
यह संगम स्थल ऐतिहासिक सांस्कृतिक,पुरातात्विक और धार्मिक महत्व का धरोहर
मनोज कुमार त्रिपाठी
ऋणी मिर्मी रूरू स्यांगजा नेपाल! नेपाल के लुंबिनी प्रदेश के गुल्मी,पाल्पा व गंडकी प्रदेश के स्यांगजा जिले का संगम स्थल ऋणी रूरू एंडया कन्या के विख्यात है। इस क्षेत्र नेपाल के प्रसिद्ध चार धामों में से एक वाराणसी के नाम से जाना जाता है। विभिन्न पुराणों के अनुसार इस क्षेत्र में मरने वाले हर व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है।
बता दें नेपाल में बनारस के नाम से जाना जाने वाला रूरू क्षेत्र एक धार्मिक पर्यटन स्थल भी है। यह लुंबिनी प्रदेश में पाल्पा व गुल्मी और गंडकी प्रांत में स्यांगजा के संगम से संबंधित है। लेकिन अधिकांश भूमि पाल्पा और गुल्मी के संगम तट पर स्थित है। इस क्षेत्र की चर्चा विभिन्न पुराणों में वर्णित है। इस लिए ऐसा माना जाता है कि यदि आप की मृत्यु इस क्षेत्र में होती है तो आप मोक्ष के अधिकारी होंगे। रूरू यानि ऋणी में पितृ मोक्ष के न केवल अंतिम संस्कार, श्राद्ध, विवाह और ब्रतबंध जैसे शुभकार्य भी किए जाते हैं। लुंबिनी प्रदेश के रूरू इलाके मृतकों का बड़े पैमाने पर दाह संस्कार भी किया जाता है। पुराणों में इसे मुक्ति श्रेत्र भी बताया गया है। बाराह पुराण के अनुसार हजारों वर्ष पूर्व भृगु बंशी ऋषि देवदत्त ने इस क्षेत्र में 2 हजार वर्ष तक तपस्या की थी। उनकी तपस्या से इन्द्र का आसन हिल गया और वह भयभीत हो गए। इंद्र ऋषि की तपस्या को भंग करने के लिए मलय वायु, बसंत, गंधर्व और कामदेव को प्रमचोला अप्सरा के साथ भेजा। वे जाकर ऋषि देवदत्त की तपस्या को भंग कर दिए। उसके बाद प्रमचोला नामक अप्सरा ने ऋषि देवदत्त से विवाह कर लिया और एक कन्या को जन्म दिया।
इस धाम में गंगा आरती के अवसर पर तिलोत्तमा एवरेस्ट कत्था मिल्स प्रा लि के प्रोप्राइटर बसन्त रोक्का द्वारा सहयोग स्वरूप 50 हजार रुपए का दान भी दिया गया। इस अवसर पर रूरू क्षेत्र निधि कोष व्यवसाय समिति के अध्यक्ष व तमाम समाजसेवी उपस्थित रहे। समिति के अध्यक्ष ने बताया कि रूरू क्षेत्र के विकास के लिए तीन अरब रुपए का डीपीआर तैयार किया जा रहा है जिसमें मठ, मंदिर, धर्मशाला, गुरू कुल और आश्रम का निर्माण होना है।