानकी की जन्मस्थली और भगवान राम की ससुराल जनकपुर से पवित्र अक्षत और अन्य पवित्र प्रसाद बड़े हनुमान जी को चढ़ाने के लिए ला रहे हैं।साथ ही गंगा जल और रेत भी अपने साथ ले जा रहे हैं, इसे वे अमूल्य आध्यात्मिक विरासत मानते हैं।
संगम तट पर बड़े हनुमान मंदिर और अक्षय वट में नेपाली श्रद्धालुओं की गहरी आस्था उनके अनुष्ठानों और श्रद्धा में स्पष्ट दिखाई देती है।संगम में आस्था की डुबकी लगाने के अलावा, अयोध्या में रामलला और काशी में बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने का भी जुनून बढ़ा है।नेपाली श्रध्दालु पवित्र गंगा जल और रेत को नेपाल लेकर जा रहे हैं,जहां उनका उपयोग विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है।
नेपाल एसोसिएशन ऑफ टूर एंड ट्रैवल एजेंट्स (बांके चैप्टर) के अध्यक्ष श्री राम सिगडेल ने कहा कि पवित्र अक्षत जनकपुर से लाए गए हैं और संगम के तट पर बड़े हनुमान मंदिर में चढ़ाए गए हैं।
नेपाल एसोसिएशन ऑफ टूर एंड ट्रेवेल्स एजेंट्स की बांके इकाई के अध्यक्ष श्री राम सिग्देल ने बताया कि नेपाल से विशेष रूप से भगवान श्री राम के ससुराल जनकपुर से पवित्र अक्षत महाकुंभ में लाया गया है,जिसे संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान जी को अर्पित किया गया है।
श्री राम सिग्देल ने कहा कहा कि नेपाल के श्रद्धालुओं ने संगम की रेत और गंगा जल को सबसे अमूल्य धरोहर मानते हुए माथे पर लगाया और वे इसे अपने साथ घर ले गए।धार्मिक अनुष्ठानों के लिए इसे घर वापस ले जाने से पहले कई लोग इसे अपने माथे पर लगाते हैं।सिग्देल ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से की गई व्यवस्थाएं अतुलनीय हैं,जिससे नेपाल के श्रद्धालुओं को भारत में आने पर किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई।
बता दें कि महाकुंभ 13 जनवरी को शुरू हुआ और 26 फरवरी को महा शिवरात्रि पर समाप्त होगा।योगी सरकार के मुताबिक अब तक 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं।