काठमांडूमहराजगंज

नेपाल में बनने वाले रेलवे ट्रैक से जुड़ेंगे बिहार और बंगाल

सार

भारत की कोशिश चिकन नेक पर निर्भरता कम करने की है क्योंकि यह कई दृष्टि से एक संवेदनशील है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत ने नेपाल के रास्ते रेलवे ट्रैक बनाकर बिहार को बंगाल से जोड़ने की योजना बनाई है। इस प्लान में नेपाल के विराटनगर के रास्ते रेलवे लाइन बनना है।

उमेश चन्द्र त्रिपाठी

काठमांडू! भारत ने नेपाल के रास्ते रेलवे ट्रैक बनाकर बिहार को बंगाल से जोड़ने की योजना बना रहा है। इस प्लान में बिहार के जोगबनी को बंगाल के न्यू माल जंक्शन से जोड़ने के लिए पड़ोसी देश नेपाल के विराटनगर के रास्ते रेलवे लाइन बनाया जाना है। इस रेलवे लाइन का मुख्य उद्देश्य पूर्वोत्तर को भारत से जोड़ने वाले सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर निर्भरता कम करना है। इस कॉरिडोर को ‘चिकन नेक’ के रूप में भी जाना जाता है। भारतीय रेलवे ने पहले इसी तरह के उद्देश्य के लिए बांग्लादेश में ट्रैक बनाने की योजना का भी खुलासा किया था।

टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रेलवे ने विराटनगर और न्यू माल जंक्शन के बीच फाइनल लोकेशन सर्वे (एफएलएस) के लिए 190 किलोमीटर के रूट को मंजूरी दी है। प्रस्तावित गलगलिया (बिहार)-भद्रपुर (नेपाल)-कजली बाजार (नेपाल) खंड के लिए अतिरिक्त 12.5 किमी नई रेलवे पटरियों की जरूरत होगी। जोगबनी-विराटनगर ब्रॉड गेज सेक्शन में भारत में 18.6 किमी और नेपाल में 13.15 किमी ट्रैक शामिल होंगे। नेपाल सरकार जल्द ही इस क्षेत्र को अपने अधिकार में ले लेगी। इसके अलावा बाकी हिस्से में काम जारी है।

चिकन नेक पर है भारत की निर्भरता

भारत को पूर्वोत्तर से जोड़ने वाले सभी मौजूदा रेल रूट इस्लामपुर में अलुआबारी रोड से होकर गुजरते हैं। यह ‘चिकन नेक’ में आता है, जो नेपाल और बांग्लादेश के बीच 22 किलोमीटर चौड़ा क्षेत्र है। अलुआबारी से ट्रेनें न्यू जलपाईगुड़ी जंक्शन या सिलीगुड़ी जंक्शन की ओर जाती हैं। एनएफआर के सीपीआरओ सब्यसाची डे का कहना है कि भारतीय रेलवे ने चिकन नेक सेक्शन पर निर्भरता कम करने के लिए बांग्लादेश और नेपाल के माध्यम से नए रेलवे संपर्क मार्गों के लिए 14 एफएलएस को मंजूरी दी है।

सिलीगुड़ी कॉरिडोर या चिकन नेक रणनीतिक तौर पर काफी अहमियत रखता है। चिकन नेक पर चीन की नजर काफी समय से लगी हुई है। चिकन नेक के महत्व को ऐसे समझा जा सकता है कि ये पूरा कॉरिडोर भारत के पूर्वी राज्‍यों का एक प्रवेश द्वार है। इस छोटी से इलाके पर नियंत्रण भारत को इन राज्यों से अलग काट सकता है।

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