अवैध रूप से संचालित अस्पताल को प्रशासन ने किया सील

रात 12 बजे पुलिस बल के साथ पहुंचे एसडीएम सदर व एसीएमओ
महराजगंज जनपद के श्यामदेउरवां क्षेत्र अंतर्गत परतावल- गोरखपुर रोड के गोधवल चौराहे पर अवैध रूप से संचालित न्यू अपोलो हॉस्पिटल को प्रशासन ने रविवार की देर रात लगभग 12 बजे सील कर दिया गया और इस हास्पिटल में भर्ती मरीजों को मेडिकल कॉलेज गोरखपुर भेजवाया गया। प्रशासन की इस कार्रवाई से क्षेत्र में संचालित अन्य निजी अस्पताल के संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है।
मालूम हो कि रविवार की रात लगभग 12 बजे एसडीएम सदर रमेश कुमार, निजी अस्पताल के नोडल अधिकारी डाक्टर राजेश द्विवेदी व प्रभारी निरीक्षक धर्मेंद्र कुमार सिंह गोधवल चौराहे पर संचालित न्यू अपोलो हॉस्पिटल पर पहुंचे। अस्पताल में भर्ती मरीजों को एंबुलेंस के माध्यम से मेडिकल कॉलेज गोरखपुर भेजवाया।
मजे की बात है कि जिस डाक्टर के नाम से अस्पताल पंजीकृत हैं वह मौके पर था ही नहीं जिसके बाद कार्रवाई करते हुए अधिकारियों ने अस्पताल को सील कर दिया।
कुछ दिनो पहले नवजात बच्चे की मौत की सूचना पर पहुंची थी स्वास्थ्य विभाग की टीम
बीते 18 जुलाई को इसी अस्पताल पर प्रसव के बाद बच्चे की मौत की सूचना पर स्वास्थ्य विभाग व पुलिस टीम पहुंची थी। जिले के निजी अस्पतालों के नोडल अधिकारी डाक्टर राजेश द्विवेदी ने हास्पिटल में भर्ती मरीजों की जानकारी ली। उस दौरान भी हास्पिटल में पांच मरीज भर्ती मिले थे। जिसमें से तीन मरीजों का आपरेशन से प्रसव हुआ था। मरीज के परिजनों ने बताया कि मरीजों को गांव के आशा ने इस अस्पताल में भर्ती कराया है।
बीते 18 जुलाई को गोधवल चौराहे पर स्थित अपोलो अस्पताल में नवजात बच्चे की मौत की बात को लेकर हंगामा हो रहा था। किसी ने इसकी सूचना नोडल अधिकारी डाक्टर राजेश द्विवेदी को दी। उन्होंने कतरारी चौकी प्रभारी को सूचना दी। सूचना मिलते ही कतरारी पुलिस मौके पर पहुंच गई। कुछ ही देर में नोडल अधिकारी भी पहुंचे। टीम पहुंचने से पहले ही किसी तरह हंगामा शांत हो गया था। उन्होंने अस्पताल में भर्ती मरीजों की जानकारी ली। उस दौरान भी जिस डाक्टर के नाम पर अस्पताल पंजीकृत हैं वह मौजूद नहीं था। अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि वह दो दिनों से बिमार है। निरीक्षण के दौरान अस्पताल मुन्ना भाई (अनट्रेंड) लोगों के भरोसे चलाया जा रहा था।
रूपयो के लिए आशा निभा रही अस्पताल में दलाल की भूमिका
ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को सरकारी अस्पताल में उपलब्ध चिकित्सा सुविधा का लाभ दिलाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई है। सरकार की मंशा है कि आशा कार्यकर्ता मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाएंगी। इससे उन्हें सरकारी सुविधा का लाभ मिलेगा। लेकिन परतावल ब्लाक में तैनात आशा कार्यकर्ता निजी अस्पतालों के दलाल की भूमिका निभा रही हैं। कमिशन के लालच में वह प्रसूताओं को सरकारी अस्पताल के बजाय निजी अस्पताल में लाकर भर्ती करा देती हैं। प्रत्येक प्रसव पर उन्हें 8-10 हजार रुपए कमिशन मिल जाता है। 18 जुलाई के निरीक्षण में यह बात स्पष्ट हो गया कि इस अस्पताल में भी आशाओं के माध्यम से ही मरीज भर्ती हो रहे हैं। निरीक्षण के दौरान ग्राम सभा बैजौली टोला झोझई निवासी अन्नू पत्नी हरेंद्र, पिपरिया निवासी रेनू पत्नी गोपी, सुमेरगढ़ निवासी खुश्बू पत्नी मोहन का आपरेशन से प्रसव हुआ था। परिजनों ने बताया कि गांव के आशा ने हम लोगों को यहां लाया है। आपरेशन के नाम पर 20 से 25 हजार रुपए जमा करा लिया गया है।
दवाओं पर भी फिक्स है कमीशन
आशा कार्यकर्ता आपरेशन के बाद चिकित्सक द्वारा लिखे गए दवा की पर्ची को अपने पास रख लेती हैं। अस्पताल में ही दवा की दुकानें हैं। जहां उन्हें एक-एक पर्ची पर अच्छा खासा कमीशन दिया जाता है। जिसके लोभ में वह निजी अस्पतालों की दुकानों से दवा खरीदने के लिए बाध्य करती हैं। भोले-भाले ग्रामीण इस बात को समझ नहीं पाते और उनके झांसे में आकर ठगे जाते हैं।
गुलहरिया थाने का गैंगस्टर है अस्पताल संचालक
गोधवल चौराहे पर संचालित न्यू अपोलो हॉस्पिटल का संचालक गोरखपुर जिले के गुलहरिया थाने का गैंगस्टर है। वह नाम बदलकर अस्पताल चलाने में माहिर है। स्वास्थ्य विभाग में गहरी पैठ होने के कारण वह नाम बदलकर नया अस्पताल खोल लेता है। चार वर्ष पहले उसने गोरखपुर जिले के भटहट बाजार में प्रियांशु नाम से अस्पताल खोला था। यहां स्वीपर द्वारा महिला का प्रसव कराने के दौरान नवजात की मौत हो गई थी। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज किया था। स्वास्थ्य विभाग ने जांच कर अस्पताल को सील कर दिया था। कुछ दिनों बाद उसी मकान में नाम बदलकर उसने सत्यम हास्पिटल का संचालन शुरू कर दिया।इस तरह वह गुलहरिया क्षेत्र के भटहट बाजार में अलग-अलग नामों से फर्जी अस्पताल चला चुका है।