गोरखपुर में बेसहारे का सहारा बना स्माइल रोटी बैंक

प्रशांत कुमार द्विवेदी
कैंपियरगंज/गोरखपुर : एक चर्चित समाजसेवी संस्था स्माइल रोटी बैंक है जो मानसिक रूप से कमजोर,गरीब, असहाय,पीड़ित और किसी भी प्रकार से शोषित समाज के लिए सालों से निः स्वार्थ रूप से कार्य किए जा रही है। चाहे वो कोरोना काल रहा हो या अन्य कोई संकट का समय हर समय इस संस्था ने जिम्मेदारी के साथ अपना उत्तरदायित्व समझ कर सबके दुख और दर्द को साझा किया।

इस संस्था के फाउंडर आजाद कृष्ण पांडेय जी मुसावर कैंपियरगंज के स्थाई निवासी है,जो सालों से गोरखपुर में रहकर मजबूर लोगो की दिन रात सेवा करते रहते हैं, कोरोना काल की विकट घड़ी में जब सबको अपने जान की परवाह थी, उस कठिन परिस्थिति में स्माइल रोटी बैंक की टीम ने जान की परवाह किए बिना गोरखपुर में बीमारों को दवा,और मजबूरों को रोटी पहुंचाने का कार्य किया। जिला जेल में मानसिक मंदित रोगियों के मोटीवेशन का कार्य भी इस संस्था द्वारा किया गया है। स्टेशन पर पटरी पर सोने वाले हो रिक्शा चालक हो,या कोई मानसिक मंदित हो रात में भूखा न रहे,बीमार न रहे,निर्वस्त्र न रहे,असहाय न रहे,इसी उद्देश्य के साथ इस संस्था के आजाद पांडेय जी ने इस मुहिम को शुरू किया है।
बता दें की अपने निः स्वार्थ और उत्कृष्ठ कार्यों के लिए इस संस्था को प्रदेश सरकार द्वारा हाल में ही स्वामी विवेकानन्द पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है।
इस संबंध में बात करने पर कृष्ण आजाद पांडेय ने ये बताया की इस संस्था का उद्देश्य समाज में मंदित शोषित लाचार और गरीब बीमार लोगो की सदैव मदद करना है.
उन्होंने बताया की समाज सेवा का विचार उनके मनो मस्तिस्क में बचपन से ही था,कही न कही इसकी रूपरेखा तैयार हो चुकी थी और बीजारोपण हो चुका था,पारिवारिक संस्कारों ने भी भूमिका निभाई,विधि में स्नातक की पढ़ाई के दौरान हुए हादसे में जो परिस्थितियां बीमारी के दौरान घटित हुई उसने इनके जीवन की दशा बदल दी और अंतिम पायदान पर खड़े आदमी को प्रथम श्रेणी तक ले आने की दिशा में काम करने लगे।
इस संस्था के नाम के बारे में पूछने पर श्री आजाद कृष्ण पांडेय कहते हैं कि स्माइल रोटी बैंक अपने आप में पूरी कथा है,पूजा ग्रंथ है,एक इतिहास है,आखिरी आदमी जो आखिरी पायदान पर खड़ा है उसके चेहरे पर मुस्कान लाने की प्रक्रिया है स्माइल,रोटी एक जरिया है की जो अंतिम पायदान पर बैठा हुआ आदमी है जो रोगी है भिखारी है बीमार है बुजुर्ग है असहाय है वो भूखा न रहे,व्यवस्था संग्रहित करने का नाम है बैंक,जो शासन,साधन,संसाधन व्यवस्था और हम और आप बैंक हैं।
इन्होंने अपील की के हर व्यक्ति को समाज के इस वर्ग के प्रति जागरूक होना चाहिए,और संभव मदद जरूर करनी चाहिए।