इंडो नेपालमहराजगंज

मिल बैठकर हल हो सकता है सीमा विवाद : विदेश मंत्री नेपाल

कालापानी और सुस्ता के अलावा अब भारत के साथ कोई सीमा विवाद नहीं

मनोज कुमार त्रिपाठी

काठमांडू/ महराजगंज: नेपाल और भारत के बीच सीमा विवाद को एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाने के स्थान पर इसे बातचीत के माध्यम से सौहार्दपूर्ण ढंग से हल किया जा सकता है। इसका कारण यह है कि दोनों देश साझी संस्कृति में एक साथ बंधे हुए हैं। यह बात नेपाल के विदेश मंत्री एनपी सऊद ने शनिवार को कही। वह भारत के गणतंत्र दिवस के अवसर पर नेपाल-भारत मैत्री सोसायटी द्वारा आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

सीमा से संबंधित विवाद अपरिहार्य

सऊद ने कहा कि चूंकि नेपाल और भारत के बीच 1800 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा है, इसलिए दोनों पड़ोसियों के बीच सीमा से संबंधित कुछ विवाद और बहस अपरिहार्य है। लेकिन, दोनों देशों की संयुक्त तकनीकी समिति ने अधिकांश विवादों को सुलझा लिया है। सुस्ता और कालापानी-लिपुलेख ही दो सीमा बिंदु हैं, जिन्हें हल करने की जरूरत है।

विवादों को सुलझा सकते हैं दोनों देश

उन्होंने कहा कि दोनों देश एक साथ बैठकर बातचीत के जरिये मतभेदों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा सकते हैं।नेपाल भारत के लिए एक महत्वपूर्ण देश है क्योंकि, यह पांच भारतीय राज्यों सिक्किम, बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के साथ 1,850 किलोमीटर से अधिक की सीमा साझा करता है।

दोनों देशों के बीच क्यों है तनाव?

मालूम हो कि काठमांडू द्वारा 2020 में एक नया राजनीतिक मानचित्र प्रकाशित करने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव आ गया था। इस मानचित्र में तीन भारतीय क्षेत्रों लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को नेपाल के हिस्से के रूप में दिखाया गया था।

भारत ने व्यक्त की थी तीखी प्रतिक्रिया

भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे एकतरफा कृत्य बताया था और काठमांडू को आगाह किया कि था कि क्षेत्रीय दावों का ऐसा कृत्रिम विस्तार उसे स्वीकार्य नहीं होगा।

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