उत्तर प्रदेशमहराजगंज

भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी के नामांकन में उमड़ा जनसैलाब

बम-बम शंकर जय हरिशंकर के नारों से गूंजा नगर

अखिलेश यादव, राहुल गांधी, भीष्म शंकर जिंदाबाद के लगे नारे

डुमरियागंज सीट से भाजपा के जगदम्बिका पाल को देंगे चुनौती

उमेश चन्द्र त्रिपाठी

सिद्धार्थ नगर/महराजगंज!उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर
डुमरियागंज से अखिलेश यादव ने पूर्वांचल के ब्राह्मण शिरोमणि घराने से भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी को मैदान में उतारा है। उसी क्रम में आज भीष्म शंकर तिवारी ने भारी भीड़ की उपस्थिति में अपना नामांकन दाखिल किया। नामांकन के दौरान उमड़े जनसैलाब के बीच बम-बम शंकर जय हरिशंकर के गगनभेदी नारों से पूरा सिद्धार्थ नगर गूंज उठा। अखिलेश यादव, राहुल गांधी और भीष्म शंकर जिंदाबाद के भी नारे लगे। इस दौरान समर्थकों में भारी उत्साह देखा गया।

बता दें कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने डुमरियागंज सीट पर भाजपा को पटखनी देने के उद्देश्य से समाजवादी पार्टी ने लोहे से लोहा काटने की रणनीति बनाई है। उन्होंने भाजपा को शिकस्त देने के लिए पूर्वांचल के ब्राह्मण शिरोमणि घराने से भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी को मैदान में उतारा है। अब यह सुनिश्चित हो गया है कि डुमरियागंज सीट में भाजपा के वर्तमान सांसद जगदम्बिका पाल व सपा से कुशल तिवारी के बीच बेहद कड़ी चुनौती होगी। कुशल ने बीते दिनों संसदीय सीट का दौरा कर क्षेत्र के सपा नेताओं व अन्य प्रतिष्ठित जनों से मुलाकात कर अपनी चुनावी मुहिम की अनौपचारिक शुरूआत कर दी है।

आपको बतातें चलें कि डुमरियागंज सीट पर सन् 1952 के पहले चुनाव से अब तक के 16 चुनाव में 7 बार ब्राहमण प्रत्याशी ही जीते हैं। मगर वर्ष 1991 के बाद से यहां 6 बार राजपूत प्रत्याशियों के हाथ जीत आयी है। इनमें रामपाल सिंह तीन व जगदम्बिका पाल तीन-तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। लेकिन मंदिर आंदोलन की लहर के बावजूद वर्ष 1989 और 91 में यहां से सपा के बृजभूषण तिवारी चुनाव जीतने में कामयाब रहे। इसका मतलब यह है कि इसी सीट पर ब्राह्मण मतदाता भाजपा के विरोध में जब-जब बोला है तब-तब यहां भाजपा का सिंहासन भी डोला है। इस लिहाज से इस सीट पर अगला चुनाव बेहद रोचक होने की संभावना है। वहीं सूत्रों और चर्चाओं में इस बार क्या होने वाला है, क्या ब्राह्मण समाज बोलेगा अथवा वह चुप रहेगा? इस बारें में राजनीति के स्थानीय जानकार बताते हैं कि कुशल तिवारी के चुनाव लड़ने की खबर पर स्थानीय ब्राह्मण समाज उत्साहित दिखता है। कुछ भाजपा समर्थक ब्राह्मण भी सपा के पक्ष में बात करते दिख जाते हैं। कल के दौरे के समय उनके साथ कुछ स्थानीय ब्राह्मण चेहरे ऐसे भी देखे गये जो आम तौर पर भाजपा के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। मगर ऐसे सारे लोग सपा के पक्ष में ही मतदान करेंगे यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। नामांकन के बाद चुनाव प्रचार जब शुरू होगा तभी कुछ ठोस आंकलन किया जा सकेगा।

सूत्रों के अनुसार आजादी के बाद से यहां ब्राह्मण, दलित और मुस्लिम मतों का गठजोड़ इतना मजबूत था कि कांग्रेस यहां आराम से जीतती रही। 90 के दशक में जब सपा का उदय हुआ तो दलित और यादव मत सपा के पक्ष में दलित बसपा के पक्ष में तथा ब्राह्मण भाजपा के खेमे में चले गये। सपा के पास मुस्लिम और यादव के साथ थोड़े से अन्य पिछड़े मत ही रहे। इसलिए सपा तभी जीत सकी जब उसका ब्राह्मण प्रत्याशी अपने सजातीय मतों का अतिरिक्त इंतेजाम कर सका। पंडित हरिशंकर तिवारी जैसे प्रतिष्ठित ब्राह्मण नेता, जिन्हें ब्राह्मण शिरोमणि भी कहा जाता है, के पुत्र होने के कारण कुशल तिवारी यहां के अधिकांश ब्राह्मण मतों को पा सकते हैं ऐसा कुशल तिवारी के समर्थकों का दावा है। उनके गृह जनपद के समर्थक सुनील तिवारी का कहना हैं कि डुमरियागंज संसदीय सीट के 26 प्रतिशत मुस्लिम, 10 प्रतिशत यादव, 10 फीसदी अन्य पिछड़े मतदाता सपा के पक्ष में लाम बन्द है। इसके साथ कांग्रेस के पारम्परिक मतदाता तो साथ हैं ही। 46 प्रतिशत मतदाताओं के साथ यहां के 14 प्रतिशत सजातीय (ब्राह्मण) मतदाताओं का आशीर्वाद कुशल तिवारी जी प्राप्त‌ कर यहां से एतिहासिक जीत हासिल करेंगे। वहीं बात बसपा की रही तो उसके प्रत्याशी ख्वाजा शमसुद्दीन यहां मुसलमानों का कितना मत प्राप्त कर सकेंगे, यह तो आने वाला समय बताएगा। मुसलमानों में आज बसपा की राजनीतिक साख शून्य है। ऊपर से उन पर भाजपा से करीबी रिश्तों की भी चर्चा है। बड़ी बात यह है कि इस बार मुसलमान अपने मतों को नहीं बंटने देने पर प्रतिबद्ध है। इसलिए आज के हालात में नहीं लगता कि बसपा यहां मुस्लिम मतों को ज्यादा नुकसान कर पायेगी।

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