गोरखपुर

लोक निर्माण विभाग की प्रहरी ऐप में भ्रष्टाचार का बोलबाला

सतीश शुक्ला,गोरखपुर

लोक निर्माण विभाग में निविदा को पारदर्शी बनाने के लिए प्रहरी ऐप का निर्माण किया गया। प्रहरी ऐप के निर्माण में कुछ कमियां पहले से ही थी अब तो इसमें पूर्ण रूप से कदाचार और भ्रष्टाचार करने के लिए जाना जाता है। इसमें मिले हुए कुछ उच्च वर्गीय अधिकारियों के कारण ही ऐसा हो पा रहा है। इस ऐप में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी मजबूत है कि कुछ इसमें हो नहीं पा रहा है। जिसका परिणाम योग्य ठेकेदार भुगत रहे हैं और अयोग्य ठेकेदार संपूर्ण कार्यों पर अपना आधिपत्य जमा रहे हैं।

उदाहरण के तौर पहला मामला मथुरा में ओमप्रकाश सिंह ठेकेदार के पत्रों को निविदा समय के बाद डिलीट करके उन्हें डिसक्वालीफाई कर दिया गया,उनको बताया गया कि निविदा पडने के बाद भी परिपत्रों को बदला जा सकता है जो कि ऐसा नहीं हो सकता है।

दूसरा मामला गोरखपुर में निविदा सूचना संख्या 8136 दिनांक 10/ 11/22 को आमंत्रित 26 ग्रुप की निविदाओं में प्रहरी एप्प द्वारा किसी ने हैसियत तथा चरित्र प्रमाण पत्र अपलोड नहीं किया। फिर भी सभी लोग सेलेक्ट हो गए।

छोटे ठेकेदार भुखमरी के शिकार हो जाएंगे :
प्रहरी ऐप छोटे ठेकेदारों को समाप्त करने पर लगा हुआ है,जो लोक निर्माण विभाग में कार्य करते हैं उनके बिड का सत्यापन चाणक्य से हो जाता हैं,जो अन्य विभागों में कार्य कर रहे हैं वह अपने आउटगोइंग कार्य नहीं दर्शाते हैं और बड़ी-बड़ी भी क्षमता लेकर समस्त कार्य को प्राप्त कर ले रहे हैं इस पर विचार होना चाहिए।

प्रहरी ऐप में शिकायत की व्यवस्था केवल निविदा दाताओं को ही है। इसी के दुरुपयोग को रोकने के लिए ठेकेदार संघ उत्तर प्रदेश ने कार्य बहिष्कार लगभग 90 दिन तक किया था, जिसमें विभागीय अधिकारियों द्वारा निविदा डलवा कर सिंगल निविदाएं खोली गयी।

उक्त प्रहरी ऐप में भ्रष्टाचार को लेकर आदर्श पूर्वांचल ठेकेदार समिति, गोरखपुर के अध्यक्ष शरद कुमार सिंह की मांग है कि कमियों को दूर करते हुए किए गए भ्रष्टाचार को उजागर करने हेतु उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर जांच कराने की कृपा करें जिससे ठेकेदारों को न्याय मिल सके।

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