दुर्गा प्रसाई ने हिरासत में लिखा बेटी को मार्मिक पत्र

उमेश चन्द्र त्रिपाठी
सोनौली/ महराजगंज (हर्षोदय टाइम्स) ! नेपाल में साइबर क्राइम के तहत पुलिस हिरासत में रह रहे दुर्गा प्रसाई ने अपनी बेटी को एक मार्मिक पत्र लिखकर देश के आवाम से भावनात्मक रूप से जुड़ने का कार्य किया है। उन्होंने पत्र में लिखा है!
मेरी प्यारी बेटी
शुभ आशिर्वाद
मुझे आशा ही नहीं विश्वास भी है कि मां दुर्गा की कृपा से आप सुरक्षित हैं। मुझे पता है कि आप भी मेरे सांचो बिसांचो को लेकर चिंतित हैं। पर आप को चिंता करने की जरूरत नहीं है बेटी। जिंदगी के सफर में जो छोटी-छोटी रुकावटें आई हैं, उनसे संघर्ष करते हुए मैं आगे बढ़ रहा हूं। आखिर जिंदगी का सबसे अहम नाम सघर्ष ही तो है बेटी। इस बार आप के प्यार की ताकत ने मुझे अपनी ओर खींच लिया, बेटी। अनायास ही, मेरे हाथ की उंगलियां वे दिन गिनने लगीं जब से मेरे पिता और पुत्र अलग हुए थे। ओह! आपको कैंसर विशेषज्ञ के रूप में अध्ययन करने के लिए विदेश गए दो साल हो गए हैं। जब भी मुझे याद आता है कि आप हमसे बहुत दूर हो तो मेरा दिल टूट जाता है। मन टूट गया है बिटिया, इसे रोकने की कोशिश करते समय भी आंखों के सॉकेट में आंसू भरने का अहसास होता है। और मुझे सर्वहारा वर्ग, उत्पीड़ित वर्ग और उनके द्वारा झेले गए दर्द, तस्करों और सामंती प्रभुओं द्वारा चलाए जा रहे बैंकों, सहकारी समितियों और माइक्रोफाइनेंस से भयभीत नागरिकों और उनके डरे हुए चेहरों की याद आती है, उन्हें नग्न और भूखा चलते हुए देखकर दुख होता है। अवसाद। इतना ही नहीं, जब आप सहकारी, माइक्रोफाइनेंस के ऋण की किस्तें चुकाने के लिए देश छोड़ने वालों की दादी को हवाई अड्डे पर देखते हैं, और जब आप दशईं तिहार जैसे त्योहारों पर भी बच्चों के बिना घर देखते हैं, जब आप उन बूढ़ी महिलाओं को देखते हैं जो हाथों में टीका जमारा लेकर अपने बच्चों का इंतजार कर रहे हैं, यहां माता-पिता की लाशें हफ्तों से अपने बच्चों के इंतजार में मुर्दाघर में पड़ी हैं। जब वह अपनी बेटी को देखती हैं तो और भी उत्साहित हो जाती हैं। ऐसा कैसे और क्यों हुआ यह आपके लिए भी दिलचस्प है और आपको इसके बारे में जानना भी चाहिए बेटी।
ऐसा क्यूं होता है? इस स्थिति का मुख्य कारण क्या है?
इसका मुख्य कारण पार्टी, पार्टी नेता और राजनीतिक अस्थिरता है। वित्त की कमी, बढ़ती बेरोजगारी, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और तस्करी। क्योंकि मैंने ये आवाज उठाई तो आज जांच के नाम पर मुझे पुलिस हिरासत में रखा गया है। आपको पता है आज से आठ साल पहले मेरे गले और जीभ के कैंसर की सर्जरी के बारे में। इसीलिए आज भी मुझे समय-समय पर संक्रमण हो जाता है। कभी-कभी यह रोग बढ़ जाता है। 4 नवंबर, 2081 को मुझे फिर से पकड़ा गया। इस बार मुझे हॉस्पिटल में रुकने की इजाजत नहीं थी। हालांकि मेरे वकील बार-बार सबूत दे रहे थे कि मैं कैंसर पीड़ित हूं, फिर भी मुझे अस्पताल में भर्ती करने के बजाय सिंह दरवार पुलिस स्टेशन ले जाया गया। पुलिस अभिरक्षा के अंदर एक छोटी सी जगह, मुझे कई कैदियों के साथ रखा गया।