नेपाल का एक ऐसा मंदिर जहां सबकी मन्नतें होती हैं पूरी

कार्तिक पूर्णिमा को हर वर्ष चढ़ता है बकरे की बलि

मनोज कुमार त्रिपाठी
पाल्पा नेपाल /भैरहवा / महराजगंज! भारतीय सीमा से 38 किमी दूर उत्तर तरफ पाल्पा जिले के सत्यवता गांव में सत्यवती बजही देवी मंदिर स्थित है। जहां कार्तिक पूर्णिमा को हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु अपनी मन्नतें पूरी होने पर पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। इस मंदिर की विशेषता यह है कि सत्यवती देवी श्रद्धालुओं की मुंह मांगी मुराद पूरी करती हैं। पूर्णिमा की रात 12 बजे के बाद यहां श्रद्धालु अपनी मन्नतें पूरी होने पर बकरों की बलि चढ़ाते हैं।
यह मंदिर सातवती ताल नामक झील के पास समुद्र तल से 1400 मीटर की उंचाई पर स्थित है। यह मंदिर मगर समुदाय की देवी सत्यवती को समर्पित है। पास में ही एक और छोटी सी झील है जिसे बूढ़ी सत्यवती कहा जाता है। इस झील की विशेषता यह है कि इसका पानी कभी सूखता नहीं है।
यह नेपाल के पहाड़ी बेग में ऐसा पहला मंदिर है जहां ज्यादा से ज्यादा लोग सहभागी होते हैं। इस मंदिर की विशेषता यह है कि मन्नत को चिल्ला कर मांगा जाता है। क्योंकि सत्यवती देवी कम सुनती हैं। यह चूरे प्रकार का सिमसा क्षेत्र है जहां पर विभिन्न प्रकार की चिड़ियों की प्रजातियां पाई जाती हैं। इस मंदिर में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी मन्नतें मांगते के लिए 9 किमी दुर्गम पहाड़ी इलाकों से पैदल रात भर चलकर मंदिर में पहुंच जाते हैं।