उत्तर प्रदेशमहराजगंज

भारतीय अपराधियों और पाक आतंकियों का पनाहगार बना नेपाल?

भारत-नेपाल की खुली सीमा के कारण अपराधी हों या आतंकी आसानी से घुसपैठ करने में हो जाते हैं सफल

बब्बर खालसा से लेकर इंडियन मुजाहिद्दीन और दाऊद इब्राहिम गैंग तक के आतंकी इस क्षेत्र से पकड़े जा चुके हैं।

बहराइच हिंसा का मास्टर माइंड अब्दुल हबीब और उसके दो बेटे भी नेपाल में लिए शरण ?

उमेश चन्द्र त्रिपाठी


महराजगंज! आतंक को प्रश्रय देने वालों के लिए गोरखपुर अंचल काफी मुफीद बन चुका है। इस क्षेत्र के कई जिलों का नेपाल सीमा से लगे होना और कुछ जिलों का बिहार से जुड़ाव देश विरोधी गतिविधियों को संचालित करने वालों के लिए सुविधा जनक बनता जा रहा है। गोरखपुर, कुशीनगर, खलीलाबाद, सिद्धार्थ नगर और आसपास जनपदों से आतंकी फंडिंग में लगे लोगों की गिरफ्तारियों के पहले भी इन क्षेत्रों में कई दुर्दांत आतंकी सुरक्षा एजेंसियों के हत्थे चढ़ चुके हैं। इंडियन मुजाहिद्दीन का यासीन भटकल हो या संदिग्ध पाकिस्तानी नागरिक डॉ.जावेद या साल भर पूर्व पकड़ा गया हिजबुल मुजाहिद्दीन का नासीर अहमद वानी, ये सब इसी अंचल से होकर देश में आतंक फैलाने की फिराक में पकड़े जा चुके हैं। बीते दिनों बहराइच में हुई हिंसा के मास्टर माइंड और उसके दो बेटे भी नेपाल में शरण लिए हुए हैं। खुफिया एजेंसियां और पुलिस इनकी तलाश में जी-जान से जुटी हुई है। निश्चित तौर पर ये अपराधी शीघ्र पकड़े जाएंगे ऐसा पुलिस अधिकारियों का मानना है।

बता दें कि साल 2014 में कुशीनगर के कसया में मुंबई व वाराणसी एटीएस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए रिजवान नामक एक युवक को पकड़ा था। इंटरमीडिएट में पढ़ने वाला यह युवा आईएस से जुड़कर युवाओं को तैयार कर रहा था। एटीएस की पूछताछ में उसने स्वीकार किया था कि उसने नेपाल तक अपनी जड़े मजबूत की थी। गोवा और दक्षिण के एक शहर में अपना सेफ जोन बनाकर गतिविधियों को संचालित कर रहा रिजवान पूर्वांचल के युवाओं को अपने दहशत के व्यवसाय में जोड़ रहा था और इसके लिए सोशल मीडिया का भी दुरूपयोग उसके साथी खूब कर रहे थे। यही नहीं जनवरी 2016 में ही कुशीनगर सहित देश के विभिन्न कोनों से करीब 27 लोगों को एटीएस ने गिरफ्तार किया था। ये लोग देश की सुरक्षा को धता बताकर इंटरनेशनल काॅल कराते थे। इनमें से आधा दर्जन लोग कुशीनगर के ही थे।

हालांकि, यह गतिविधियां इधर बीच नहीं शुरू हो सकी हैं। कई दशक पहले से आतंकी गतिविधियों को संचालित करने वाले इस क्षेत्र को इस्तेमाल करना शुरू कर दिए थे। हालांकि, कई बार हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने कई आतंकियों को गिरफ्तार भी किया है। आंकड़ों पर अगर गौर करें तो पिछले तीन दशक में दर्जनों खतरनाक आतंकी भारत-नेपाल सीमा पर दबोचे जा चुके हैं। सुरक्षा एजेंसियां अपनी हर रिपोर्ट के भारत-नेपाल सीमा को अति संवेदनशील बता चुके हैं। भारत का मित्र देश नेपाल आतंकियों के लिए मुफीद साबित हो रहा इस बात की तस्दीक 1992 में हुई जब सोनौली बॉर्डर पर पंजाब का उग्रवादी सुखबीर सिंह उर्फ राजू खन्ना दबोचा गया। वह कनाडा से पाकिस्तान आया और पाकिस्तान से नेपाल आकर काठमांडू में दो दिन शरण लिया और मारूति बैन से सोनौली बार्डर से होते हुए दिल्ली जाने की फिराक में था । यही नहीं हिजबुल मुजाहिदीन के खालिद मीर,विलाल अहमद बट्ट और दाउद गैंग का शार्प सूटर नूर बख्श उर्फ नूरा भी सोनौली बार्डर पर ही पकड़ा गया था।

सिद्धार्थनगर के बढ़नी में भारत-नेपाल सीमा पर अजमेर सिंह व भाग सिंह नामक उग्रवादी पकडे गये। 1993 में मुंबई कांड का आरोपी टाइगर मेमन भी सोनौली बॉर्डर पर ही दबोचा गया। इनके अलावा नेपाल से अपनी गतिविधियां संचालित करने वाले पाकिस्तानी आतंकी जब्बार को एटीएस ने लखनऊ में पकड़ा था। जब्बार भी नेपाल सीमा के रास्ते ही भारत के घुसा था लेकिन सुरक्षा एजेंसियों के हत्थे चढ़ गया।

इतना ही नहीं बब्बर खालसा का खतरनाक उग्रवादी मक्कन सिंह बढ़नी (सिद्दार्थनगर) में पकड़ा गया था। भारत-नेपाल सीमा पर ही देश के लिए खतरा बने टॉप आतंकियों में शुमार अब्दुल करीम टुंडा को दिल्ली पुलिस ने दबोचने में कामयाबी हासिल की थी। फिर इंडियन मुजाहिद्दीन का खूंखार सिपहसलार यासीन भटकल नेपाल की सीमा पर पकड़ा गया। अक्टूबर 2016 में डॉ.जावेद नामक एक संदिग्ध पाकिस्तानी पकड़ा गया था। 13 मई 2017 को हिजबुल आतंकी नासीर अहमद वानी को गिरफ्तार किया गया। उसका दोस्त भागने में सफल रहा। साल 2016 पाकिस्तानी सेना का एक अफसर नेपाल के बेलहिया कस्बे से लापता हो गया था। उस समय आशंका जताई गई थी कि वह नेपाल या भारत में कहीं छुपा हो सकता है और आतंकी गतिविधियों को संचालित कर रहा है।

इंडियन मुजाहिद्दीन की नींव नेपाल के इस होटल में पड़ी थी

सुरक्षा एजेंसियों की माने तो नेपाल में आईएसआई ने काफी जाल बिछा रखा है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने ही भारत विरोधी गतिविधियों को संचालित करने के लिए इंडियन मुजाहिद्दीन नाम के आतंकी संगठन का गठन कराया था। इसका गठन नेपाल में स्थित हिमालयन होटल में किया गया था। बॉर्डर पर पकड़ा गया आईएम का यासीन भटकल ही सर्वेसर्वा था। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार लश्कर-ए-तैय्यबा और जैश-ए-मोहम्मद आईएम को पूरा सहयोग भारत में आतंक फैलाने और गतिविधियां संचालित करने में करती हैं। यासीन भटकल पर 10 लाख का इनाम भी था।

भारत-पाकिस्तान की 1751 किलोमीटर खुली सीमा वजह

आतंकवाद को प्रश्रय देने वाले पाकिस्तान के लिए 1751 किमी में खुली भारत-नेपाल की सीमा सबसे मुफीद साबित हो रही है। यही वजह है कि अब आतंकी बाघा या अन्य बॉर्डर की बजाय इस रूट को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों की माने तो ये आतंकी आसानी से पाकिस्तान से दुबई पहुंचते फिर वहां से काठमांडू आ जाते हैं। काठमांडू से भारत की ओर आते हैं और दलालों के माध्यम से दोनों देशों की खुली सीमा से घुसने की कोशिश करते हैं। कुछ कामयाब भी हुए जबकि कई पकड़े भी जा चुके हैं।

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