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चीन की धमकी से नहीं डरेगा नेपाल, भारत के साथ करेगा ऊर्जा समझौता

उमेश चन्द्र त्रिपाठी

काठमांडू/महराजगंज : नेपाल ने चीन की धमकियों के बावजूद भारत के साथ दीर्घकालिक ऊर्जा समझौता करने का ऐलान किया है। इस समझौते पर भारतीय विदेश मंत्री की आगामी नेपाल यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए जाएंगे। इसके अलावा हाई इम्पैक्ट कम्यूनिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स के लिए फंडिंग बढ़ाने के भारत के प्रस्ताव पर भी हस्ताक्षर किया जाएगा। जयशंकर गुरुवार को काठमांडू की एक छोटी यात्रा पर जा रहे हैं। वह भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की सातवीं बैठक में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी कर रहे हैं, जो भारत और नेपाल के बीच उच्च स्तर का द्विपक्षीय तंत्र है। यह आयोग द्विपक्षीय संबंधों की संपूर्ण स्थिति की समीक्षा करने का काम करता है।

गुरुवार को काठमांडू पहुंचेंगे जयशंकर

काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, जयशंकर की नेपाल यात्रा की औपचारिक घोषणा अभी बाकी है। लेकिन, अखबार ने नेपाली सूत्रों के हवाले से बताया कि जयशंकर गुरुवार सुबह काठमांडू पहुंचेंगे और नेपाली विदेश मंत्री के साथ आयोग की बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे। बैठक में नेपाली प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री एनपी सऊद करेंगे। जयशंकर ने आखिरी बार 2019 में काठमांडू का दौरा किया था। इस दौरे पर जयशंकर के साथ भारतीय विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा, संयुक्त सचिव (उत्तर, नेपाल, भूटान के प्रभारी) अनुराग श्रीवास्तव, भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची और सीमा प्रबंधन मुद्दों से निपटने वाले विदेश मंत्रालय के अन्य अधिकारी साथ होंगे।

एजेंडा फाइनल करने की तैयारी में नेपाल

नेपाली अधिकारियों के मुताबिक, यात्रा का अंतिम एजेंडा मंगलवार शाम तक तैयार होने की उम्मीद है, लेकिन योजना दो समझौतों पर हस्ताक्षर करने की है। नेपाली ऊर्जा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नेपाली पक्ष अभी भी पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। उन्होंने कहा, ”हमारे बीच कुछ मतभेद हैं, जिन्हें राजनीतिक स्तर पर सुलझाने की जरूरत है। अगर ऐसा होता है और प्रधानमंत्री, ऊर्जा मंत्री और विदेश मंत्री सहमत होते हैं तो यात्रा के दौरान पंचेश्वर परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा सकता है।’

किन-किन मुद्दों पर होगी चर्चा

विदेश मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि संयुक्त आयोग की बैठक में सीमा, व्यापार, वाणिज्य, आर्थिक सहयोग और बिजली व्यापार सहित दोनों देशों के बीच सभी मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। अधिकारी के मुताबिक, लेकिन केवल कुछ समझौतों पर ही हस्ताक्षर किए जाएंगे। विदेश मंत्री सऊद ने पोस्ट को बताया कि उन्होंने एजेंडे को लगभग अंतिम रूप दे दिया है और बैठक में ठोस प्रगति होगी। पिछले साल मई-जून में प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल की भारत यात्रा के बाद से दीर्घकालिक ऊर्जा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करने के मुद्दे पर बातचीत चल रही है।

जून में ऊर्जा समझौते पर सहमत हुए थे भारत-नेपाल

दहाल की भारत यात्रा के दौरान, दोनों देश ऊर्जा पर एक दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर करने पर सहमत हुए थे, जिसके तहत भारत दस वर्षों में नेपाल से 10,000 मेगावाट का आयात करेगा। हाल ही में 22 दिसंबर को एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री दहल ने कहा, “हम जल्द ही भारत के साथ एक दीर्घकालिक ऊर्जा समझौते पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं। काठमांडू में एक मध्यावधि और दीर्घकालिक ऊर्जा व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।” पिछले साल 1 जून को द्विपक्षीय वार्ता के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दहल के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान घोषणा की थी कि भारत दीर्घकालिक बिजली व्यापार समझौते के तहत नेपाल से 10 वर्षों में 10,000 मेगावाट बिजली खरीदेगा।

भारत के साथ समझौते का विरोध करता रहा है चीन

चीन शुरू से ही भारत-नेपाल ऊर्जा समझौते का विरोध करता रहा है। पिछले साल सितंबर में नेपाल में चीनी राजदूत चेन सोंग ने इस समझौते के खिलाफ जमकर जहर उगला था। चीनी राजदूत ने दावा किया था कि नेपाल के प्रति भारत की नीतियां अक्सर मित्रवत नहीं होती हैं और नेपाल के लिए पूरी तरह से फायदेमंद नहीं हैं। उन्होंने नेपाल को कृषि क्षेत्र पर ध्यान देने के साथ चीनी आर्थिक संरचनाओं के अनुरूप आर्थिक पुनर्गठन सुनिश्चित करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने चीन के साथ नेपाल के रिश्तों को मजबूत करने पर जोर देते हुए भारत को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दे दी।

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