सीमावर्ती पुलिस थानों और अन्य सुरक्षा एजेंसियों से घटा मुखबीरों का विश्वास

कोल्हुई पुलिस पर मुखबिरों को पूरा भरोसा आखिर क्यों?
उमेश चन्द्र त्रिपाठी
सोनौली/महराजगंज। भारत-नेपाल की महराजगंज जनपद से लगी समूची सीमा पर तस्करी की बाढ़ आ गई है। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की कड़ी चौकसी के बाद भी तस्करी रूकने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में अब सर से पानी ऊपर बहने लगा लगा है। मुखबीरों ने तो मानों सीमावर्ती क्षेत्र की पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों से अपना पल्ला झाड़ लिया है। बार्डर से होने वाली तस्करी अगर कोल्हुई पुलिस पकड़ रही है तो इसका मतलब है कि मुखबिर उन्होंने मुखबीरों को अपने विश्वास में ले लिया है। यही कारण है कि उन्हें दिन प्रतिदिन तस्करी के सामान की बरामदगी में सफलता मिलती जा रही है।

पिछले दिनों कोल्हुई पुलिस द्वारा 88 किग्रा चरस की बरामदगी हो या बीते कल एक ट्रक में लदा चायनीज लाइटर और बड़े पैमाने पर नेपाल निर्मित क्लोजप टूथपेस्ट का पकड़ा जाना सीमावर्ती पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की कड़ी चौकसी पर प्रश्न चिन्ह तो खड़ा ही कर रहा है। हालांकि कोल्हुई पुलिस द्वारा चरस पकड़े जाने के बाद भले ही सोनौली पुलिस ने दूसरे दिन 85 किग्रा चरस बरामद करने में बड़ी सफलता पाई हो पर चरस तो आखिर इसी बार्डर से कोल्हुई तक पहुंचा था और मुखबिर की सूचना पर पकड़ा गया था। अगर वही मुखबिर सोनौली पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को यहीं बता देते तो वह चरस कोल्हुई तक नहीं पहुंच पाता।
बता दें कि सोनौली कोतवाली क्षेत्र के जसवल गांव से सटे रोहिन नदी के तट पर एक गोदाम है। जहां बड़े पैमाने पर तस्करी हो रही थी। पहले तो चर्चा यह थी कि इस गोदाम में नेपाल से बड़े पैमाने पर कबाड़ आ रहा है पर चरस भी यहां रखा जाता है उसे किसी को भनक तक नहीं थी। एक बार पहले भी कबाड़ तस्करी के आरोप में यह गोदाम सीज कर दिया गया था। पर कुछ दिन बाद यह गोदाम पुनः खोल दिया गया। तस्करों ने पुनः इस गोदाम का संचालन शुरू कर दिया और नेपाल से कबाड़ में छिपाकर चरस लाने लगे। अब यह कबाड़ का गोदाम न रहकर चरस का गोदाम हो गया था। इतना ही नहीं इस गोदाम से भारत से नेपाल को कपड़े और मोटर पार्ट्स की बड़े पैमाने पर तस्करी होने लगी। मुखबीरों को सब पता था पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां सो रहीं थीं। मुखबीरों ने सोनौली तथा नौतनवां पुलिस और यहां तक कि एसएसबी को भी इसकी सूचना न देकर कोल्हुई पुलिस को चरस की बड़ी खेप जाने की सूचना दे दी थी। मुखबीरों की सूचना पर कोल्हुई पुलिस ने दो चार पहिया वाहनों को धर लिया। जब वाहनों की जांच की गई तो उसमें से 88 किग्रा चरस बरामद हुआ।
सोनौली सीमा से 25 किमी दूर इतनी बड़ी मात्रा में चरस की बरामदगी से सोनौली सीमा पर पुलिस और एसएसबी के कान खड़े हो गए और दूसरे दिन सोनौली पुलिस ने उसी गोदाम के पास से 85 किग्रा चरस बरामद कर एक इतिहास रच दिया और अगले दिन पुनः दूसरी बार गोदाम को सीज कर दिया गया। चरस बरामदगी में पकड़े गए अभियुक्त एनडीपीएस एक्ट के तहत आज भी जेल में बंद हैं। जब ऐसे अनैतिक काम में प्रयोग होने वाले गोदाम पर प्रशासन को अबतक बुल्डोजर चलवाकर नेस्तनाबूद कर देना चाहिए था। वैसे भी चरस की तस्करी इस सीमा से हमेशा होती रही है।
चरस तस्करी का आलम यह है कि जिले मे तैनात एक दरोगा जी खुद चरस ढोने लगे। पकड़े गए फिर जेल गए और अब उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है। चरस बरामदगी का रिकॉर्ड अभी कस्टम विभाग के पास है जहां बीते सालों नौतनवां कस्टम के असिस्टेंट कमिश्नर दीपांकर एरन ने सोनौली स्थित कस्टम बैरियर पर चेकिंग के दौरान लगाता दो दिनों में तीन भारतीय ट्रकों से 1042 किग्रा चरस बरामद कर एक किर्तिमान स्थापित किया था। ये ट्रकें नेपाल से सामान खाली कर वापस आ रही थीं । इन ट्रकों में चालक के सीट के पीछे एक विशेष प्रकार की कैविटी बनी हुई थी जिसे तोड़कर चरस बरामद किया गया था। सच्चाई थोड़ी कड़वी जरूरत लगती पर सरहद पर सब कुछ ठीक नहीं है?