भगवान शंकर की भांति भजन करके ही राम की भक्ति प्राप्त की जा सकती है : जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी महाराज
संवाददाता -ओम प्रकाश राम त्रिपाठी (खजनी )
खजनी /गोरखपुर : (हर्षोंदय टाइम्स ) रामकथा के दूसरे दिन व्यास पीठ से तुलसी पीठाधीश्वर रामानंदाचार्य जगद्गुरु श्रीरामभद्राचार्य ने श्रद्धालुओं को कथामृत सुनाते हुए कहा कि रामकथा सुनने की पात्रता जीव के वश की बात नहीं उन्होंने कहा कि यह कथा मैं झारखण्डेश्वर महादेव को सुना रहा हूं। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण जी भगवान श्रीराम के अति विशिष्ट सेवक हैं। रामचरितमानस में वर्णित अयोध्या काण्ड की चौपाई-“राग रोषु ईर्ष्या मद मोहू जनि सपनेहूं इनके वश होहू।” का उल्लेख करते हुए उन्होंने श्रोताओं को बताया कि लक्ष्मण जी स्वप्न में भी इन मानस विकारों से प्रभावित नहीं हुए।

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कथा प्रसंग की विस्तृत चर्चा में उन्होंने बताया कि गोस्वामी तुलसीदास के अनुसार भगवान राम ने एक गुप्त मंत्र का उल्लेख करते हुए कहा है कि- “औरउ एक गुपुत मत सबहि कहउँ कर जोरि।संकर भजन बिना नर भगति न पावइ मोरि।।45।।” जिसके अनुसार भगवान शंकर की भांति भजन करके ही राम की भक्ति प्राप्त की जा सकती है उन्होंने भजन के तत्वज्ञान की विस्तार सहित जानकारी दी। संगीतमय कथा में उपस्थित श्रोता भक्ति रस के आनंद में गोते लगाते रहे। प्रसंगश: उन्होंने मानस गीता का उल्लेख करते हुए बताया कि बिनु विश्वास भगति नहीं, तेही बिनु द्रवहिं न राम। राम-कृपा बिनु सपनेहुँ, जीव न लहि विश्राम॥
अर्थात बिना विश्वास के भक्ति संभव ही नहीं भक्ति और जीव का कल्याण राम कृपा के बिना नहीं प्राप्त की जा सकती।
इससे पूर्व व्यासपीठ एवं रामचरितमानस का पूजन यजमान अक्षैबर राम त्रिपाठी एवं श्रद्धालुओं के द्वारा किया गया। आरती और प्रसाद वितरण के साथ दूसरे दिन की कथा का समापन हुआ।
उक्त कथा के अवसर पर नगर अध्यक्ष उमाशंकर निषाद, क्षेत्राधिकारी खजनी अनिल कुमार सिंह, ई. वीरेंद्र शुक्ला,थाना प्रभारी खजनी संजय मिश्रा, शिवप्रसाद त्रिपाठी, पन्नेलाल पासवान,शिवकुमार साह, चंद्रभान त्रिपाठीआदि लोगो ने रसपान किया।