देवरिया के एक शातिर कार चोर की कहानी?

नेपाल में कैसे बना दाउद इब्राहिम और आईएसआई का विश्वासपात्र,जो नेपाल में रहकर भारत के लिए हमेशा सरदर्द बना रहा?
मिर्जा दिलशाद बेग कृष्णानगर सीट से दो बार सांसद और केन्द्र में मंत्री था। नेता बनने के बाद भी वह भारत विरोधी गतिविधियों में पूरी तरह संलिप्त रहा
उमेश चन्द्र त्रिपाठी
कृष्णा नगर/महराजगंज (हर्षोदय टाइम्स) : अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम का नेटवर्क पूरी दुनिया में फैला हुआ था। अक्सर दाउद के गुर्गे भारत में वारदातों को अंजाम देकर नेपाल के रास्ते विदेश भाग जाते थे। ऐसे में हमेशा सवाल उठता था कि कोई नेपाल में है जो दाउद की मदद करता है। नेपाल में दाउद के इस मददगार का नाम मिर्जा दिलशाद बेग था। दिलशाद बेग, दाउद और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करता था। इसके अलावा वह दो बार कृष्णानगर सीट से सांसद बना और वह दोनों बार नेपाल की सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी था।
कई सालों तक दाउद की डी कंपनी की मदद करने वाले दिलशाद बेग को साल 1998 में मार दिया गया था। दिलशाद बेग की हत्या के पीछे सालों तक कई दावे सामने आते रहे। जिनमें से एक दावा छोटा राजन द्वारा भी किया गया था, लेकिन पुलिस और खुफिया सूत्रों का मानना था कि उसकी हत्या के पीछे यूपी के एक बड़े डॉन बबलू श्रीवास्तव का हाथ था।
मूल रूप से यूपी के देवरिया का रहने वाला मिर्जा दिलशाद बेग कार चोर था लेकिन 80 के दशक में वह अंडरवर्ल्ड के संपर्क में आया था। मुख्यतः वह गाड़ी चोरी, अपहरण, फिरौती और हत्याओं में शामिल रहा। दाउद इब्राहिम के अलावा वह छोटा राजन, छोटा शकील और नाइक बंधुओं के संपर्क में आया। नेपाल बॉर्डर के इलाकों में अपराधियों की घुसपैठ को अंजाम देने के चलते वह पुलिस के निशाने पर आ गया। पुलिस के नकेल कसने के कुछ दिनों बाद उसने नेपाल को अपना ठिकाना बना लिया।
नेपाल पहुंचकर दिलशाद बेग ने नागरिकता हासिल की और फिर दक्षिण-पश्चिम नेपाल के कपिलवस्तु में मुस्लिम नेता की छवि स्थापित कर साल 1994 में भारी वोटों से चुनाव जीता। इसके बाद वह दो सरकार में मंत्री भी रहा। वहीं, उसने अपनी कृष्णा नगर हवेली से संदिग्ध गतिविधियां जारी रखी। इन सालों में उसने अपहरण, हथियार तस्करी के कामों के अलावा कई मोस्टवांटेड अपराधियों को शरण दी। इसके अलावा नेपाल में उसे बड़े कार चोरी के गिरोह के मुखिया के तौर पर भी जाना जाता था।
माना जाता है कि मुंबई में गुलशन कुमार की हत्या में शामिल हत्यारे और कई आतंकवादी संगठनों ने उसके यहां पनाह ली थी। लेकिन साल 1998 में जब वह काठमांडू स्थित चाहबिल इलाके में अपनी दूसरी पत्नी के घर में दाखिल हो रहा था तभी कुछ हत्यारों ने उसे मौत के घाट उतार दिया। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बेग की हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए उस वक्त छोटा राजन ने कहा था कि वह देश के खिलाफ साजिश रच रहा था इसलिए हमने उसे मरवा दिया।
दिलशाद बेग की हत्या के कुछ दिनों बाद छोटा राजन के सहयोगी रहे गैंगस्टर फरीद तनाशा ने भी इस बात की पुष्टि की थी। वहीं इस पूरे मामले पर खुफिया एजेंसी के सूत्रों का मानना था कि उसे यूपी के डॉन बबलू श्रीवास्तव ने अपने सहयोगियों से मरवाया था। साथ ही कहा गया था कि दिलशाद बेग को जाल में फंसाने के लिए बबलू की सहयोगी व किडनैपिंग क्वीन अर्चना बाल मुकुन्द शर्मा की मदद ली गई थी।