नेपालमहराजगंज

भारत के चावल निर्यात पर प्रतिबंध से नेपाली किसान हो रहे मालामाल

ऊंचे दाम पर व्यापारियों को बेंच रहे धान की फसल

नेपाल की सरकारी एजेंसियों को नहीं मिल रहा किसानों का धान

मनोज कुमार त्रिपाठी/उमेश चन्द्र त्रिपाठी

काठमांडू/महराजगंज: भारत के चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से इन दिनों नेपाली किसानों की चांदी कट रही है। उनके फसलों की मांग इतनी ज्यादा है कि सरकारी स्वामित्व वाली खाद्य व्यापार कंपनी को धान खरीदने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। नेपाली किसानों का धान स्थानीय व्यापारी और चावल मिल बहुत अधिक कीमत देकर खरीद रहे हैं। इसके बाद वे इन चावलों को ऊंचे दाम पर स्थानीय बाजारों में बेंच रहे हैं और विदेशों में निर्यात भी कर रहे हैं। द काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, बीरगंज में फूड मैनेजमेंट एंड ट्रेडिंग कंपनी के कार्यालय ने कहा कि उसने दिसंबर के पहले सप्ताह में किसानों से धान खरीदने के लिए नोटिस जारी किया था, लेकिन अभी तक कोई भी अपनी उपज बेचने के लिए आगे नहीं आया है।

सरकारी एजेंसियों को नहीं मिल रहा धान

रिपोर्ट के अनुसार,फूड मैनेजमेंट एंड ट्रेडिंग कंपनी के ब्रांच हेड पंकज कुमार झा ने कहा कि इतिहास में यह पहली बार है कि हम विक्रेताओं से धान खरीदने में असफल रहे हैं। कंपनी आम तौर पर धान खरीदती है और पूर्वी और मध्य तराई क्षेत्रों की कई जेलों को चावल की आपूर्ति करती है। उन्होंने कहा कि हम अन्य क्षेत्रों से जेलों को थोड़ी मात्रा में चावल की आपूर्ति कर रहे हैं। यह ब्रांच हर महीने बीरगंज,गौर, भीमफेड़ी और भरतपुर की जेलों को 80 से 90 टन चावल की आपूर्ति करता है। उनके अनुसार, उनके पास हर महीने बीरगंज जेल को 35 टन,भीमफेडी जेल को 20 टन,गौड़ जेल को 95 टन और भरतपुर जेल को 25 टन चावल की आपूर्ति करने का अनुबंध है।

कई इलाकों में कंपनियों का गोदाम खाली

ब्रांच हेड पंकज कुमार झा ने कहा कि मधेश प्रांत के लहान, जनकपुर और बीरगंज स्थित तीनों कार्यालय चावल खरीदने में असमर्थ हैं। लहान शाखा ने थोड़ी मात्रा में चावल एकत्र किया, लेकिन जनकपुर और बीरगंज शाखाओं में खरीद असफल रही है। मधेश प्रांत की सभी शाखाओं में हमारे पास चावल का कोई स्टॉक नहीं है। कंपनी नेपालगंज, सुर्खेत,विराटनगर, दांग, गोर्खा,पोखरा, विमल नगर,भैरहवा और धनगढ़ी में अपने कार्यालयों से भी धान खरीदती है। उन्होंने कहा कि चूंकि निजी क्षेत्र या चावल मिलों ने धान के लिए ऊंची कीमतों की पेशकश की है, इसलिए किसान कंपनी को अपनी उपज बेचने को तैयार नहीं हैं।

भारत के कारण नेपाली किसानों को हो रहा फायदा

व्यापारियों का कहना है कि भारत द्वारा चावल निर्यात पर प्रतिबंध के बाद चावल की सामान्य किस्म मंसूरी की कीमत बढ़ गई है। पिछले वित्तीय वर्ष में कार्यालय ने मंसूरी धान 31.28 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदा था। इस वित्तीय वर्ष में,किसानों को प्रति किलोग्राम 2.34 रुपये अतिरिक्त की पेशकश की गई थी। नेपाल की संघीय सरकार ने इस वर्ष की फसल के लिए मंसूरी धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 33.62 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित किया है। स्थानीय क्रय समिति ने इस वित्तीय वर्ष में जीरा मंसुली धान की कीमत 35 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित की है।

भारत ने नेपाल को दी है चावल आयात में रियायत

नेपाली चावल आयातकों का कहना है कि भारत सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद नेपाल को 95,000 टन चावल का कोटा दिया है, लेकिन अनुमति के साथ-साथ कई प्रतिबंधात्मक उपाय भी लगाए हैं। 20 जुलाई को व्यापक निर्यात प्रतिबंध के बाद,18 अक्टूबर को भारत सरकार ने नेपाल को 95,000 टन गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की अनुमति दी थी। नई व्यवस्था के तहत,प्रत्येक नेपाली निजी आयातक को कीमत और गुणवत्ता पर सहमति देकर पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर 5,000 टन तक चावल लाने की अनुमति दी गई है। हालांकि,नेपाली व्यापारियों का कहना है कि भारत ने निर्यात कोटा के साथ-साथ 20 फीसदी निर्यात शुल्क भी लगा दिया है,जिससे नेपाल में चावल महंगा हो गया है।

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